आज माघ महीने की पूर्णिमा है। शास्त्रों में इस दिन को बड़ा ही उत्तम कहा गया है इसी उत्तम दिन को 1398 ई. में धर्म की नगरी काशी में संत रविदास जी का जन्म हुआ था। रविदास जी को रैदास जी के नाम से भी जाना जाता है। इनके माता-पिता चर्मकार थे। इन्होंने अपनी आजीविका के लिए पैतृक कार्य को अपनाया लेकिन इनके मन में भगवान की भक्ति पूर्व जन्म के पुण्य से ऐसी रची बसी थी कि, आजीविका को धन कमाने का साधन बनाने की बजाय संत सेवा का माध्यम बना लिया। संत और फकीर जो भी इनके द्वार पर आते उन्हें बिना पैसे लिये अपने हाथों से बने जूते पहनाते। रैदास की वाणी भक्ति की सच्ची भावना, समाज के व्यापक हित की कामना तथा मानव प्रेम से ओत-प्रोत होती थी। इसलिए उसका श्रोताओं के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता था। उनके भजनों तथा उपदेशों से लोगों को ऐसी शिक्षा मिलती थी जिससे उनकी शंकाओं का सन्तोषजनक समाधान हो जाता था और लोग स्वत: उनके अनुयायी बन जाते थे।
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