गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं कि जो भी मनुष्य भगवद गीता की अठारह बातों को अपनाकर अपने जीवन में उतारता है वह सभी दुखों से, वासनाओं से, क्रोध से, ईर्ष्या से, लोभ से, मोह से, लालच आदि के बंधनों से मुक्त हो जाता है। आगे जानते हैं भगवद
ऐतिहासिक जगत् के प्रारम्भ से लेकर वर्तमान काल तक मानव-समाज में अनेक अलौकिक घटनाओं के उल्लेख देखने को मिलते है! आज भी, जी समाज आधुनिक विज्ञान के भरपूर आलोक में रह रहे है, उनमें भी ऐसी घटनाओं की गवाही देनेवाले लोगो की कमी नहीं।
माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएं छायावाद का सर्वोच्च रूप लिए हुए हैं इसलिए उनकी कविताएं प्रकृति के अधिक निकट हैं। उनकी लेखन भाषा भी हिंदी के उस काल का प्रतिबिम्ब है।
One night last night 🌃 विधि राघव के प्यार को चार साल से ज्यादा हो गए थे, विधि का राघव के लिए प्यार और गहरा होता जा रहा था । विधि अपनी हर खुशी को राघव में ही ढूंढने लगी थी हर काम में लगन लगने लगी थी , क्योंकि प्यार हद पार करने लगा था । विधि राघव स
सीमा सुरक्षा में लगे सिपाही को कभी-कभी अपनी हृदय की भी सुननी पड़ती है। कभी-कभी मानवता भी दिखानी पड़ती है । मानता वाली भावना की वजह से सीमा सुरक्षा में तैनात सिपाही धर्म संकट में पड़ जाता है।
चाणक्य (अनुमानतः 376 ई॰पु॰ - 283 ई॰पु॰) चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। वे कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी विख्यात हैं। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान ,और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग ,जनकल्याण तथा अखंड भारत के निर्माण
सपने पर आधारित कहानी
दिसम्बर का महीना । तुम्हारी हमारी इस मुलाकात का आखिरी महीना।चलो सखी करे मन की बातें ढेर सारी तुम हम एक साथ।
यह किताब गीता दर्शन पर आधारित है। आज के युग में गीता दर्शन की प्रासंगिकता एक ऐसा विषय है जो हमें सोचने पर मजबूर करता है की गीता केबल महाभारत के युद्ध क्षेत्र का वर्णन नहीं है, अर्जुन और कृष्ण के मध्य संवाद नहीं है बल्कि युद्ध क्षेत्र में अर्जुन के मन
कठनाई रास्ते का कांटा नहीं,अपितु अवसर होता है,कुछ कर दिखाने का
कला और बूढ़ा चाँद छायावादी युग के प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत का प्रसिद्ध कविता संग्रह है। पंत जी की कविताओं में प्रकृति और कला के सौंदर्य को प्रमुखता से जगह मिली है। इस कृति के लिए पंत जी को वर्ष 1960 में 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' द्वारा सम्मानित
वृन्दावनलाल वर्मा (०९ जनवरी, १८८९ - २३ फरवरी, १९६९) हिन्दी नाटककार तथा उपन्यासकार थे। हिन्दी उपन्यास के विकास में उनका योगदान महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने एक तरफ प्रेमचंद की सामाजिक परंपरा को आगे बढ़ाया है तो दूसरी तरफ हिन्दी में ऐतिहासिक उपन्यास की धार
चाणक्य का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था, और उन्होंने तक्षशिला में अपनी शिक्षा प्राप्त की, जिसे कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है। वह मौर्य साम्राज्य (322-185 ईसा पूर्व) के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य (आरसी 321-सी.297 ईसा पूर्व) के श
"'युगांत' में 'पल्लव' की कोमलकांत कला का अभाव है। इसमें मैंने जिस नवीन क्षेत्र को अपनाने की चेष्टा की है, मुझे विश्वास है, भविष्य में उस मैं अधिक परिपूर्ण रूप में ग्रहण एवं प्रदान कर सकूँगा।" सुमित्रनंदन पंत छायावादी युग के प्रमुख 4 स्तंभकारों में स
भक्तियोग का एक बड़ा लाभ यह है कि वह हमारे चरम लक्ष्य (ईश्वर) की प्राप्ति का सब से सरल और स्वाभाविक मार्ग है। पर साथ ही उससे एक विशेष भय की आशंका यह है कि वह अपनी निम्न या गौणी अवस्था में मनुष्य को बहुधा भयानक मतान्ध और कट्टर बना देता है।
इस किताब में केवल एक ही रचना है। उम्मीद करता हूँ सबको पसंद आएगी।
डॉ॰ प्रेमशंकर की मान्यता है कि 'लहर' में कवि एक चिन्तनशील कलाकार के रूप में सम्मुख आता है, जिसने अतीत की घटनाओं से प्रेरणा ग्रहण की है। प्रसाद के गीतों की विशेषता यही है कि उनमें केवल भावोच्छ्वास ही नहीं रहते, जिनमें प्रणय के विभिन्न व्यापार हों, किन
अधूरे सपने, अधूरा ख्वाब और ना मुक्कमल हुई जिंदगी को एहसासों के जरिये कोरे काग़ज़ों पर उतारने की अधूरी कोशिश की है..... टूटे सपनों में कितनी खनक होती है आप मेरी इस किताब को पढ़ के शायद महसूस कर पायेंगे...
झरना की कविताओं में कवि के आगामी विकास का आभास प्राप्त हो जाता है और इसी कारण समीक्षक इसे छायावाद युग का एक महत्त्वपूर्ण सोपान मानते हैं। झरना की अधिकांश कविताएँ १९१४-१९१७ ई० के बीच लिखी गईं है। झरना कवि के यौवनकाल की रचना है और इसकी कविताओं से उसकी