दोनों एक जोब के इंटरव्यू में पहुंचे है । दोनों एक दूसरे के पहुचने से अंजान । सोनालिका जब अपने बारी का इंतजार कर रही थी , तो देखा कि शाहिल यहाँ इंटरव्यू देकर लौट रहा है । साहिल को देखते ही पहले तो सोनालिका मुस्कायी पर तुरत ही आपा खो चिल्लायी , तुम यहाँ भी । जब देखो डिस्टर्ब ....। साहिल बस मुस्कान बिखेर दिया । उसने देखा कि सबकी नज़र बस उसी दोनो पर है । लेकिन इस तरह सोनालिका का रवैया उसे परेशान कर दिया । सोनालिका उतना सोची नहीं ....बस बोल गई ।
उसे लग रहा है कि मेरी नौकरी कहीं , मेरे हाथ से न निकल जाये, बस वो अन सेक्योर फील कर रही है । सोनालिका को लग रहा है कि , नौकरी कहीं मेरे हाथ से निकल ना जाये । इसलिए शायद थोड़ा चिढ़ गई है ।
इस जॉब के लिये दोनों सेलेक्ट कर लिये गये , क्योंकि यहाँ लेडीज़ एवं एक जेन्ट्स दोनों की जरूरत थी । पर दोनों अंजाने थे इस बात से । सोनालिका को लगा कि नौकरी कहीं मेरे हाथ से निकल न जाये इसलिए शायद वो थोड़ा चिढ़ गई है । अंदर से वो शाहिल के लिये नर्म ही है । लेकिन सोनलिका का मिजाज देखकर साहिल पॉजिटिव थिंकिंग उसके लिये नहीं कर पा रहा है । दोनों ही , एक - दूसरे को अपना विरोधी समझ रहे है ।
दोनों नियमित ऑफिस आने लगे है , लेकिन बनाव दोनों में कभी नहीं रहा है । दोनों एक ही ऑफिस मे आते है , पर साथ कभी नहीं आ पाये । शाहिल अपने बाइक से , और सोनालिका अपने स्कूटी से ।
दोनों के ऑफिस चलने का टाइमिंग भी एक ही हैं । घर से दोनों लगभग एक ही वक्त पर निकलते है । रास्ते में अक्सर ही दोनों मिल जाते हैं , परन्तु एक चिढ़ सा दोनों के आँखों में दिखाई देता है । दोनों में लगता है किस जन्म का जैसे दुश्मनी हो । दोनों एक दूसरे को देखते ही मुँह फेर लेते है । ये कैसी चिढ़ है , किसी को कुछ समझ नहीं आता है । ऑफिस के अंदर भी कभी दोनों में कोई बनाव नहीं रहा है । ऐसा सबों को दीख भी जाता है । हर कोई कहता है , कि इसकी क्या दुश्मनी है समझ नहीं आता है । इस तरह समय बीत रहा है । दोनोंकी नोक - झोक में कोई कमी नहीं आई ।
अक्सर ही दोनों रास्ते में टकराते है पर अजनबी से ज्यादा दोनों कुछ नहीं रह पाते है । ना जाने क्यों कांटे का टक्कर रहा दोनों में । दोनों का कोई भी मौका हो आपस में टकराहट चालू ही रहता है । चाहे कोई आफिस पार्टी हो या वन - भोज आदि , कभी दोनों साथ - साथ नहीं रहे । आकस्मिक दोनों एक साथ अगर हों भी जाते है तो वो एक दुसरे से कन्नी काटते हुए , दोनों अलग - अलग हो जाते है । इस टकराहट की वजह कोई भी जान नहीं पाता है । एक दिन साहिल अपने भाई के बच्चे की बर्थ डे पार्टी मे सभी ऑफिस बालो को आमंत्रित किया , हर कोई समय पर समारोह में पंहुचा , सिवा सोनालिका का । वह कोई बहना बना गयी । सबों ने माना कि वह जानबुझ कर ही नहीं आयी ।
कुछ दिन वाद ऐसे ही सोनालिका की चचेरी बहन की शादी हुई , सभी ऑफिस बाले आमंत्रित थे , सबों ने पँहुचना मुनासिब समझा सिबा ,साहिल के । ये कैसी दुश्मनी थी जो सबों के समझ से परे था ।
