देहरादून : आखिरकार मोदी और शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कमान उस शख्स को सौंपी, जो संगठन चलाने में माहिर है। पार्टी के राष्टीय सचिव और झारखंड के इंचार्ज त्रिवेंद्र सिंह रावत को मोदी से नजदीकियों का इनाम मिला है। कभी जब मोदी संघ और भाजपा संगठन को मजबूत करने का ओहदा संभाल रहे थे, तब उत्तराखंड में रावत उनके सहयोगी हुआ करते थे। मोदी को भरोसेमंद मुख्यमंत्री चाहिए था। यह तलाश उनकी रावत पर आकर खत्म हुई। शुक्रवार को विधानमंडल दल की बैठक में रावत को विधायकों ने नेता चुन लिया। इस प्रकार रावत ने प्रकाश पंत, सतपाल महराज आदि दावेदारों को पीछे छोड़ दिया.
त्रिवेन्द्र सिंह रावत का जन्म 20 दिस्म्बर, 1960 को उत्तराखंड के एक गांव खैरासैण में हुआ था.
उनके पिता की नाम श्रीप्रताप सिंह रावत और माता का नाम श्रीमतीबोद्धा देवी था.
उनकी पत्नी श्रीमतीसुनीता रावत सरकारी स्कूल में शिक्षिका हैं. इन से त्रिवेन्द्र को दो बेटियां हैं.
ये पत्रकारिता में पोस्टग्रेजुएट हैं.
1979 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे.
वह 1983 से 2002 तक आरएसएस के प्रचारक रहे.
1985 में देहरादून महानगर के प्रचारक बने.
1993 में भारतीय जनता पार्टी के संगठन मंत्री बने.
वर्ष 2002 मे डोईवाला विधानसभा क्षेत्र से प्रथम बार विधायक चुने गए.
वर्ष 2007 में दूसरी बार डोईवाला से विधायक चुने गए.
2012 के विधान सभा चुनाव में डोईवाला सीट छोड़ उन्होंने रायपुर विधान सभा से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए.
2013 में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी गई.
2014 लोक सभा चुनाव में उत्तरप्रदेष में अमित शाह के साथ सहप्रभारी की जिम्मेदारी दी गई. जिसमें उन्होंने उत्तरप्रदेश से लोकसभा में 73 प्रत्याक्षियों को जितवा कर भेजा. वह 2007-2012 के दौरान राज्य की बीजेपी सरकार में कृषि मंत्री भी रहे.
2017 के चुनाव में उन्होंने 24869 मतों से विजय प्राप्त की.
अक्टूबर 2014 में उन्हें झारखण्ड के प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. उनके नेतृत्व में पहली बार झारखण्ड में बीजेपी की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी.
भाजपा ने उत्तराखंड की 70 में से 57 सीटें जीती हैं. त्रिवेंद्र रावत का शपथ ग्रहण 18 मार्च को शाम तीन बजे परेड ग्राउंड में होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी मौजूद रहेंगे. देश के कई अन्य प्रमुख पार्टी नेताओं के भी समारोह में शिरकत करने की संभावना है.