इंसानियत का चेहरा है प्यार और करुणा का,जिसमें दया और ममत्व की झलक प्रेरणा का।यह एक ऐसा रिश्ता है जो सबको जोड़ता है,और दिलों को ये कभी न तोड़ता मरोड़ता है।इंसानियत की आँखें भावासिक्त अश्रुपूरित,जो दूसर
अगर है तेरे अंदर इंसानियत की महक, इंसान का दिल ना दुखायेगा कभी। सदाचार, सद्विचार, सद्व्यवहार होंगे तेरे हथियार, शिष्टाचार जीवन का भूल ना जायेगा कभी।।काम, क्रोध, मद, लोभ मोह अगर , द
इंसानियत इंसान की पहचान है ! इंसानियत होने से वह इंसान है !! इंसानियत जिसमें नहीं इंसान क्या ! इंसान होकर भी पशु के समान है !! १ आज करुणा प्रेम गायब हो गये ! मन के सारे भाव शायद सो गये !! कुटिल
समझ से चल ए राहगीर एक तेरा ही हक नहीं सभी का यही पर है मुकाम दुसरे का क्यो छीनना जब तुम्हारे लिए दिया है। वो समझ गहरा विकसित कर कोई जीव तुम्हारा भोजन बने क्या तुम भी किसी का भोजन हो
मर गई इंसानियत, बस शरीर जिंदा है मर गई इंसानियत, बस शरीर जिंदा है, दिलों में अब न वो जज़्बात, न वो रिश्ता ज़िंदा है। जहाँ कभी मोहब्बत की थी इबादत होती, वहाँ अब नफरत का ही दस्तूर जिंदा है। हर तर