बच्चिया धीरे - धीरे बड़ी हो रही है और समझदार भी । आरुषि के अपने जो रिश्तेदार है , उनके शादी के लिये जब भी बात करते है आरुषि शादी की बातें टाल - मटोल कर जाती है । उसे ऐसा लगता है कि ,अगर उसकी शादी हो गई , तो वह उतना ज्यादा समय प्रीति की बच्ची पर ध्यान नहीं दे पाएगी , जितना वह दे पा रही है। ये सोच वह शादी के लिए टाल - मटोल कर रही है ।
वह रोजाना ही दोस्त की बच्ची के लिये कुछ - न -कुछ बेहतर करने के प्रयास में लगी रहती है । वह उन दोनों बच्चियों के हॉबी को निखारने में लगी रहती है । बच्ची का जुकाव जिस ओर देख रही है , वो उसी ओर उसे प्रोत्साहित कर रही है । दिन - रात वह उसी के लिये कुछ करने के प्रयास में लगे रहती है । वह प्रिती के बच्चों के साथ हमेशा ही न्याय होता रहे , कुछ ऐसा हमेशा करना चाहती है । शायद उसके लिये उसे शादी नहीं कराना पड़े तो , वो शादी नहीं करेगी ।
वह अपने घर बालों को , अपनी शादी नहीं करने के लिये मना रही है । एक से एक लड़का का ऑफर वो ठुकरा रही है । वह बस बच्चियों के लिए ही ऐसा कर रही है।
एक लड़का है जिसका नाम है सौंदर्य , नाम अनुरूप ही रूप , उसे आरुषि इतना भाती है , कि शायद जीवन भर उसका इंतजार वो उसके लिए करें । आरुषि बस बताये तो सही कि , वह सौंदर्य से शादी आखिर क़्यों नहीं करना चाहती है ।
आरुषि अपने मन की बात किसी को बताती नहीं है , बस वो ऐसा सोची हुयी है ,उसकी शादी होने से शायद वो बच्चोंं के लिए उतना कर या सोच न सके । जितना वो अभी कर पा रही है ।
सौन्दर्य जब से आरुषि को देखा है , उसकी रात-दिन का चैन गायब हो गया है । वह आरुषि के सौन्दर्य को जब से देखा है ,उसी में खोया हुआ है । ये सब मात्र आरुषि का फोटो देखने से ही हो रहा है , तो वो वास्त्विक मे क्या होगी ? वह सोच रहा है जब वह वास्त्विक को देखेगा तो क्या होगा ,और वह कितना घायल होगा । क्योंकि उसकी स्तिथी अभी से ही इतनी नाजुक हो रही है ।
ये सब वह सोच - सोच कर बहुत परेशान होते रहता है , और किसी से कुछ कह नहीं पाता है । लेकिन सौंदर्य सोच लिया है चाहे जो हो , वो जब किसी का होगा , वो आरुषि ही होगी ,और उसका एक फोटो हमेशा अपने पास ही रखे रहता है । वह इस इंतजार में रहता है कि वो दिन जरूर आएगा जब आरुषि उसके लिये हाँ कहेगी । अब वह इसी जुगाड़ में भी रहने लगा है ।
सौंदर्य अपने एक दोस्त साहिल से अपनी परेशानी बताता है । उसे वह कुछ भी हल निकालने के लिये कहता है । वह आरुषि को पाने के लिये कुछ भी जुगाड़ करने के लिये कहता है । साहिल ,सौंदर्य की बात को सीरियस में लिया , वह दोस्त के लिये कुछ करेगा जरूर, ऐसा सोच लिया है । वह भी सोचने लगा , इतना सुंदर - सलोना राज कुमार सा सौंदर्य को आखिर आरुषि नापसंद कैसे कर सकती है ।
इधर आरुषि अपना पर्याप्त समय दोनों बच्चियो में लगाती है । वह कोशिश करती है कि कस्तूरी और मृगनयनी को स्कूल वह ही पँहुचाये और लाये भी , और ऐसा वो करती भी है ।
साहिल आरुषि पर नज़र रखने लगे है । वह अपने परम मित्र के लिये कुछ करना चाहता है , इसलिए आरुषि पर नज़र रखने मे उसे कुछ बुरा नही लग रहा है । वह आरुषि को देखता है कि वह ,एक नियत समय पर बच्चीयो को स्कूल छोड़ती है एवं लाती है । वह समझ नहीं पाता है कि, इस कुमारी का आखिर ये बच्चियां कौन है? जो , इनके लिये इतने तल्लिन्ता से आरुषि अपना कर्तव्य निभा रही है । उसका पीछा करते हुये आज साहिल को तीन महीना गुजर चुका है । अभी भी साहिल उसके बारे में बहुत ज्यादा कुछ नहीं जान पाया है । ना जाने क्या लगाव है जो उसको उसके बारे मे जानने मे मजा आने है । न जाने उसे ये क्या हो रहा है । अपने कामों से निपट वह फुरसत के वक्त में वह इसी काम में लग जाता है ।