कुछ दिनों से सोनालिका देख रही है कि एक विशेष जगह पर एक लड़की साहिल को घुरती है , लेकिन साहिल अपने में मगन अपनी सवारी पर आगे बढ़ जाता है ।सोनालिका सोचती है , मेरा क्या कोई लड़की लाइन मारे इस मगरूर साहिल को...... । मेरी बला से ...फिर वो आगे कुछ नहीं सोचती है । दोनों इस तरह आगे बढ़ जाते है। इस तरह का नज़ारा सोनालिका को अक्सर ही दिख जाता है । पर वह नज़र अंदाज कर आगे बढ़ जाती है । शायद ये सब से साहिल अनजान है ।
एक दिन साहिल की बाईक आगे और सोनालिका का स्कूटी पीछे - पीछे चल रही थी । हल्का - हल्का बूंदा - बांदी हो रहा थी । सडक लगभग सुनसान सा था । अचानक से सहिल का बाईक एक पत्थर से टकरायी , पत्थर लगा किसी ने जानबूझ कर रख दिया हो । तभी वहीं अंजान लड़की जिसे सोनालिका ,पीछे से ही साहिल को घुरते हुये कई बार देखी थी ,और इगनोर करती थी । वही लड़की झटके से आयी , और पत्थर से बाइक टकराने के कारण , बाईक लुढ़क जाती है । लगभग लड़खराते हुए बाईक से , गिरते हुये साहिल को , लूटने का प्रयास करती है । गिरने के दौरान साहिल कुछ घायल सा हो गया है । वह लड़की झटपट में उसके मोबाइल ,पर्स , घड़ी आदि खिचने लगती है । लड़की की नज़र जैसे ही साहिल के हीरे की अँगूठी पर जाती है , वह उसे खीचने का प्रयास करने लगती है । साहिल अपना हाथ छुपाने की कोशिश करता है तो , लड़की एक धारदार छुरा निकाल लेती है । इतने में शाहिल को वही पत्थर पर नज़र जाता है , जिससे उसके बाइक का बैलेंस बिगाड़ कर , गिराने के लिये पत्थर रखा गया था । साहिल झट - पट उस पत्थर को उठा कर , उस लुटेरी लड़की पर चला देता है । जिस कारण उस लड़की को पत्थर सिर से टकरा जाता है और लड़की को सिर में गंभीर चोट लग जाती है । वो वहीं पर लुढ़क जाती है । वहां से तत्काल गुजरती गाड़ी के ड्राइवर , बस इतना देख पाते है कि , साहिल ने पत्थर से उस लड़की को मारा , और मर गई । पूरी प्रत्यक्षदर्शी बस सोनालिका ही होती है । जो सच्ची गवाह हो सकती है । तत्काल जिस गाड़ी के ड्राइवर ने भी गवाह दिया , सभी ने कहा कि , शायद उस अजनबी सुंदर सी लड़की , को ये लड़का छेड़ रहा था । इसी वजह से दोनों में मुठभेड़ हो गई । और इस शैतान लड़का ने उसकी हत्या कर दी ।
सभी क्षनिक प्रत्यक्ष दर्शी के अनुसार साहिल हत्यारा साबित हो जाता है । सोनालिका को कुछ समझ नहीं आ रहा है । वह पता नहीं क्यो कुछ बोल नहीं पा रही है .... ।
पुलिसवाले आये और साहिल को ही हत्यारा मान थाना
लेकर चली जाती है , और साहिल को जेल हो जाता है । उस दिन के पूरी रात सोनालिका जगी ही रह जाती है । पता नहीं ये उसका सच न बोल पाने के कारण हो रहा है , या कुछ और । पता नहीं क्यों वह पल भर भी सो नहीं पायी है । उसे पता है साहिल ने जो कुछ भी किया है , अपने जान के बचाव में किया है । उसे लगता है वह सही मायने में कुछ कर सकती है .........।