नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पेट्रोल व डीजल में केरोसिन मिलावट को लेकर दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय से 6 हफ्ते में जवाब माँगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेट्रोल पंप पर मिलावट को रोकने के सरकार क्या उपाय कर रही है। कोर्ट ने टिपण्णी करते हुए कहा कि पेट्रोल पंप कारपोरेट और राजनेताओं के है जो नहीं चाहते कि इसके लिए कोई कानून बनाया जाए।
क्या था मामला ?
उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीकरी से बसपा सांसद सीमा उपाध्याय ने इसको लेकर याचिका दायर की थी। इस याचिका में आरोप लगाया था कि हाथरस के पास सादाबाद से विधायक देवेंद्र अग्रवाल पेट्रोल और डीजल में केरोसिन मिलाते हैं। याचिका में कहा गया था कि इसी तरह के धंधे से उन्होंने अपने पम्पों से करोड़ों काम लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सादाबाद से SP के विधायक देवेंद्र अग्रवाल के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।
हाथरस जिले की सादाबाद सीट से सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के विधायक देवेंद्र अग्रवाल के खिलाफ जिले के थाना सहपऊ में 6 अगस्त 2008 को आर्थिक अपराध शाखा कानपुर के इंस्पेक्टर रमेश चंद आजाद ने तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष और पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय की पत्नी सीमा उपाध्याय की शिकायत पर जांच के बाद फर्जी अभि लेख ों के आधार पर डीजल की बिक्री का पेटी डीलर का लाइसेंस प्राप्त करने के मामले में आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 तथा 120बी के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वाक़ई इस तरह के मामले दूर-दराज के इलाकों में बढ़ रहे हैं। साथ ही अब पेट्रोलियम मंत्रालय को चार हफ्ते में इसकी जाँच रिपोर्ट देनी होगी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि पेट्रोल पम्पों पर क्या कोई ऐसा उपकरण लगाया जा सकता है जिससे मिलावट किया गया पेट्रोल या डीजल बाहर ही न आए।