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खुशी

27 जून 2022

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सब को खुश करके 
खुद की खुशी ढूढ़ती थी ।
सब का ख्याल रखती थी 
खुद को नही संभाली थी।
सब को सयम देती पर
खुद को समय न दे पाती थी ।
मन मे पीड़ा होती थी 
चेहरे पर शिकन न लाई थी ।
उम्र बढी तन ढलता सा 
न चुस्ती न फूर्ती थी ।
लापरवा हो गयी हूं  मै 
ये शब्द कानो से सुनती थी ।
थैक्स गुड मार्निग क्लब का
तन मन मे नयी उर्जा पायी हूं ।
तन मन मे स्फूर्ती लाकर 
खुद से प्यार कर पायी हूं ।
अब मै खुद खुश हो कर 
सब को खुश प्यार कर पायी हूं ।

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