अहंकार से जीत प्रेम से हार नहीं होती हिमालय पर बैठकर गंगा पार नहीं होती॥ जो निन्यानवे पर आउट होने से डरते हैं वो शतक कहाँ पूरा करते हैं ॥
तू मेरी क़िस्मत है मेरे हाथों पे सजाया गया है तुझे मेरे लिये तू ज़मीं पे उतरी है जैसे आसमां को लिये तेरी पलकों के दरवाज़े खुलते बंद होते मेरे लिये गुलाब सी पँखुडी़ लिये दो लब तेरे चेहरे
इश्क़ की वजह नहीं होती इश्क़ तो बेमतलब होता है मतलब की इसमें कोई बात नहीं होती इश्क़ इक तरफ़ा हो या दो तरफ़ा इसमें दीवार नहीं होती इश्क़ कोई भी कर सकता है इसकी कोई जात नहीं होती इश्क़
आज तनिक अनमनी व्यथित होसोचा कैसा जीवन है यह?रोज़ एक जैसी दिनचर्या !न कुछ गति न ही कोई लय !!इक विचार फिर कौंधा मन में चलो किसी से बदली कर लें कुछ दिन कौतूहल से भर लें ,कुछ नवीन तो हम भी कर लें!एक -एक कर सबको आँका सबकी परिस्थिति को परखाकुछ-कुछ सबमें आड़े आयानहीं पात्र फिर कोई सुहाया !कहीं बहुत