लखनऊ: किंग जॉज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने आज पूर्व कुलपति प्रो रविकांत का एक और अदूरदर्शिता से भरा फैसला पलट दिया। प्रो रविकांत द्वारा मेडिकल फिजिक्स विभाग और रेडियोलॉजी विभाग को अलग-अलग कर दिया गया था जिसे अब पुन: एक कर दिया गया है। दोनों विभागों के विलय से कैंसर के मरीजों को विकिरण उपचार देतेे समय इसकी मात्रा तय करने में बाधा दूर हो जायेगी तथा विलम्ब भी नहीं होगा।
इसके अतिरिक्त कुलपति द्वारा दंत संकाय के नये भवन के पास स्ट्रेचर स्टैंड बनाने तथा शताब्दी अस्पताल से ट्रॉमा सेंटर आने के लिए अंदर से ही रास्ता बनाने के आदेश भी दिये गये हैं।
प्रो रविकांत द्वारा रेडियोलॉजी विभाग और मेडिकल फिजिक्स विभाग को अलग करने के बाद से दिक्कत आ रही थी। अब फिर से मेडिकल फिजिक्स विभाग को रेडियोलॉजी विभाग में विलय करने से विद्यार्थियों को प्रशिक्षण देने में भी आसानी होगी।
मेडिकल फिजिक्स विभाग के अंतर्गत बीएससी, एमएससी इन रेडियेशन टेक्नोलॉजी के प्रशिक्षण कार्य चल रहे थे, अब ये रेडियोलॉजी विभाग के अंतर्गत होंगे।
कुलपति ने केजीएमयू में मरीजों को ओपीडी से ट्रॉमा सेंटर ले जाने के लिए स्ट्रेचर एक निश्चित जगह पर उपलब्ध रहने के लिए नये दंत संकाय भवन के पास स्ट्रेचर स्टैंड बनाने के आदेश दिये। यहां फिलहाल 20 स्ट्रेचर उपलब्ध रहेंगे। ज्ञात हो दो दिन पूर्व परिजनों द्वारा एक युवती को गोद में उठाकर ले जाये जाने के बाद मामला काफी उछला था।
कुलपति का भ्रमण जारी था, इसी क्रम में आज भी कुलपति ट्रॉमा सेंटर पहुंचे तथा मरीजों को मिल रही सुविधाओं का जायजा लिया। उन्होंने आदेश दिया कि शताब्दी अस्पताल से ट्रॉमा सेंटर आने के लिए मरीजों, डॉक्टरों, कर्मचारियों को अभी सडक़ से होकर आना पड़ता है, अब ट्रॉमा सेंटर के पास दीवार हटा देने से अंदर से ही रास्ता बन जायेगा। इसी प्रकार ट्रॉमा सेंटर में मरीजों की भीड़ को देखते हुए पीडियाट्रिक और न्यूरो सर्जरी वार्ड में तीन-तीन नर्सिंग वर्ग के कर्मचारियों देने का आदेश दिया साथ ही एक और एबीजे मशीन उपलब्ध कराने के आदेश दिये।