1921 में महादेवी जी ने आठवीं कक्षा में प्रान्त भर में प्रथम स्थान प्राप्त किया। यहीं पर उन्होंने अपने काव्य जीवन की शुरुआत की। वे सात वर्ष की अवस्था से ही कविता लिखने लगी थीं और 1925 तक जब उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की, वे एक सफल कवयित्री के रूप में प्रसिद्ध हो चुकी थीं। प्रथम आयाम एक कविता-संग्रह है जिसकी रचायिता महादेवी वर्मा हैं। इसमें उनकी बाल्यावस्था से शोरावस्था तक की कविताओं का संग्रह है। उनकी कविता में रहस्यवाद का एक तत्व है। उसकी कविताएँ उसके दूर के प्रेमी को संबोधित हैं, जबकि उसका प्रेमी काफी रहता है और कभी नहीं बोलता। अपने काम पशिखा के साथ, जिसमें 51 कविताएँ हैं, उन्होंने हिंदी साहित्य के नए क्षेत्र- रहस्यवाद में कदम रखा। उन्होंने प्रसिद्ध हिंदी मासिक चांद के संपादक के रूप में भी काम किया |
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