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प्रेमजोगिनी

भारतेन्दु हरिश्चंद्र

5 अध्याय
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1 पाठक
7 मई 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

यह संसार तो दुःख रूप आप ही है इसमें सुख का तो केवल आभास मात्र है। ... कुछ चिन्ता नहीं तेरा तो बाना है कि कितना ही भी 'दुख हो उसे सुख ही मानना' लोभ के परित्याग के समय नाम और कीत्र्ति तक का परित्याग कर दिया है और जगत से विपरीत गति चलके तूने प्रेम की टकसाल खड़ी की है। 

premjogini

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पुस्तक के भाग

1

प्रेमजोगिनी

26 जनवरी 2022
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प्रेमजोगिनीं ।। नाटिका ।। श्रीहरिश्चन्द्रलिखिता नान्दी मंगलपाठ करता है- भरित नेह नवनीर नित बरसत सुरस अथोर। जयति अपूरब धन कोऊ लखि नाचत मन मोर ।। और भी- जिन तृन सम किय जानि जिय कठिन जगत जंजाल। जय

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प्रथम अंक

26 जनवरी 2022
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पहिले गर्भांक के पात्र टेकचंद : एक महाजन बनिये छक्कूजी : ऐ माखनदास : वैष्णव बनियाँ धनदास  बनितादास  मिश्र : कीर्तन करने वाला झापटिया : कोड़ा मारकर मंदिर की भीड़ हटाने वाला जलघरिया : पानी भरने

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दूसरा गर्भांक

26 जनवरी 2022
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दूसरे गर्भांक के पात्र दलाल गंगापुत्र तीर्थस्थ ब्राह्मण भंडेरिया लिंगिया दुकानदार सुधाकर रामचंद (नाटक के नायक) का मुसाहब झूरी सिंह बदमाश परदेसी स्थान-गैबी, पेड़, कुआं, पास बावली (दलाल, गंगापु

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तीसरा गर्भांक

26 जनवरी 2022
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स्थान-मुगलसराय का स्टेशन (मिठाई वाले, खिलौने वाले, कुली और चपरासी इधर उधर फिरते हैं।  सुधाकर एक विदेशी पंडित और दलाल बैठे हैं) द : (बैठ के पान लगाता है) या दाता राम! कोई भगवान से भेंट कराना। वि. प

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चतुर्थ गर्भांक : ।। प्रथम अंक ।।

26 जनवरी 2022
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स्थान-बुभुक्षित दीक्षित की बैठक (बुभुक्षित दीक्षित, गप्प पंडित, रामभट्ट, गोपालशास्त्री, चंबूभट्ट, माधव शास्त्री आदि लोग पान बीड़ा खाते और भाँग बूटी की तजबीज करते बैठे हैं;  इतने में महाश कोतवाल अर्थ

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