नई दिल्लीः पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या भाजपा की हालत खराब होने वाली है। यह सवाल उछलना शुरू हो गया है। वजह कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के राज्य का प्रभारी बनने से इन्कार कर दिया। कहा जा रहा कि नितिन गडकरी ने सोचा कहीं हार का ठीकरा उनके सिर पर पार्टी का विरोधी धड़ा न फोड़ दे, इस नाते उन्होंने पहले से ही चुनाव से खुद अलग कर लिया है।
मोदी ने किया था फोन
दिल्ली से लेकर पंजाब की सियासत में जुड़े पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि केंद्रीय सड़क परिवहन एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी हाल में मुंबई थे तो अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन किया। मोदी ने कहा कि वह चाहते है आप पंजाब चुनाव के लिए प्रभारी बनिए। क्योंकि पार्टी ने एक वरिष्ठ मंत्री को राज्य का प्रभारी बनाने का फैसला किया है। प्रकाश जावड़ेकर को मणिपुर और आपको गोवा भले सौपा गया है, मगर पंजाब ज्यादा बढ़िया रहेगा। नेता के मुताबिक फोन पर नितिन गडकरी ने कह दिया कि-नहीं नरेंद्र भाई। यह मेरे लिए संभव नहीं है। मेरे लिए एक राज्य की जिम्मेदारी ही पर्याप्त है।
अमित शाह ने किया था फैसला
पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि गोवा और पंजाब में पार्टी को अपेक्षित सफलता मिलती नहीं दिख रही है। अमित शाह ने नितिन गडकरी को उनकी इच्छा के विरुद्ध एक तो गोवा का प्रभारी बना दिया और एक और खस्ता हालत वाले राज्य पंजाब की जिम्मेदारी भी उनके सिर पर थोपना चाहते थे। शाह को लगा कि मोदी के फोन करन से गडकरी कहा मान लेंगे। मगर गडकरी ने सोचा कि कहीं उनकी निगरानी में दोनों राज्यों में पार्टी की हार हुई तो विरोधी धड़ा उनकी नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाएगा। इसे देखते हुए उन्होंने मोदी को फोन पर पंजाब का प्रभारी बनने से मना कर दिया।