भारत में अनेक पर्व खुशी व उल्लास से मनाए जाते हैं। लोहड़ी का पर्व खुशी व उल्लास का पर्व है उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा में यह विशेष रूप से मनाया जाता है। यह मकर सक्रांति से 1 दिन पहले होता है। पंजाब में इसे किसानों के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस समय खेतों में फसलें लहलहाती है। माना जाता है इस दिन वर्ष की सबसे लंबी रात होती है। इसके बाद दिन धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। अर्थात ठंड कम होने लगती है। लोहड़ी वाले दिन की तैयारी पहले से ही शुरू हो जाती है, लोग लकड़ियां इकट्ठे करके एक जगह पर रखते हैं, फिर रात को सब लोग इकट्ठे होकर लकड़िया जलाते हैं। मूंगफली ,गजक ,रेवड़ी
का प्रसाद, बांटा जाता है, आग की परिक्रमा लगाई जाती है। व एक दूसरे को गले मिलकर लोहड़ी की शुभकामनाएं दी जाती हैं। ढोल ,नगाड़े की धुन पर भांगड़ा किया जाता हैं। गीत गाए जाते हैं। सरसों का साग, मक्का की रोटी बनाई जाती है।
लोग खुशी ,उल्लास से इस त्योहार को मनाते हैं। इस दिन लोग आपस में उपहारों का आदान-प्रदान भी करते हैं। विवाहित बेटियों को घर पर बुलाकर उपहार भी दिया जाता है। यह एकता ,भाईचारे का त्यौहार है। जिसे लोग मिलजुलकर मनाते हैं। आजकल लोहड़ी की पार्टियां भी सेलिब्रेट होने लगी हैं। यह त्योहार ही है जो हमें इस व्यस्त जिंदगी में सबसे मिलजुल कर रहने, एकता, भाईचारे का संदेश देते हैं। व हमारी जिंदगी में खुशी व उल्लास के कुछ ऐसे क्षण लाते हैं जो हमारी जिंदगी के अकेलेपन को दूर करते हैं हमें आपस में प्रेम से मिलजुल कर रहने की शिक्षा देते हैं। एकता का पाठ पढ़ाते हैं। लेकिन आज जिस तरह दिखावा बढ़ रहा है वह सही नहीं है। दिखावे में हम त्योहार के मर्म को भूल जाते हैं। जरूरी है की हम जब भी त्योहार मनाए तो खुशी, हर्ष ,उल्लास के साथ। हमारा त्योहार मनाना तभी सार्थक है जब हम अपने साथ-साथ हर उस व्यक्ति के जीवन में भी मुस्कुराहट लाए जो आर्थिक कारणों से त्योहार नहीं मना पा रहा है। यह त्यौहार हमारी भारतीय संस्कृति के वे स्तंभ है जो हमें मिलजुल कर रहने एक दूसरे के साथ अपनी खुशियां व दुख साझा करने की प्रेरणा देते हैं।
(© ज्योति)