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दुर्लभ बन्धु

उन्होंने कई नाटक, रोजमर्रा की जिंदगी का चित्रण, और सफरनामे लिखे। लेकिन, हरिश्चंद्र की सबसे उल्लेखनीय रचनाएँ आम लोगों की परेशानियों, गरीबी, शोषण, मध्यम वर्ग की अशांति को संबोधित करती हैं, और राष्ट्रीय प्रगति के लिए आग्रह करती हैं। अपने जीवनकाल में, ह

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20 अध्याय
7 मई 2022
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बिखरे मोती - सुभद्रा कुमारी चौहान  (कहानियों का संकलन)

'बिखरे मोती' उनका पहला कहानी संग्रह है। इसमें भग्नावशेष, होली, पापीपेट, मंझलीरानी, परिवर्तन, दृष्टिकोण, कदम के फूल, किस्मत, मछुये की बेटी, एकादशी, आहुति, थाती, अमराई, अनुरोध, व ग्रामीणा कुल 15 कहानियां हैं! इन कहानियों की भाषा सरल बोलचाल की भाषा है!

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16 अध्याय
25 अप्रैल 2022
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स्वर्ग और पृथ्वी

कल्पना ने आश्चर्य में भरकर वातायन के दोनों पट खोल दिए। सामने अनंत की सीमा को स्पर्श करता हुआ विशाल सागर लहरा रहा था। तट पर बिखरी हुई उषा की हलकी गुलाबी आभा से चाँदनी की चंचल लहरें टकराकर लौट रही थीं। प्रशांत नीरवता में केवल चाँदनी की लहरों का मंद-मर्

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23 जुलाई 2022
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कहानी

विविध विषयों पर कहानियां

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1 अध्याय
12 जनवरी 2023
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सबै जात गोपाल की

( सामान्य सा एक हाट की गहमा गहमी है। एक पंडित जी और एक क्षत्री एक साथ तकरार की मुद्रा में एक साथ उलझतेहुए दिखते है।) क्षत्री : महाराज देखिये बड़ा अंधेर हो गया कि ब्राह्मणों ने यह व्यवस्था दे दी है कि अब कायस्थ भी क्षत्री हैं। कहिए अब कैसे कैसे राज का

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1 अध्याय
7 मई 2022
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प्रेमजोगिनी

यह संसार तो दुःख रूप आप ही है इसमें सुख का तो केवल आभास मात्र है। ... कुछ चिन्ता नहीं तेरा तो बाना है कि कितना ही भी 'दुख हो उसे सुख ही मानना' लोभ के परित्याग के समय नाम और कीत्र्ति तक का परित्याग कर दिया है और जगत से विपरीत गति चलके तूने प्रेम की टक

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5 अध्याय
7 मई 2022
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संत रविदास जी के शब्द

गुरु रविदासजी का जन्म जन्म काशी में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 1388 को हुआ था। रविदास जी जिन्हें संत रविदास, गुरु रविदास, रैदास, रूहिदास और रोहिदास जैसे अनेको नाम से भी जाना जाता है उनके अनुसार यदि आपके मन में किसी प्रकार का बेर, लालच या द्वेष न

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46 अध्याय
12 अगस्त 2022
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प्रतिनिधि कविताएँ

अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध जी काव्य को लोकगीत एवं मानव कल्याण के साधन के रूप में स्वीकार करते थे | वह कविता को ईश्वर प्रदत्त अलौकिक वरदान समझकर काव्य रचना करते थे | इसीलिए उनके काव्य में सर्व मंगल का स्वर मुखरित होता है उनके काव्य में पौराणिक एवं

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94 अध्याय
16 जून 2022
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 'मुकुल (कविता-संग्रह)

सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म प्रयाग में ठाकुर रामनाथ सिंह के घर हुआ। शिक्षा भी प्रयाग में ही हुई। सुभद्रा कुमारी बाल्यावस्था से ही देश-भक्ति की भावना से प्रभावित थीं। इन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया। विवाह के पश्चात भी राजनीति में सक्रिय भाग लेत

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झाँसी की रानी  (कविता)

सुभद्रा कुमारी चौहान (१६ अगस्त १९०४-१५ फरवरी १९४८) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। झाँसी की रानी (कविता) उनकी प्रसिद्ध कविता है। वे राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं। स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात अपन

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25 अप्रैल 2022
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स्वीकार

