shabd-logo

पुस्तक समीक्षा-बुंदेलखण्ड के आधुनिक कवि (:कुण्डेश्वर)

6 मई 2022

31 बार देखा गया 31

पुस्तक समीक्षा-


पुस्तक का नाम - *बुंदेलखण्ड के आधुनिक कवि*


सम्पादक - *श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*


प्रकाशक - सरस्वती साहित्य संस्थान प्रयागराज द्वारा
    म.प्र.लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ के लिए
मूल्य - 300/रू.सजिन्द
आइ्रएसबीएन - 978-93-83107-55-1
समीक्षक - हरिविष्णु अवस्थी (टीकमगढ़)
 हरिविष्णु अवस्थी
कविता, निबध्ंा, व्यंग्य,हाइकु,दोहा आदि विभिन्न विद्याओं में क्रियाशील अनेक पुस्तकों के रचियता, म.प्र. की प्रतिष्ठित संस्था मध्यप्रदेश लेखक संघ भोपाल की जिला इकाई टीकमगढ़ का निष्ठापूर्वक विगत 23 वर्षो से कुशलता पूर्वक संचालन कर रहे श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ द्वारा संकलित एवं सम्पादित कृति ‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ की समीक्षा लिखते हुए, ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे हिन्दी भाषा के ज्ञान यज्ञ मे मुझे भी आहुति देने का सुयोग अकस्मात प्रात हो गया है।
‘बुन्देलखण्ड की उर्वरा पावन भूमि को पाषाण रत्नों के साथ ही साथ नर रत्नों को भी जन्म देने का गौरव प्राप्त है। देश के साहित्य मनीषी स्मृति शेष श्री लाला भगवानदीन ने लिखा है कि -‘इस पवित्र भूमि जिसे अब ‘बुन्देलखण्ड कहते हैं कविता की जन्म भूमि है और आदि से यहाँ उत्तम कवि होते आये हैं, वर्तमान में हैं और आगे भी होते रहेगें।’’
इसी ‘बुन्देलखण्ड भूमि में नर रत्न हिन्दी भाषा के प्रथमाचार्य श्री केशवदास मिश्र ओरछा एवं राजापुर बांदा में जन्में संत प्रवर गोस्वामी तुलसीदास जी सैंकड़ों वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी हिन्दी साहित्यकाश के उज्ज्व नक्षत्र के रूप में स्थापित रहकर विश्व के साहित्य जगत केा आलोकित कर रहे है। कविवर पद्माकर महाराजा छत्रसाल, कवयित्री राय प्रवीण, महारानी वृषभान कुँवरि जैसी अनेक प्रतिभाओं ने हिन्दी साहित्य संसार में बुन्देलखण्ड की कीर्ति  पताका फहराई है।
‘बुन्देलखण्ड के कवियों को प्रकाश में लाने का श्रेयस कार्य ‘बुन्देलखण्ड में सर्वप्रथम पं. गौरी शंकर जी द्विवेदी ‘शंकर’ झाँसी ने ‘बुन्देलखण्ड वैभव’ नामक कृति की तीन खण्डों में रचनाकर किया था। सन् 1930 ई. में आरंभ किये गये इस कार्य में बाद में अनेक साहित्यकारों ने विभिन्न नामों से कवियों व लेखकों के परिचय संबंधी ग्रंथों का प्रणयन किया जो कि निंरतर चलता आ रहा है। इसी क्रम में श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने‘बुन्देलखण्ड के आधुनिक कवि’ कृति का संकलन,समपादन एवं प्रकाशन कर प्रसंसनीय कार्य किया है।
