रौनक सिंह सेंगर (रोहित के बड़े भाई) सुबह लान में बैठे हर्बल टी की चुस्कियां ले रहे थे वह बहुत ही हेल्थ कॉन्शियस है (यही समय रोहित को अपने दिल की बात कहने के लिए उपयुक्त लगा)
दादा.. ...दादा ...कुछ कहना है.. आपसे.. कहो ना क्या है ? कुछ प्रॉब्लम हो गई है क्या?
निशा के घर वाले उसकी शादी तय कर रहे हैं
"कौन निशा"
दादा वो मेरी मेरी गर्लफ्रेंड है
रौनक (आश्चर्यचकित मुद्रा में) चाय का कप होठों से दूर हो गया क्या?? क्या कहा..? तेरी.. मतलब.. तेरी.. शब्दों पर जोर देते हुए, हां .. दादा !
(सर झुकाते शर्माते रोहित बोला)
थोड़े गुस्से में) रौनक - तो इतने बड़े हो गए.. कब से.. कब से है यह सब मामला?
रोहित -दादा अब यह मत पूछो उसकी शादी तय हो रही है, निशा ने मुझे कहा अब घर वालों को बताना जरूरी है मैं उनके घर गया उन्हें कोई एतराज नहीं उनकी इकलौती बेटी है उन्हें कोई जात पात ऊंच-नीच से कोई वास्ता नहीं , बस निशा की खुशी से मतलब है निशा उनकी एक ही लड़की है और हमारे यहां की बिसात ही दूसरी बिछी है!
रौनक -शादी करके ही आते साहबजादे!(कटाक्ष भरी मुस्कान लिए)
दादा, पापा से कैसे बात करूं आप को तो पता ही है उनकी ऊंची आन बान शान! उनसे बात करना मतलब चट्टान से सर फोड़ना फिर भी बात तो करनी ही पड़ेगी मजबूरी है और जरूरत भी ।
तुम सब जानते हो फिर भी इस फसाद में पड़ गए
मैं चाहता हूं निशा को दिल से रोहित को अपने धड़कते दिल की धड़कनें साफ सुनाई दे रही थी मानो रेलगाड़ी की गति से दिल की धड़कन प्रतियोगिता कर रही हो..
अपने पिता की चाहत नहीं पता क्या तुम्हें? उनके कारण अंजलि को मैंने अपनाया नहीं घूरते हुए रोनक बोला
जानता हूं दादा .. कैसे बात करूं पापा से.. मैं जानता हूं उन्हें..
तुम निशा को भूल जाओ
यह तो नहीं हो सकता दादा.. मैं उसे धोखा नहीं दे सकता.. तेज स्वर में रोहित बोला ।
तभी सेंगर साहब आ गए, किसे धोखा दे रहे हो छोटे कुंवर! रोहित घबराया सा खुद को संभालते हुए बोला पापा वो एक मूवी की बात कर रहे थे हम लोग!
आजकल की मूवी तो भारतीय सभ्यता की धज्जियां उड़ा रही है कोई किसी भी धर्म की लड़की से शादी कर लेता है भारतीय सभ्यता तो मानो जैसे खत्म ही कर देना चाहते हैं यह फिल्मी लोग! अब इसमें धोखा तो होगा ही बरखुरदार जहां ना कोई संस्कृति हो ना सभ्यता। चलो खैर! बताओ एमबीए करने पुणे जा रहे थे पर मैं सोच रहा हूं तुम अमेरिका से बिजनेस मैनेजमेंट की डिग्री लो हमारे बिजनेस को संभालने के लिए तुम्हें और हुनरमंद हो जाना चाहिए ।
नहीं पापा, पूना ही ठीक है.. बिजनेस तो दिमाग से ही चलता है डिग्री कहीं से भी लो.. रोहित सोच में पड़ गया कि निशा तो पुणे आने के लिए ही राजी हो जाए बहुत है अमेरिका तो दूर की कौड़ी है काश यह हो पाता।
रोहित की तो सिट्टी पिट्टी गुम थी अपने पिता से एक शब्द निशा के बारे में ना बोल सका।
पिताजी के जाने के बाद
कहो बेटा बोलती बंद हो गई ना प्यार के ख्वाब हवा में चकनाचूर हो गए तुम्हें वह फिल्म देखना चाहिए प्यार किया तो डरना क्या
रोहित -मुझे नहीं.. हम दोनों को.. कहकर रोहित रफूचक्कर हो गया...
कहानी जारी रहेगी..