पुरूष सत्तात्मक समाज में नारी को बराबरी का हक़ नहीं मिल पाता.. आज भी स्त्री अन्याय और शोषण का शिकार होती है.. उसकी इच्छाओं और महात्वकांक्षाओं को ज़बरन दमित किया जाता है... लड़का अगर कोई भी ग़लती करे तो उसे माफ़ कर दिया जाता है... पर लड़की अगर कोई ग़ल

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संत रविदास जी से संबंधित कहानियाँ

आज माघ महीने की पूर्णिमा है। शास्‍त्रों में इस दिन को बड़ा ही उत्तम कहा गया है इसी उत्तम दिन को 1398 ई. में धर्म की नगरी काशी में संत रविदास जी का जन्म हुआ था। रविदास जी को रैदास जी के नाम से भी जाना जाता है। इनके माता-पिता चर्मकार थे। इन्होंने अपनी

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14 अध्याय
12 अगस्त 2022
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कल्पलता

हरिऔधजी बड़े ही मेधावी, प्रतिभासम्पन्न कवि थे । उन्होंने कविता रचने की प्रेरणा अपने बाबा सुमेरसिंह के सम्पर्क में सीखी । बाल्यावस्था में उन्होंने कबीर की साखियों पर कुण्डलिया लिखकर चमत्कृत कर दिया था । उनका जन्म 15 अप्रैल, 1865 में निजामाबाद में हुआ

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93 अध्याय
15 जून 2022
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चंद्रकांता

पहला प्रसिद्ध उपन्यास चंद्रकांता सन्‌ 1888 ई. में काशी में प्रकाशित हुआ था। उसके चारो भागों के कुछ ही दिनों में कई संस्करण हो गए थे। चन्द्रकान्ता सन्तति (1894 - 1904): चन्द्रकान्ता की अभूतपूर्व सफलता से प्रेरित हो कर देवकीनन्दन खत्री ने चौबीस भागों व

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15 जून 2022
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सोहनलाल द्विवेदी की प्रसिद्ध रचनाएँ

सोहन लाल द्विवेदी (22 फरवरी 1906 - 1 मार्च 1988) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि थे। ऊर्जा और चेतना से भरपूर रचनाओं के इस रचयिता को राष्ट्रकवि की उपाधि से अलंकृत किया गया। महात्मा गांधी के दर्शन से प्रभावित, द्विवेदी जी ने बालोपयोगी रचनाएँ भी लिखीं। 1969 में

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72 अध्याय
16 अगस्त 2022
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जहाँ चाह वहाँ राह..

एक छोटी सी घटना गुरु गोविंद सिंह के जीवनी से..

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पारिजात

हरिऔध जी पहले ब्रज भाषा में कविता किया करते थे | किंतु द्विवेदी जी के प्रभाव से खड़ी बोली के क्षेत्र में आए और खड़ी बोली को काव्य भाषा के रूप में प्रयुक्त किया | यह भारतेंदु के बाद सबसे अधिक प्रसिद्ध कवि थे | जो नए विषयों की काव्य जगत में स्थापना की

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प्रेमपुष्पोपहार

अयोध्या सिंह उपाध्याय का जन्म जिला आजमगढ़ के निजामाबाद नामक स्थान में सन् 1865 ई. में हुआ था। हरिऔध के पिता का नाम भोला सिंह और माता का नाम रुक्मणि देवी था। अस्वस्थता के कारण हरिऔध जी का विद्यालय में पठन-पाठन न हो सका, अतः इन्होंने घर पर ही उर्दू, सं

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61 अध्याय
15 जून 2022
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संत  रविदास जी की पदावली

जिस प्रकार चंदन की सुगंध पानी के बूँद-बूँद में समा जाती है उसी प्रकार प्रभु की भक्ति भक्त के अंग-अंग में समा जाती है। यदि प्रभु बादल है तो भक्त मोर के समान है जो बादल को देखते ही नाचने लगता है। यदि प्रभु चाँद है तो भक्त उस चकोर पक्षी की तरह है जो बिन

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122 अध्याय
12 अगस्त 2022
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चुभते चौपदे

प्रत्येक भाषा के लिये स्थायी साहित्य की आव-श्यकता होती है। जो विचार व्यापक और उदात्त होते हैं, जिन का सम्बन्ध मानवीय महत्त्व अथवा सदा-चार से होता है, जो चरित्रगठन और उल की चरितार्थता के सम्बल होते हैं, जिन भावों का परम्परागत सम्बन्ध किसी जाति की सभ्य

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