लुधियाना : पंजाब में चुनाव का बिगुल बजने लगा है. राजनीति क पार्टियां लोगों से उन्हें चुनने के लिए तरह-तरह के वादे और दावे कर रही है. लेकिन वे कौन से मुद्दे हैं, जिनसे राज्य के लोग सीधे तौर पर जूझ रहे हैं.
ये जनाने के लिये इंडिया संवाद की टीम ने फतेहगढ़ साहिब सीट के शामपुरा गांव का दौरा किया. जहां लोगो का मानना है कि अकाली राज मे कोई विकास नही हुआ पंजाब के अंदर बेराजगारी बढ़ी है. इसलिए इस बार फतेहगढ़ साहिब से कांग्रेस के आने के चांस है. लेकिन दबी जुवान लोग ये भी कह रहे है कि कांग्रेस व आम आदमी पार्टी के बीच कांटे की टक्कर होगी.
लोगो ने हमें बताया कि हाल ही में बीजेपी छोड़ कांग्रेस मे शामिल हुए नवजोत सिंह सिद्दू से भी पंजाब मे कांग्रेस को कोई फायदा नही होने वाला लोगो का मानना है सिद्दू एक कांमेडी कलाकार है.
युवाओं में बादल के खिलाफ नाराजगी
पंजाब के फतेहगड़ साहिब व उसके नजदीकी गांव मे जब हम ने युवाओं से बात की तो युवाओं में बादल सरकार के 10 साल के शासनकाल को लेकर बेहद नाराजगी दिखी. 12वीं पास सतपाल सिंह, जो अब 23 साल के हो चुके हैं, उन्होंने बताया कि हमें नौकरी चाहियें. उन्होंने बताया कि मेरे पिता एक श्रमिक हैं, मैं भी एक श्रमिक बनकर ही रह जाऊंग. आखिर कितनी पीढ़ियां श्रमिक बनकर रहेगीं? हमें क्या मिल रहा जो हम उन्हें वोट दें?
केजरीवाल की पत्नी हो सीएम चेहरा
फतेहगड़ साहिब में ही किराना स्टोर चला रहे रवि से हमने जानना चाहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार बनने पर सीएम चेहरा किसको देखना चाहेगें. रवि ने कहा हाल ही में VRS ले चुकी केजरीवाल की पत्नी को पंजाब के सीएम पद के लिए बेहतर विकल्प हो सकती है.
चुनाव पर नोटबंदी का असर
माना जाता रहा है कि राजनीतिक पार्टीयां चुनावों मे पैसा पानी की तरह बहाती है. लेकिन जब हमने पार्टीयों के प्रचार को लेकर लोगा से बात की तो लोगो ने बताया कि इस बार प्रचार में परिर्वतन दिखा है. सड़कों से पोस्टर, झंडे और भोंपू बजाती प्रचार गाड़ियां कम दिख रही है. लोगो का मानना है कि चुनाव आयोग की सख्ती व नोटबंदी इसके मुख्य कारण है.
खास बात
117 सीटों के लिए 32 साल बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में उम्मीदवार मैदान में हैं. इस बार यहां 1941 उम्मीदवारों ने पर्चे भरे हैं. इसी तरह यहां के वोटरों में युवाओं की हिस्सेदारी भी रिकॉर्ड पर है. 1.9 करोड़ वोटर वाले पंजाब में एक करोड़ से ज्यादा 40 साल से कम उम्र के हैं. इनमें 3.67 लाख तो ऐसे युवा हैं, जिनका नाम पहली बार वोटर लिस्ट में आये है.