आजादी की लड़ाई के एक वीर सपूत थे सुभाष चंद्र बोस। आज उन्हीं की जयंती को सरकार ने पराक्रम दिवस के रूप में
मनाने का निर्णय किया है। यह काबिले तारीफ है क्योंकि सुभाष चंद्र बोस वीर सेनापति थे आजाद हिंद फौज के। जिन्होंने विदेशी धरती पर जाकर भी भारतीयों को एकत्र कर
भारतीय स्वतंत्रत संग्राम लड़ा। एक विमान दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई, उसके बाद भी वे विवादों में रहे। लोग कहते रहे वह शायद जिंदा हैं। उन प्रश्नों के उत्तर आज भी हमें नहीं मिल पाए। पर उनका नारा "तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा"आज भी भारतीयों के दिलों में अपने भारत के लिए मर मिटने का साहस पैदा कर देता है। वह इतने भारतीय वीर थे कि अपनी भारतीय भूमि के लिए उसकी स्वाधीनता के लिए उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया। यह हमारा सौभाग्य है कि हमारे देश में ऐसे अमर सपूत ने जन्म लेकर भारत भूमि को धन्य किया।
अतः आज आवश्यकता है की हमारे नव युवा हमारे बच्चे उनसे परिचित हो तथा उनके बारे में जाने। तभी उनकी जयंती को पराक्रम दिवस की तरह मनाना सफल होगा। उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। यह स्वाधीनता हमें उन्हीं भारतीय सपूतों की याद दिलाती है जिन्होंने अपना सर्वस्व भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में होम कर दिया। अनेक कष्ट सहकर जिन्होंने हमारे मन में स्वतंत्रता की अलख जगाई, जिन्होंने हमारे देश मैं स्वतंत्रता की चिंगारी पैदा की।
(©ज्योति)