दीपोत्सव
दीपोत्सव, दिपावली, अनंत चतुर्दशी, ऐसे अनेकों नाम से अनेकों जगहों पर जाना जाने वाला भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा त्यौहार यानि दिवाली अर्थात दिपोत्सव.
अगर बात करें दिपोत्सव के शुरुआत की तो,
जब प्रभु श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अपनी अयोध्या नगरी में लौटे थे,
तो उनकी प्रजा ने अपने प्रिय राजा के आने के खुशी में हर जगह दीप जलाकर और फूलों से सारी आयोध्या नगरी सजाकर प्रभु श्रीराम का स्वागत किया था और उत्सव मनाया गया था.तभी से दिपावली, दिपोत्सव मनाया जाता है.
और तब से लेकर आज तक पूरे भारत देश में दिपोत्सव मनाया जाता हैं,
हर घर में दीप जलाए जाते हैं, पूरा घर दियों के प्रकाश से प्रकाशमय हो जाता है सारा घर जगमगा उठता है और पूरा वातावरण प्रसन्न हो जाता है.
माँ लक्ष्मी जी की नई मुर्ति की स्थापना कर फूलों से सजाया जाता है, माँ लक्ष्मी के आगे पंचारती जलाई जाती है. और माता लक्ष्मी जी आरती गाकर पूजा आराधना की जाती है.
और बाद में हर जगह पटाखे फोडकर दिपावली उत्सव मनाया जाता है जिससे सारे गाँव में उल्हास और खुशी का माहौल छा जाता है.