पितृ पक्ष या पितरपख, १६ दिन की वह अवधि (पक्ष/पख) है जिसमें हिन्दू लोग अपने पितरों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करते हैं और उनके लिये पिण्डदान करते हैं। इसे 'सोलह श्राद्ध', 'महालय पक्ष', 'अपर पक्ष' आदि नामों से भी जाना जाता है।
पितृपक्ष अथवा श्राद्ध क्या है?शास्त्रों के अनुसार जब हम पितृपक्ष में अपने पित्रों के निमित्त, अपनी सामर्थ्य अनुसार और श्रद्धा-पूर्वक जो श्राद्ध करते हैं, इससे हमारे मनोरथ पूरे होते हैं और घर-परिवार मे
पितृपक्ष की वेलाजब पितृपक्ष की घड़ी आती है,पूर्वजों की याद जगाती है।श्राद्ध, तर्पण, व्रत-उपवास,हृदय में उमड़ता आदर-विश्वास।वो जो चले गए अमर गगन में,वो जो बसते हैं हमारे मन में,आशीर्वाद की छाया फैलाते
पितृपक्ष आने वाले था।राघवेन्द्र पिता के श्राद्ध की तैयारी के सामान की सूची अपने बजट को ध्यान मे रख बना रहा था तभी उसकी माँ कौशली उसके पास आकर बैठ गयी और पूछने लगी बेटा क्या कर रहे हो ?? मां अगले हफ्ते
ऋग्वेद के अनुसार यान्ति देवव्रता देवान्पितॄ न्यान्ति पितृव्रता: | भूतानि यान्ति भूतेज्या यान्ति मद्याजिनोऽपि माम् || भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृ पक्ष