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"कौन है असली कातिल....??" ( अध्याय–1)

12 सितम्बर 2021

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        " कौन हैं असली कातिल..??"





 तीन बजे कि बेला में शिवानी कि स्कूटी मीडियम स्पीड से सड़क पर ड्राइव हो रही थी क्योंकि शिवानी को मीडियम स्पीड से ही स्कूटी ड्राइव करना पसंद है। आसपास के पेड़ गति करते हुए नजर आ रहे हैं और वातावरण भी बेहद खूबसूरत  , मन को आकर्षित करने वाला है।
"धम्...म.... " कोई बीस साल का नवयुवक अचानक से स्कूटी के सामने आ गिरा।
शिवानी कि तो सांसे मानों अटक ही गई थी ये सोचकर कि कहीं कोई दुर्घटना न हो गई हो। स्कूटी उस नवयुवक के  एकदम नजदीक जाकर रुकी। शिवानी ने चैन कि सांस ली ये देखकर कि  "उसे" चोट नहीं लगी है स्कूटी के इतने पास
आकर गिरने से भी। स्कूटी से टकराने के पहले ही  वो गिर पड़ा था वरना शिवानी और " वो"  सड़क पर गिरे पड़े होते चोटिल होकर।


20 मिनट बाद।


" क.. कौ.न...? "  होश में आते ही उसने चारों ओर देखते हुए कहा।

हॉस्पिटल के वार्ड नंबर 11 में वो बेड पर लेटा हुआ है और शिवानी उसे निहारती हुईं सिरहाने कि कुर्सी पर बैठी हुई थी कि अचानक से "उसे"   होश आ गया। 


" आप मेरी स्कूटी के सामने बेसुध होकर गिर पड़े थे। महादेव कि कृपा से एक्सीडेंट होते– होते बचा। आपके दाएं हाथ में लगी गहरी चोट को देखते हुए मुझे महसूस हुआ कि शायद चोट लगने से आप बेहोश हो गए थे। खून भी बह रहा था , तो कुछ राहगीरों कि मदद से मैंने आपको इस हॉस्पिटल में एडमिट कराया। आपका नाम क्या हैं?" एक सांस में शिवानी ने सारी बातें क्लियर कर दी।


" मे..रा..... नाम??" आह भरते हुए "वो" बोला।

" हां। अपना नाम बताओ?" शिवानी ने उत्सुकतावश पूछा।

" मैं.. सीरियल किलर हूं। विनाश ।"  लापरवाही से उसने कहा और अगले ही पल बेहोश हो गया। शिवानी हैरानी से देख रही है इस विनाश को। 

"शक्ल से तो बड़ा मासूम दिख रहा है। नाम थोड़ा अजीब लगा। कोई खुद को क्या सीरियल किलर कह सकता है ऐसे बेखौफ? नही... लगता हैं कोई गहरा सदमा लगा है इसे। तभी तो बार – बार  बेहोश होकर गिरे जा रहा है।" सोचने के बाद शिवानी ने गहरी सांस ली। लेकिन विनाश के प्रति उसके मन में दया भाव जाग्रत हो गई है। 
शिवानी ने ड्राईवर को कॉल करके अपनी कार हॉस्पिटल के बाहर लाकर खड़ी करवा दी। ड्राईवर भी विनाश को तो कभी शिवानी को देखे जा रहा है। शिवानी ने विनाश के बारे में ड्राईवर को बताया।


थोड़ी देर बाद आंखे मलते हुए विनाश उठ बैठा।
दरअसल स्कूटी के आगे वो मुंह के बल जा गिरा था। उसे पलटाकर देखने पर ही शिवानी को नजर आया उसका दाहिना चोट लगा हुआ हाथ। कलाई से थोड़ा ऊपर कि ओर चोट से खून बह रहा था। अभी वहां पर पट्टी बंधी हुई है नर्स द्वारा लेकिन दर्द तो हो ही रहा है विनाश को महसूस।

" तुम ठीक हो।" शिवानी ने उससे पूछा।

" हां। धन्यवाद। मेरी मदद करने के लिए।" उसके चेहरे पर बारह बजे हुए हैं फिर भी झूठी मुस्कुराहट दिखाते हुए वो बोला।

" चलो मैं तुम्हे, तुम्हारे घर पहुंचा देती हूं।" शिवानी ने कहा।
" घर..? पर... मेरा तो। " विनाश के चेहरे पर उदासी छा गई।

"मेरे घर चलोगे? मैं अकेले रहता हूं। मेरी पत्नी मायके गई है मुझसे लड़ाई करके। बिन घरनी के घर भूत का डेरा।" कहते हुए ड्राईवर हंस दिया।
उन दोनों के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गई।

