नई दिल्ली: मुंबई के ठाणे के मुंब्रा में कुछ मुस्लिम लड़कों ने इंसानियत की मिसाल पेश की है। रविवार को 65 साल के वॉचमैन वामन कदम की मौत हो गई तो उनकी पत्नी अपने बच्चों का इंतजार करती रही। लेकिन कोई नहीं आया। जब सुबह तक दोनों बेटे और कोई भी रिश्तेदार नहीं आया तो वामन की विधवा पत्नी ने मोहल्ले के मुस्लिम युवकों ने मदद मांगी। एक ही बुलावे पर कुछ युवक महिला की मदद के लिए आ गए।
पंडित को भी बुलाया
महिला चाहती थी उनके पति का अंतिम संस्कार पूरे रीति-रिवाज से हो सके। महिला के कहने पर इन युवको ने पंडित को भी बुलाया। इन युवकों ने बाकायदा अर्थी को कंधा दिया और श्मशान पहुंचाया। हालांकि आग देने से पहले वामन का बेटा वहां पहुंचा लेकिन आग देकर बिना किसी को कुछ कहे वहां से चला गया। इन युवकों ने न सिर्फ अंतिम संस्कार किया बल्कि दूसरे दिन श्मशान पहुंचकर अस्थि संचय भी किया। इस अंतिम संस्कार में करीब 40मुस्लिम युवक शामिल हुए।
अब करेंगे देखभाल भी
इन पूरे वाकये को देख वामन की पत्नी ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि उनके पति का अंतिम संस्कार इतने अच्छे ढंग से होगा। वामन की मौत के बाद मोहल्ले के इन युवकों और पड़ोसियों ने उसकी पत्नी की देखभाल की जिम्मेदारी भी ली है।