इस प्रकार के कार्य को करने का मुझे भी 5-6 वर्ष पूर्व अवसर मिला था। यह कार्य कितना समय एवं श्रम साध्य तथा ऊबाऊ है। मैं यह भलीभांत जानता हूँ। मुझे ‘बुन्देलखण्ड की कवियत्रियाँ’ कृति के संकलन एवं सम्पादन संबंधी कार्य में तीन-चार वर्ष का समय लग गया था। तब  कही मेरा श्रम पुस्तक का आकार ग्रहण कर सका था। श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के श्रम का आंकलन मैं भलीभांति कर सकता हूँ।
कवि अपने जीवन मे आए विभिन्न अवसरों पर जो देखता,सुनता एवं अनुभव करता है उसे वह दूसरों को भी बाँटना चाहता है। यह अनुभव खट्टे,मीठे कषाय आदि विभिन्न स्वादों के होते है जिन्हें वह शब्द सुमनों का सुंदर स्वरूप प्रदान कर काव्य रूपी धागे में पिरोकर माला के आकर्षक रूप में जन सामान्य के समक्ष प्रस्तुत करता है। यह प्रक्रिया की काव्य की जननी है।
अपनी रचनाओं को जनसामान्य तक तक पहुँचाने हेतु उसकी लालसा बढ़ना आरंभ होकर तीव्रतर होती जाती है। उपयुक्त मंच प्राप्त होने पर वह गुनगुनाते हुए अपनी पूरी शक्ति केाथ रचना के प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने का प्रयास करता है कहते है न कि- कविता नोनी लगत है, होय कैबे को ढंग। यहाँ से आरंभ हुई उसकी क्षुधा,प्रकाशन के पश्चात ही शांत होती है। श्री राजीव नामदेव कवियों को मंच तो पूर्व से ही प्रदान करते रहे है अब की बार उन्होंने कवियों की कविताओं के संकलन, सम्पादन के साथ प्रकाशन का भार भी अपने कंधांे पर लेकर नवोदित पीढ़ी के साथ बहुत उपकार का कार्य किया है।
प्रस्तुत कृति में इकसठ नये-पुराने कवियों को और दस बहुत पुराने कवियों के संक्षिप्त जीवन परिचय के साथ बानगी के रूप में उनकी रचनाओं को भी दिया है। कृति का अनुक्रम कनिष्ठतम के आधार पर किया गया है। रचनाओं में समाज के बदलते स्वरूप, उत्पन्न हो रही विकृतियाँ,धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय भावनाओं  से ओत प्रोत अनके कविताएँ हैं। इसके साथ ही लोकरंजक संबंधी रचनाओं का रसास्वादन कुछ कविताओं में किया जा सकता है।समयाभाव के कारण संकलित कवियों की काव्य गत विशेषताओं का मूल्याकंन उन पर प्रकाश डालना संभव नहीं है।
संकलित कृपि में कुछ रचनओं की काव्य की बानगी का उल्लेख करना समीनीच होगा। 23 वर्षीय युवा कवि स्वप्निल तिवारी की रचना अंधेरे से क्या डरना काव्य क्षेत्र में उनके बढ़ते क़दमों की साक्षी है। श्री रविन्द्र यादव की प्रतिभा उनकी रचना ‘मातृ बंदना’ में स्पष्ट झलकती है। सीमा श्रीवास्तव की रचना ‘सूर घनाक्षरी’ सामाजिक संबंधों में मिठास घोलने का सफल प्रयास है। श्री रामानंद पाठक की रचना ‘बिटिया’ बेटी बचाओं, बेटी पढाओ के राष्ट्रीय आवह्ान की पूर्ति में सहायक है।
श्री प्रदीप खरे ‘मंजुल’ वरिष्ठ पत्रकार की रचना ‘गर्भ में बेटी की पुकार’ भी बेटी बचाओं का आवह्न करती है। श्री वीरेन्द्र चंसौरिया तो ‘प्रभु स्मरण’ संबंधी रचनाओं में महारत रखते हैं। रचना को गायन द्वारा प्रभावाी बनाने में वह निपुण हैं। श्री गुलाब सिंह ‘भाऊ’ ने सटीक रूप में टीकमगढ़ नगर के गौरव को रचना के माध्यम से प्रस्तुत किया है। श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ की बुन्देली रचनओं की कोई सानी नहीं है। श्री शोभाराम दांगी ‘इन्दु’ का ागीत ‘बेइ मिट्टी बेई खान’ सुंदर बन पड़ा है।