वह देख रहा है कि, कुछ दिन से एक बुजुर्ग व्यक्ति दोनों बच्चियों को स्कूल छोरने और लाने का काम कर रहे है । एक हप्ता लगातार ऐसा ही होता रहा , तो साहिल का सब्र टूटने लगा ,आखिर अचानक से वो परी सी लड़की आना क्यों छोड़ दी है । वह अपने सिवा दोनों बच्चीयों को किसी के साथ होने नहीं देती थी । वह थक - हार कर उस बुजुर्ग व्यक्ति से पूछ ही लेता है , जब उसे पता चलता है तो , वह सोच में पड़ जाता है । उस बुजुर्ग व्यक्ति , जिसका नाम रामु है , से उसे पता चला है कि , आरुषि अभी बहुत बीमार चल रही है । वह शहर के ही एक हॉस्पिटल में एडमिड है । वह बुखार से पीड़ित चल रही है । यहाँ तक कि आरुषि बेबी अपनी शादी भी इस बच्चीयो के कारण नहीं करना चाहती है क्योंकि उन्हें शक है , कि वह बच्चियों का केयर उतना अच्छा नहीं हो पायेगा ,जितना वह अभी कर पाती है । आरुषि की ये सब खबर सुन , साहिल को ही कुछ अलग सी तड़प होने लगती है । वह सोच रहा है की ये सब उसे क्या हो रहा है । वह तो अपने दोस्त सौंदर्य के लिए ,बस आरुषि को जानने आया था ,जो आरुषि के लिये कुछ भी करने को तैयर है । रामु से जब साहिल को पता चला कि दोनों बच्चियाँ उनकी एक दोस्त की है उनका नहीं , इतनी समर्पण दोस्त के बेटियों के लिए देख ,साहिल और अधिक आरुषि को पसंद करने लगा है । और फिर वह अपना उद्देश्य याद दिला कर दिल को समझाता है ।
साहिल ना जाने क्यों , रामू से हेल्प लेकर हॉस्पिटल का पता कर के वह आरुषि से मिलने हॉस्पिटल पहुँच जाता है । जब वह आरुषि को देखता है ,तो देखते ही रह जाता है । आरुषि का चेहरा बुखार से पीड़ित होने के वाबजूद भी , एक अलग ही कान्ति बिखेर रहा है । उससे उसकी नज़र ही नहीं हटतीं है ये उसे क्या हो रहा है । ये उचित नहीं हो रहा है । ये सब करना दोस्त सौंदर्य के लिए विश्वासघात करना होगा ।
वह फिर भी उसे तब तक देखता रहता है , जब तक कि , आरुषि की एक फ्रेंड सोनालिका उससे मिलने आ जाती है । और वह हरबरा कर बाहर निकल जाता है । सोनालिका सोचते रह जाती है कि ये कौन सुंदर - सा जनाब थे ,जो इस तरह अचानक से चलें गए , जिसकी एक कातिलना नज़र ही किसी घायल कर जाये । आरुषि मलेरिया से पीड़ित है । सोनालिका अक्सर ही आरुषि से मिलने हॉस्पिटल आ जाती है ।
आरुषि जब निन्द से जगती है तभी सोनालिका ,आरुषि को बताती है कि ,एक सुंदर सा नोजवान तुझे अपलक देख रहा था ,जब तुम सोयी हुयी थी । मेरे आते ही वह अचानक से गायब हो गया ।आरुषि भी सोनालिका के नज़र से ही साहिल को देखने ,और सोचने लग जाती है...।
साहिल एक ईमानदार दोस्त का परिचय देते हुए अपने दिल पर पत्थर रखते हुए ,सौंदर्य को सारी सच्चायी बताता है कि , वो अपने दोस्त के बच्चियों के लिए इतना त्याग कर रही है । उसे लगता है कि उसकी शादी होने से कहीं बच्चियों के पालन में कोई कमी न आ जाये ।
सौंदर्य इतने खूबसूरत कारन जान कर और ज्यादा प्यार आरुषि से करने लग जाता है । वह उससे मिल कर सारी संसय मिटा कर , जल्द ही शादी के बंधन में बन्धने बाला है । ऐसा वह सोच लिया है ।
सौंदर्य की सारी मेहनत रंग लायी है । आज सौंदर्य के लिये वह दिन आ गया है , जिसका उसे कब से इंतजार था । उसे ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं हो है , हो भी तो क्यों हो , जिसका इन्तजार वह पलके बिछाये जो कर रहा था । वह दिन आज आ गई ।
आज सौंदर्य और आरुषि की शादी जो होने जा रही है ....।