जो वफादार ही नहीं, वो सलाहकार कैसे हो सकता है ? जिस पर भरोसा ही ना हो, उसकी सलाह कैसे मानी जा सकती है ?
और जहाँ दांव पर देश-प्रदेश के चुनाव हों ...वहां तो सलाहकार फिर सौ फीसदी वफादार चाहिए.
इसीलिए मैं प्रशांत किशोर को चाणक्य नही मानता. कुछ लोगों कि नज़र में वो चाणक्य होंगे,लेकिन सच ये है की उनका 70 एमएम चरित्र किसी विभीषण से कम नही हैं. विभीषण स्टाइल में ही वो दूसरों की लंका ढहाते चले आएं हैं.
जो व्यक्ति दो साल तक बीजेपी और संघ के भीतर घुसकर, मोदी की जीत का यज्ञ करे औरअचानक उनके परम शत्रु नितीश की गोद में कूद जाए वो चाणक्य है या विभीषण ? यही नही नितीश से इनाम लेते ही वो कांग्रेस की खाट पर कूदने लगे. और शायद अब ये खाट खड़ी करके जल्द ही उन्हें दूसरा बड़ा प्रोजेक्ट मिल जाए.
मित्रों, ये कैसा चाणक्य है जो हर चुनाव पर उम्मीदवार बदल रहा है ?
दस्तावेजों पर प्रशांत अभी बिहार के मुख्यमंत्री के सलाहकार है लेकिन सरकारी पद पर रहते हुए उन्होंने कांग्रेसियों से मोटी रकम लेकर 'राहुल फॉर 2019 ' के मेगा प्रोजेक्ट पर साइन किया है. जिसराजपथ पर चलने के लिए नितीश ने जीवन के चार दशक दे दिए उस नितीश को मझधार में गच्चा देकर प्रशांत किसी और के हो गए. लेकिन जिस राहुल के वो होने जा रहे हैं उसे भी आगे छोड़ने की भरोसमंद खबर आ रही है.
मुझे किशोर के करीब रहे सोशल मीडिया के एक एक्सपर्ट ने बताया कि प्रशांत जल्द राहुल को छोड़कर अगले साल YSR के बेटे जगन रेड्डी से 2019 का कांट्रेक्ट करने जा रहे हैं. ये कॉन्ट्रैक्ट देश में किसी चुनावी रणनीतिकार के लिए अब तक का सबसे बड़ा सौदा है.
बधाई हो प्रशांत.
तुम्हे जगन रेड्डी मिल गया. जगन जैसा मोटा माल आज देश में किसके पास है !
यू आर लकी ड्यूड !