🍃💓🍃दीपावली नजदीक आ गई है माँ साफ सफाई में लग गई है ।बेटी सोनालिका को हिदायत मिलती है कम से कम वह अपना कमरा खुद से अच्छी तरह साफ करेगी ही ।इधर बेटी को घूमने और गप्पे लड़ाने से फुर्सत ही नहीं है ।
दिवाली में क्या शॉपिंग करनी है क्या ड्रेस पहननी है बस उसी का चिन्ता उसे सता रही है ।माँ रोज रोज एक ही रट लगा रही है कि तुम्हें अपने कमरे की सफाई करनी है वो भी अच्छी तरह से ।
इधर बेटी साहिल से मीठी मीठी गन्दी बातें करने में व्यस्त है । दरअसल बेटी को फुरसत ही नहीं हो रही है कि वह सफाई करें ,इस वजह से वह टाल मटोल कर रही है
दिवाली की शॉपिंग के लिए वो साहिल को टाइम दे चुकी है कि शॉपिंग उन्हीं के साथ करनी है । बेचरा साहिल भी इंतजार में है शायद आज पसंद बाली मुहर लगे और फोटो की भी कुछ जिक्र कई सोनालिका ।
पर ऐसा कुछ नहीं हो पाया है । दोनों ने एक से एक मॉल घूम लिए एक भी गाउन जो वो दिवाली के लिए वो लेने बाली है , पसंद नहीं आ रही है उसे ।कई दुकान जाने के बाद साहिल ने कहा कि मै अब थक सा गया हूँ ,जब तक नास्ता चाय ना मिले मैं आगे बढ़ने बल नहीं हूँ ।
एक अच्छी सी रेस्टुरेंट में दोनों चाय नास्ता के लिए बैठते है ।संजोग से माँ पापा भी कुछ दिवाली की खरीदारी के लिए बाज़ार आये हुए है । उन्होंने भी चाय के लिए इसी रेस्टुरेंट में आए हुए है । संजोग वश सोनालिका मस्त से साहिल के कंधे पर पर अपना केहुनी टिकाये चाय का चुस्की ले रही है । उसी समय माँ पापा की इंट्री होती है दोनों से ही दोनों की आई कानटेक्ट हो जाती है सोनालिका को देख माँ पापा तो खुश हो रहे है । सोनालिका शर्म से पानी पानी हो रही है कि ये मैं ये क्या दिख रही हूँ अपने पापा माँ के लिए मैं कितनी गलत समझी जाऊगी ।
पर उम्मीद के विपरीत माँ पापा गुस्सा मे नहीं दिख रहे है ।
उसे तो ज्यादा कुछ समझ नहीं आया । उसे लग रहा है फटा फट कैसे भागे । सिंपल ओपचारिक निभा बेटी फटाफट घर के लिए रवाना हो गई ।
आज से वह अब बस अच्छी बेटी बनेगी माँ का सारा बात मानेगी ,आदि आदि सोचते सोचते खुद से अच्छी बेटी बनने का प्राण ले रही है ।
अब पूरी दिवाली बस खरीदारी ही नहीं ,सफाई के लिए भी पूरी तरह ध्यान देगी ।घर आ फटाफट घर की सफाई जुट गई ताकि माँ पापा को घर आने से कुछ शिकायत का मौका ना दे कैसे ।
काम फटाफट अपने कमरे से स्टार्ट की हैं ,वैसे भी माँ कब से अपने रूम की सफाई खुद से करने की सलाह दे रही थी । फटाफट ऊपरी सफाई खत्म कर सारे वाल ,वगेरह् की सफाई कर वह बैग और ड्रॉवर को ठीक कराने किसोस्ने लगी फिर थोड़ी प्यास सी लगी सोची देख लूँ माँ लोग तो नहीं गए ।जल्दी एक गिलास पानी पी ..उन्होंने देखा कि अभी भी वे लोग नहीं आए है तो ...सोची अच्छी बेटी बनने का मौका मिला पूरे सफाई कर के ही दम लूँ सफाई करने में थकने के वावजुद भी वो काम जारी रखती अलमारी ड्रावर की सफाई कर के ही आज मैं दम लूँ ऐसा सोच वह काम को जारी रखी हुई है ।
सारे कपड़े ,पेपर आदि सजा के रखने में वो लिफाफा उसके हाथ से गिर जाता है जिसे कुछ दिन पहले माँ ने उसे दिया था ,कि किसी लड़के का फोटो है देख लेना पर देखना क्या उस लिफाफे को तो उसने हाथ भी नहीं लगाया , आज अच्छी बेटी बन , उस लिफाफे को भू देख ही लूँ ...माँ भी क्या सोच रही होगी ।
उस ने थोरी आराम के मुद्रा में बैठ लिफाफे को खोल देखने लग गई ...