श्री जय ंिहंद सिंह ‘जयहिंद’ की रचना गीत-‘नदिया’ बहु प्रशंसित गीत का आकार ले चुका है। श्री कोमलचंद ‘बजाज’ प्रार्थना हे माँ शारदे,माँ वीणापाणि को रिझाने-मनाने हेतु पर्याप्त शक्ति रखती है। श्री बाबू लाल जी जैन संकलन में सबसे वरिष्ठ कवि है उनकी रचना ‘बसंत का रूपक’ प्रभावी है।
श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, डाॅ. राज गोस्वामी,श्री अवध बिहारी श्रीवास्तव, श्री कल्याण दास साहू ‘पोषक’ श्री सीताराम तिवारी ‘दद्दा’ के दोहे अच्छे बन पड़े है। श्री दीनदयाल तिवारी तो अपनी कृति:बुन्देलजी चैकड़ियाँ’ पर म.प्र. साहित्य अकादमी का इक्यावन हजार का ‘छत्रसाल पुरस्कार’ प्राप्त कर चुके है। श्री विजय मेहरा एवं  श्री रामगोपाल रैकवार की व्यंग्य रचनाये चुटीली है। वरिष्ठ शायर जनाब जफ़रउल्ला खा ‘ज़फ़र’, श्री अभिनंदन गोइल, उमाशंकर मिश्रा जी, संजय श्रीवास्तव की ग़ज़लों में पैनापन स्पष्ट छलकता है।
संकलन के अंत में ‘धरोहर’ शीर्षक के अंतर्गत ध्यकालीन साहित्य के पुरोधाओं में संत प्रवर गोस्वामी तुलसीदास जी, पं.केशवदास जी,मिश्र का, राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त बुन्देली के सशक्त हस्ताक्षर ईसुरी, गंगाधर व्यास, संतोष सिंह बुंदेला क अतिरिक्त स्व. श्री बटुक चतुर्वेदी, पं. कपिलदेव तैलंग और अंत में चंदेलकाल में आल्हा महाकाव्य के रचियता जगनिक का संक्षिप्त परिचय एवं उनके सृजन की बानगी दी गई है।
निष्कर्ष रूप में कहा जाता सकता है कि राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने प्रस्तुत कृति के संकलन, सम्पादन एवं प्रकाशन में गुरुतर भार को निष्ठापूर्वक सम्पन्न कर आधुनिक रचनाकारों की प्रतिभा को प्रकाश में लाने का सराहनीय कार्य किया है। इस कार्य हेतु वह प्रशंसा के अधिकारी हैं।
कृति का मुद्रण त्ऱुटि रहित है। आवरण पृष्ठ पर लगभग सभी कवियों के चित्र देकर उसको आकर्षक बनाने का यत्न सफल रहा है।
---0000--

समीक्षक- *हरिविष्णु अवस्थी (टीकमगढ़)*
अध्यक्ष- श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद् टीकमगढ़

Monika Garg

Monika Garg

बहुत सुंदर आप भी मेरी रचना पढ़कर समीक्षा दें https://shabd.in/books/10080388

6 मई 2022

Rajeev Namdeo Rana lidhorI

Rajeev Namdeo Rana lidhorI

16 मई 2022

धन्यवाद मोनिका जी

1
रचनाएँ
पुस्तक समीक्षा- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
0.0
बुंदेलखंड के आधुनिक कवि (संपादक- राजीव नामदेव राना लिधौरी',) टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड के 71कवियों की रचनाएं परिचय व फोटो सहित एक बार जरूर पढ़िएगा

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए