नई दिल्ली : सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) ने मंगलवार को पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के कई ठिकानों पर छापेमारी की। ख़बरों के मुताबिक़ यह मामला 2008 का है जब वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने एफआईपीबी (फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड) के अध्यक्ष रहते हुए आईएनएक्स मीडिया के विदेशी निवेश को क्लीयरेंस दी थी।
इस तरह का यह एकमात्र मामला नहीं जिसमे पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम पर सीबीआई की जांच कर रही है। तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर आईएनएक्स मीडिया के विदेशी निवेश के अलावा एयरसेल मैक्सिस डील में भी एफआईपीबी क्लीयरेंस देने का आरोप है। इन दो मामलों में पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम का नाम कैसे आया इसके लिए आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाना होगा।
साल 2006 में मलेशिया की कंपनी मैक्सिस ने एयरसेल की 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीद ली थी। अप्रैल 2011 में एयरसेल के प्रमोटर सी शिवशंकरन ने सीबीआई को लिखा कि तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधी मारन ने 2006 के डील के शुरुआती समय में उन पर एयरसेल को मलेशियाई कंपनी मैक्सिस को बेचने के लिए दबाव बनाया था। सी शिवशंकरन ने आरोप लगाया कि उनपर तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने स्पेक्ट्रम पाने के बदले भी यह दबाव डाला था।
इस मामले में सामने आया कि दयानिधि मारन ने मैक्सिस से इसके बदले 549 करोड़ रूपये लिए। साथ ही अपने भाई की कंपनी सन टीवी में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए कहा। एयरसेल मैक्सिस मामले में पूर्व मंत्री पी चिदंबरम का नाम अप्रैल 2012 में तब सामने आया, जब बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोपलगाया कि चिदंबरम के बेटे कार्ती की कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग ने मैक्सिस के इन्वेस्टमेंट को एफआईपीबी के जरिये मंजूरी दिलवाई थी।
कार्ति चिदंबरम की कंपनी एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग इन्वेस्टमेंट कंसलटेंट का काम करती थी, जबकि विदेशी इन्वेस्टमेंट को क्लियर करना वित्त मंत्री पी चिदंबरम के हाथ में था। सुब्रह्मण्यम स्वामी का कहना था कि वित्त मंत्री रहते चिदंबरम ने एफआईपीबी से कई ग़ैरकानूनी क्लियरेंस दिलवाए और उनके पुत्र (कार्ति) इसके बदले करोड़ों रूपये मिले।
सीबीआई ने चार्जशीट में कहा है कि मैक्सिस ने अपनी कंपनी ऐस्ट्रो ऑल एशिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड की मदद से मारन को 549 करोड़ रुपये की घूस दी थी। घूस देने का तरीका यह था कि इस कंपनी ने दयानिधि मारन के भाई की कंपनी सन डायरेक्ट प्राइवेट लिमिटेड में कुल 629 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया था। चिदंबरम जब वित्त मंत्रालय में थे तब एस्ट्रो कंपनी द्वारा सन टीवी में 660 करोड़ रुपए निवेश की मंजूरी दिलाने के लिए सीसीईए को प्रस्ताव भी भेजा था।
चिदंबरम पर आरोप लगे कि उन्होंने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी जबकि ये डील 3500 करोड़ की थी। नियमों के मुताबिक वित्तमंत्री 600 करोड़ रुपये तक की डील को ही मंजूरी दे सकते थे। सीबीआई ने कहा कि एफआईपीबी के अध्यक्ष चिदंबरम को 600 करोड़ से ज़्यादा की डील को अनुमति देने का अधिकार नहीं था।
नियमों के मुताबिक किसी भी इन्वेस्टमेंट को 600 करोड़ से ज्यादा की डील के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (सीसीईए) की अनुमति लेनी पड़ती है। इसके बावजूद भी एफआईपीबी बैठक में 3500 करोड़ रुपए की एयरसेल-मैक्सिस डील को मार्च 2006 में अप्रूव कर दिया गया।