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पौराणिक

hindi articles, stories and books related to Pauranik


एक बार द्वारकानाथ श्रीकृष्ण अपने महल में दातुन कर रहे थे । रुक्मिणी जी स्वयं अपने हाथों में जल लिए उनकी सेवा में खड़ी थीं । अचानक द्वारकानाथ हंसने लगे । रुक्मिणी जी ने सोचा कि शायद मेरी सेवा में कोई ग

भगवान श्रीगणेश की पूजा बिना सिंदूर के अधूरी मानी जाती है । उनकी पूजा में तीन वस्तुएं अत्यंत आवश्यक मानी गयी हैं—दूर्वा, सिंदूर और मोदक । जानें, क्या है श्रीगणेश को सिंदूर लगाने का पौराणिक प्रसंग।भगवान

भगवान अथार्त ब्रह्म परमात्मा परमेश्वर निराकार है या साकार है । इस पर हमेशा से ही भिन्न भिन्न विचार लोग रखते आये हैं व प्रायः विद्वान् जनो व भक्तों ने भी इस पर अपनी अपनी राय अपने अपने साधन व साधन की सफ

हमारे धर्म एवं संस्कृति में तीर्थयात्रा का बड़ा महत्व है, कहते है, तीर्थयात्री के लिए कुछ भी वस्तु अलभ्य नही है । वह जो चाहे, वह सबकुछ पा सकता है । किंतु आज के समाज मे , तीर्थयात्रा पर भी सवाल है, लोगो

सुलोचना वासुकी नाग की पुत्री और लंका के राजा रावण के पुत्र मेघनाद की पत्नी थी। लक्ष्मण के साथ हुए एक भयंकर युद्ध में मेघनाद का वध हुआ। उसके कटे हुए शीश को भगवान श्रीराम के शिविर में लाया गया था। 

|| मां कामाख्या देवी कवच || महादेव उवाच शृणुष्व परमं गुहयं महाभयनिवर्तकम्।कामाख्याया: सुरश्रेष्ठ कवचं सर्व मंगलम्।। यस्य स्मरणमात्रेण योगिनी डाकिनीगणा:। राक्षस्यो विघ्नकारिण्यो याश्चान्या विघ्नकारिक

महाभारत अनगिनत कहानियों से भरा हुआ है. जीवन को समझना है तो महाभारत के विभिन्न पात्रों से जुड़ी हुई घटनाओं को पढ़कर बहुत कुछ जाना जा सकता है. महाभारत में ऐसा ही प्रसंग है योद्धाओं की अंतिम इच्छा से जुड़ा

महाभारत अनगिनत कहानियों से भरा हुआ है. जीवन को समझना है तो महाभारत के विभिन्न पात्रों से जुड़ी हुई घटनाओं को पढ़कर बहुत कुछ जाना जा सकता है. महाभारत में ऐसा ही प्रसंग है योद्धाओं की अंतिम इच्छा से जुड़ा

महाभारत अनगिनत कहानियों से भरा हुआ है. जीवन को समझना है तो महाभारत के विभिन्न पात्रों से जुड़ी हुई घटनाओं को पढ़कर बहुत कुछ जाना जा सकता है. महाभारत में ऐसा ही प्रसंग है योद्धाओं की अंतिम इच्छा से जुड़ा

स्वायम्भुव मनु की तीन पुत्रियाँ थीं – अकुति, देवहूति और प्रसूति। इनमें से प्रसूति का विवाह दक्ष नाम के प्रजापति से हुआ। दक्ष को 16 कन्याओं की प्राप्ति हुई। इनमें से एक थी ‘सती’ जिनका विवाह भगवान शिव क

1. वाक् सिद्धि : - जो भी वचन बोले जाए वे व्यवहार में पूर्ण हो, वह वचन कभी व्यर्थ न जाये, प्रत्येक शब्द का महत्वपूर्ण अर्थ हो, वाक् सिद्धि युक्त व्यक्ति में श्राप अरु वरदान देने की क्षमता होती हैं

चींटी को श्रीहरि विष्णु का प्रतीक माना जाता है। प्रहलाद को मारने हेतु विभिन्न प्रकारों से सताया गया था। हिरण्यकश्यपु ने कहा कि यदि हरि पर इतना विश्वास है तो इस दहकते लोहे के खंबे से लिपटकर दिखाओ। तभी

मानस कहता कि जब जीव भगवान के सम्मुख होता है तो कोटि जन्म के पाप माफ कर दिए जाते हैं। यह कर्म फल समाप्त करना ही है।प्रारब्ध कर्म और भगवत्कृपाआसक्ति पूर्वक और फल की इच्छा से करे हुए कर्मों का फल आवश्यक

पुराने समय से ही परंपरा चली आ रही है कि जब भी हम किसी विद्वान व्यक्ति या उम्र में बड़े व्यक्ति से मिलते हैं तो उनके पैर छूते हैं। इस परंपरा को मान-सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। इस परंपरा का पालन आ

भए कुमार जबहिं सब भ्राता। दीन्ह जनेऊ गुरु पितु माता॥गुरगृहँ गए पढ़न रघुराई। अलप काल बिद्या सब आई॥भावार्थ:-ज्यों ही सब भाई कुमारावस्था के हुए, त्यों ही गुरु, पिता और माता ने उनका यज्ञोपवीत संस

एक बार भगवान शिव के मन में एक बड़े यज्ञ के अनुष्ठान का विचार आया। विचार आते ही वे शीघ्र यज्ञ प्रारंभ करने की तैयारियों में जुट गए। सारे गणों को यज्ञ अनुष्ठान की अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंप दी गई। सबसे

जब भी सत्संग की चर्चा चलती है तो चारवेद छः शास्त्र और अठारह पुराण की चर्चा होती है। वेद और पुराणों के नाम सभी जानते है। लेकिन ये छः शास्त्र कोन से हैं। इस प्रस्तुति में हम आपको संक्षेप में बतायेगे।छह

आचार्य चरकचरक एक महर्षि एवं आयुर्वेद विशारद के रूप में विख्यात हैं। वे कुषाण राज्य के राजवैद्य थे। इनके द्वारा रचित चरक संहिता एक प्रसिद्ध आयुर्वेद ग्रन्थ है। इसमें रोगनाशक एवं रोगनिरोधक दवाओं का उल्ल

 बहुत बहुत ज्ञानवर्धक प्रस्तुति है।भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शान्ति एवं मुक्ति मिलती है। कथा की सार्थकता जब ही सिद्ध होती है जब इसे हम जीवन में व्यवहार में धा

शनिदेव दक्ष प्रजापति की पुत्री संज्ञा देवी और सूर्यदेव के पुत्र हैं। यह नवग्रहों में सबसे अधिक भयभीत करने वाला ग्रह है। इसका प्रभाव एक राशि पर ढाई वर्ष और साढ़े साती के रूप में लंबी अवधि तक भोगना पड़त

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