करोड़ों रुपये के घाटे से जूझ रहे रेल मंत्रालय की आमदनी बढ़ाने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सफर करने वाले यात्रियों का ट्रेन में सफर करना मुश्किल कर दिया है. आलम यह है कि अगर ट्रेन के प्लेटफार्म से छूटने के चार घंटे पहले आप अपना आरक्षण टिकट निरस्त करने नहीं पहुंचे तो आपको एक फूटी कौड़ी भी रेल विभाग वापस नहीं करेगा और आपकी मेह्नत की कमाई रेल विभाग के खाते में उसी तरह से चली जाएगी जैसे रद्दी की टोकरी में कूड़ा चला जाता है.
करोड़ों रुपये के घाटे से जूझ रहे रेल मंत्रालय की आमदनी बढ़ाने के लिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सफर करने वाले यात्रियों का ट्रेन में सफर करना मुश्किल कर दिया है. आलम यह है कि अगर ट्रेन के प्लेटफार्म से छूटने के चार घंटे पहले आप अपना आरक्षण टिकट निरस्त करने नहीं पहुंचे तो आपको एक फूटी कौड़ी भी रेल विभाग वापस नहीं करेगा और आपकी मेह्नत की कमाई रेल विभाग के खाते में उसी तरह से चली जाएगी जैसे रद्दी की टोकरी में कूड़ा चला जाता है.
महज 140 रुपये ही वापस किये
गौरतलब है कि देहरादून से एक यात्री ने अमृतसर जाने के लिए 605 रुपये का टिकट खरीदा था, लेकिन सीट कन्फर्म न होने के कारण जब उसने अपना टिकट रद्द कराया तो आरक्षण विंडो पर उसके 465 रुपये काट लिए गए और 605 रुपये के टिकट के एवज में उसे महज 140 रुपये ही वापस किये गए. सबूत के तौर पर आप इस टिकट को गौर से देख सकते हैं कि किस तरह से रेल मंत्रालय का खज़ाना रेल मंत्री सुरेश प्रभु की नई रेल व्यवस्था के तहत भरा जा रहा है.
जेबें गरम करने वालों पे प्रभु मेहरबान
सूत्रों कि मानें तो रेल मंत्री सुरेश प्रभु रेल विभाग के टिटियों पर रेल कि आमदनी बढ़ाने के लिए लगाम नहीं कस पाए है. अगर वह चाहते तो ट्रेन में जरनल टिकट पर स्लीपर और एसी में लोग अवैधरूप से सफर नहीं कर सकते और अगर करते हैं तो उनसे जुर्माना वसूल करने का नियम है. मगर अपनी जेब भरने के कारण अधिक तर टीटी ट्रेन में जरनल टिकट पर सफर करने वाले यात्रियों कि रसीद काटने कि बजाय उनसे 100 रुपये स्लीपर के और एसी के 500 रुपये लेकर ट्रेन में अवैधरूप से सफर करने की इजाजत जेब ग्राम होने के बाद दे देते है. जिसके चलते स्लीपर का टिकट लेने वाले यात्रियों का टिकट वेटिंग में होने के बाद उन्हें बैठने कि जगह तक नहीं मिल पाती.
प्रभु जरनल टिकट पर सफर कराने वाले टिटियों पर मेहरबान, टिकट रद्द कराने वालों की हो रही जेब ढीली