मेरे मानस पुत्रों
यदि संवाद विवादके लिए करना है, बेहतर है हमदोनों ही चुपचाप रहें |मलिन मनों कीपीड़ा और गुबारों को दबा जतन से , अपने भीतर कहें,सहें |भीतर की गहराई,सागर से भी अधिक निराली है |निविण अंधेरे मेंभी, भीतर जगमग जग दीवाली है |अगर अँधेरा भीतरछाया, समझो बंटाधार हुआ |दक-दक हँसताअंगारा, पल भर में बुझकर क्षारहुआ |अप