... ... पहली बार जब ऑड-इवन फार्मूला शुरू हुआ तो कई महाशयों ने दूसरी कार का जुगाड़ शुरू कर दिया था और इस बार यह लागू होने के बाद लोग पुरानी, नयी नंबर प्लेट वाले वाहनों का जुगाड़ शुरू कर देंगे. अब यह समझना मुश्किल नहीं है कि दिल्ली में वाहनों की संख्या में और ज्यादा बढ़ोत्तरी हो सकती है. आंकड़े बताते हैं कि, पहले ही दिल्ली में बड़ी संख्या में वाहनों की बिक्री 'रोजाना' होती है और शायद संसार में सर्वाधिक वाहनों का संचालन भी इसी शहर में होता है. यहां केवल स्थानीय वाहन ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से आने वाले वाहनों का भी भारी संख्या में संचालन होता है, जिस पर नियंत्रण करने की गुंजाइश खोजी ही जानी चाहिए! दिल्ली सरकार का कहना है कि ऑड-ईवन के पहले फेज में प्रदुषण का स्तर 50 प्रतिशत तक काम हुआ था, हालांकि दिल्ली की हवा की क्वॉलिटी पर कितना प्रभाव पड़ा इस विषय पर तमाम विवाद और विरोधाभास हैं. तमाम विद्वानों की रिपोर्ट अलग-अलग बातें कहती हैं. कोई रिपोर्ट कहती है कि जनवरी का महीना होने से हवा की तेज़ी थी जिसने उस स्कीम के दौरान प्रदूषित हवा को धकेल दिया, तो किसी रिपोर्ट ने यह कहा कि प्रदूषण में धुंआधार कमी आई! वहीं कुछ रिपोर्ट में पंद्रह फ़ीसदी बढ़ोत्तरी की ही बात कह डाली गई. अब सच्चाई जो भी हो...
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