लखनऊ : प्रदेश के राजनैतिक गलियारों में जिस प्रकार की अटकलें लगाई जा रही थी उसके अनुरूप प्रदेश के उप मुख्य मंत्री केशव प्रसाद मौर्या का केंद्र सरकार में जाना निश्चचित हो गया है।
यह अनुमान लगाया जा रहा था कि योगी सरकार की साफ सुथरी प्रदेश की कार्य प्रणाली को देखते हुए राष्ट्रपति चुनाव होने तक केशव प्रसाद मौर्या उप मुख्य मंत्री की कमान संम्हाले रहेंगे परन्तु राष्ट्रपति कोविन्द के पदभार सम्हालते ही आलाकमान प्रदेश में फेर बदल पर ध्यान देगा।
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अब केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम में शामिल हो सकते हैं। इनके केंद्र में वापस जाने के कारण राजनीति क और प्रशासनिक कारण भी है।
महज चार महीने होते-होते जहां प्रदेश सरकार में शीर्ष स्तर पर टकराव की स्थिति बनती दिखाई दे रही है। वहीं विपक्षी एकता और गठजोड़ की कवायद के बीच भाजपा मौर्य के संसदीय क्षेत्र फूलपुर में फिलहाल चुनाव से भी बचना चाहेगी। राज्य सभा से त्याग पत्र देने के बाद फूलपुर से मायावती का चुनाव लड़ने का विचार भी एक अहम पहलू है।2019 लोकसभा चुनाव से पहले विधानसभा चुनाव का जो आंकड़ा रहा है उसके अनुसार 7सपा, बसपा और कांग्रेस का संयुक्त वोट भाजपा के लिए खतरनाक होगा। उससे भी ज्यादा खतरे की बात यह होगी कि चुनाव से डेढ़ दो साल पहले ही विपक्षी एकता की जड़ें पनपने लगेंगी। इसको टालने का सिर्फ एक ही तरीका है कि मौर्य सांसद बने रहें लेकिन उस स्थिति में उन्हें दो महीने के अंदर प्रदेश सरकार से हटना होगा। भाजपा की कट्टर दुश्मन मायावती को भाजपा यूपी से ऐसी किसी सीट से जीतने नही देगी जो भाजपा के पास हो।ऐसी स्थिति में मायावती के हौसले पस्त करने की दिशा में भी इसे एक महत्त्वपूर्ण कदम माना जायेगा।
ऐसे में अगले महीने ही मौर्य को दिल्ली ले जाया जा सकता है। वैसे भी अगले महीने मोदी कैबिनेट के विस्तार की संभावना है।जिसमे केशव प्रसाद मौर्या को सुयोग्य स्थान मिलने की संम्भावना है।
मीडिया सूत्रों की माने तो दूसरा कारण प्रदेश सरकार के भीतर का बनता-बिगड़ता समीकरण भी है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच सब कुछ सहज नहीं है। यहां तक कि मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में भी इसकी झलक दिखी। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री ने परोक्ष रूप से मौर्य के कामकाज को लेकर सवाल उठाया। यह भी माना जा रहा है कि पूर्व सरकार के कुछ हितैषी अधिकारी मौर्या के संरक्षण में फल फूल भी रहे है और जिन्हें मुख्य मंत्री द्वारा भ्रस्टाचार में लिप्त पाया गया है उन्हें मनचाहे पदों पर तैनात भी किया जा रहा है। योगी द्वारा घोषित जांचे भी इन्ही कारणों से लंबित पड़ी है।
ध्यान रहे कि प्रदेश सरकार गठन को अभी चार महीने भी नहीं हुए हैं। भाजपा कभी नहीं चाहेगी कि प्रदेश सरकार के अंदर की आपसी खींचतान का असर 2019 लोकसभा चुनाव पर दिखे।