स्वतंत्रता का साधारण सा अर्थ है आजादी। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने नारा दिया था ,स्वतंत्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, और हम उसे लेकर रहेंगे। उस समय हमारा देश गुलाम था और हम अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होना चाहते थे। मगर आज जब हमें स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है तो हम आजादी मांगते हैं बोलने की, काम करने की, अपने विचारों को अभिव्यक्त करने की, कपड़े पहनने की, व हर उस काम की जो हम करना चाहते है। पर हम यह भूल जाते हैं कि हमारी स्वतंत्रता तभी तक स्वीकार्य हैं जब तक वह किसी दूसरे की जिंदगी में दखल नहीं देती है। अगर आज हमें अभिव्यक्ति की आजादी है तो इसका मतलब यह नहीं कि हम कुछ भी बोलेंगे।
अगर आपको आजादी मिली है तो अपने कर्तव्यों का भी ध्यान रखें। अपने देश हित और राष्ट्र हित के लिए भी सोचिए। दूसरों की स्वतंत्रता का भी ध्यान रखें। किसी भी धर्म ,जाति, मजहब, की आलोचना मत कीजिए। आपके विचार दूसरे से अलग हो सकते हैं ,आपके बीच मतभेद हो सकता है लेकिन अपने विचारों से देश को मत बांटिए। तभी आपके बोलने की स्वतंत्रता सार्थक है। तालिबान में स्त्रियों के अधिकारों का हनन हो रहा है मानवता शर्मसार हो रही है इसे कहते हैं आजादी का हनन। पर हम भारतीयों को तो बोलने की स्वतंत्रता प्राप्त है, किसी धर्म को मानने की स्वतंत्रता प्राप्त है। हमारे यहां फतवे जारी नहीं किए जाते, याद कीजिए सलमान रशदी को, तसलीमा नसरीन को, जिनके लिखने पर फतवे जारी किए जाते हैं। हां आजादी के नाम पर देश की संस्कृति, मर्यादा को शर्मसार करने वाले कामों को किसी भी हालत में उचित नहीं ठहराया जा सकता। स्वतंत्रता के नाम पर उच्छृंखलता को कोई भी देश बर्दाश्त नहीं कर सकता। हमारा देश लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष, संप्रभुता संपन्न देश है। अतः जरूरत है हम आजादी का सही अर्थ समझे। प्रत्येक व्यक्ति अपने मतभेदों को दरकिनार करते हुए दूसरे की स्वतंत्रता का आदर करते हुए अपनी आजादी का प्रयोग करें। तो हम भी अपने अधिकारों का प्रयोग कर पाएंगे और दूसरा भी। इसके लिए सोच का सकारात्मक होना जरूरी है। वसुधैव कुटुंबकम की भावना ही हमारा दृष्टिकोण व्यापक बना सकती है।
(©ज्योति)