अरे वह ये क्या देख रही है ...
😊😊😊इसमे तो साहिल की तस्वीर ...है उसकी खुशी का तो जैसे ठिकाना ही नहीं हो रागा है ....लगा दुनिया की सारी ख़ुशी उसे मिल गई ...
और कुछ मागने के लिए रहा ही नहीं ....
उफ माँ क्या सोच रही होगी ....कि उसकी पसंद को मै ऐसे खुद उसके साथ समय बिता कर पसंद कर रही है , .... पर बात तो यहाँ बिल्क़ुल कुछ और ही है ।
ओह गॉड 😊😊😊ये क्या हो रहा है अब समझी ...रेस्टुरेंट में माँ पापा ने कोई गुस्से बाली ...प्रति क्रिया क्यों नहीं दी ।🥰🥰🥰👰👰👰
सोनालिका के चेहरे से लड्डू जैसे फुट रहा खुशी के मरे वह कैसे फेस करेगी अब अपने पेरेंट्स को....
संजोग से तभी कॉल वेल बजती है । वह शर्मीली सी शरमा सरमा कर गेट खोलने गई पर , एक पड़ोस के अंकल के एक रिस्तेदार थे जो , पापा को खोज रहे थे ...पापा नहीं है अभी घर में ...ये बातें बोल वह अंदर आ गई ...उसे बस अपने माँ पापा का इंतजार है । लौट के कमरे में आती है माँ क्मरे की सफाई देख खुश तो होगी ना ...ये सोच वह माँ के नजरों से कमरे को देखती है । कमरे माँ के नजरों से भी देखाने में चकाचक ही लगा सोनालीका को ।
इस सचमुच में ही माँ पापा ही थे , जल्द सोनालिका ने दरबाजा खोला ...बेटी छुई मुई सी शर्मा रही थी ...मा पापा को कुछ समझ नहीं आ रहा था । अभी अभी तो कुछ समय बेटी मिली तो ऐसा कुछ तो उसके चेहरे पर तो देखने नहीं मिल रहा था । अभी अभी बेटी को क्या हो गया ..बेटी दरबाजे खोलते ही सरमा कर अपने रूम में भागी । माँ भी थोड़ी देर में बेटी के रूम में गई ...तो देखी बेटी का रूम एकदम से चकचक है ।सभी सामान सलीके से रखे हुए है । हर कुछ ही करीने से सजे है ।टेबल के हर चीज़ अपने जगह है ... बस एक चीज़ ...लिफाफा है जो उसी लड़के का फोटो , जिसे कुछ दिन पहले वो सोनालिका को पक्ररायी थी ,और जिससे अभी अभी वह रेस्टुरेंट में भी मिली थी ...
तभी तो इतना ये लड़की नहीं शर्मायी थी ....
माँ को देख ...बेटी को कुछ सूझ नहीं रहा था ..वह प्यार से उन्हें गले से लगा ली । अब माँ को समझते देर नहीं लगी कि बेटी इस फोटो को ......सफाई के दरम्यान ही देखा है ..जिससे ये भाव विह्वल हुए जा रही है ....और अपनी माँ के गले ऐसे लगी है कि हटने का नाम ही नहीं ले रही है । माँ भी खुश हो रही है पर कुछ बोलने का बेटी मौका बेटी दे तब तो । फिर अचानक से बेटी हटी और बोली ...ओ माँ तूने तो मेरी दिवाली कुछ ज्यादा ही रौशन कर दी ...। और फिर दुवारा गले लगा लेती है माँ को ..
।इस पर माँ बोलती है चलो पापा से भी मिल ले ..
इस पर बेटी कहती है - अभी नहीं माँ .... वह रूम से निकल ही नहीं पा रही है । आज वह खाना भी अपने रूम में ही खाई ...। वह सोच रही है अपने ऑफिस के कलिग् को इस तरह से बताएगी ...तो फ्लने को इस तरीके से बताएगी अपने साहिल के बारे में अब ...
उसे तो माँ पापा से बस हामी चाहिए थी वह तो उसके जानकारी में मिल गई थी । यही सब सोचते सोचते जाने कब वह सो जाती है । सोने में फिर वहीं साहिल बलि प्यारी सपने में वह खो गई है ....
सुंदर सुंदर ढेरो सपने के साथ ...अब तो सपने में माँ और पापा भी आने लगे है .....।😄😄