" बस मुझे कुछ दिनों के लिए ही रुकना है यहीं कानपुर में रेंट पर कमरा लेकर। काफ़ी ढूंढने के बाद भी रेंट पर कमरा मिला ही नहीं और न ही यहां कहीं पर ठिकाना ही मिल पाया है मेरे रहने के लिए। " बेड पर से नीचे पैरों को फर्श पर रखते हुए वो बोला।

"  साहब ! आप भी ना , मेरे घर में तो तीन - तीन कमरे खाली पड़े हैं। आराम से मेरे साथ रहिए। जितना दे सको उतना ही देना किराया। हम भी तो मानुष ही ठहरे, दूजे मानस के काम आ जाए तो इसमें बुरा ही क्या है।" ड्राईवर ने कहा और उसकी ललचाई नजरे बराबर विनाश के गले पर लटक रही सोने कि लॉकेट से लुकाछिपी खेल रही है।

शिवानी के मोबाईल पर मैसेज रिंगटोन बजी। उसने देखा कि उसकी मां उसे मैसेज कर के बोले जा रही है कि वह घर आ जाए।

" प्लीज चलिए। नकुललाल (ड्राईवर ) तैयार है और वे भी आपकी हेल्प करना चाहते हैं ही तो अब आपको चलना ही पड़ेगा।" शिवानी ने अपना हैंड वॉच देखते हुए कहा। आधे घंटे हॉस्पिटल में बीत चुके हैं और अभी शाम के चार बज रहे हैं। विनाश ने हामी भरी।

*************


रात के 06 बजे।


" नकुल जी ! चलिए हम दोनों किसी रेस्तरां  में जाकर डिनर कर लेते हैं। काफ़ी रात हो गई है।" विनाश ने कहा। आंगन में एक ओर छोटे से चबूतरे पर वह बैठा हुआ नकुल को देखे जा रहा है। नकुल अपनी चांदी कि अंगूठी को चमकाने में डूबा हुआ है। 

शिवानी ने नकुल और विनाश को नकुल के घर ड्रॉप किया फ़िर वो अपनें घर चली गई। रस्ते भर तीनों ही खामोश रहे। विनाश को देखकर ऐसा लग रहा था कि वो आधी बेहोशी में है। नजरे नीचे किए वो सीट पर बैठे हुए शून्य में ताक रहा था। शिवानी ने अभी उससे कुछ भी पूछना मुनासिब नहीं समझा था लेकिन केवल कुछ नहीं बल्कि बहुत सारे सवाल उठ रहे है उसके मन में जिनके जवाब विनाश ही दे सकता है। एक तो उसका अजीब नाम
"विनाश"। दूसरा
"वो गहरी चोट।" तीसरा उसने अपने आप को बड़ी ही आसानी से " सीरियल किलर" भी बोल दिया था। 


"चलिए आज चलते हैं। बहुत दिनों से कहीं आने -जाने का मौका ही न मिल पाया था। सुबह से शाम तक  बस कभी शिवानी मैम जी तो कभी चंद्रिका मालकिन के हुक्म ही बजाता फिरता हूं। " नकुल ने अंगूठी पहनते हुए कहा।


दोनों रेस्तरां कि ओर पैदल चल दिए।


रात के 8 बजकर 10 मिनट पर।
चंद्रिका त्रिपाठी सदन।
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" क्या कहा तुमने शिवानी .. विनाश सीरियल किलर??? हाउ स्टूपिड आर यू  शिवानी? किसी भी ऐरे -गैरे के लिए अपना कीमती वक्त बर्बाद करने कि तुम्हारी आदत गई नहीं । पता है न तुम्हे कि हमारी प्रॉपर्टी डीलर मिस. प्रभा मित्तल को किसी सीरियल किलर ने ही मारा था। वो आज भी आजाद घूम रहा है और हो सकता है कि वह विनाश ही हो , जो तुमसे जानबूझकर टकराया होगा। आजकल भलाई का जमाना ही नहीं रह गया है। एक तो ऐसे भी वो सीरियल किलर बेखौफ सैर- सपाटा कर ही रहा है पूरे कानपुर में और तुम उससे मिलकर भी इतनी नॉर्मल कैसे रह सकती हो? अभी के अभी पोलिस ऑफिस में कॉल करके बता दो उस विनाश के बारे में।" चंद्रिका ने एक सांस में कहा।

" नहीं मां.. मुझे नहीं लगता कि वह कोई सीरियल किलर है। वो जरूर किसी मुसीबत में फंसा हुआ भला आदमी है। कोई परेशानी हो सकती है उसे तभी तो उसके चेहरे पर चिंता कि लकीरें खींची हुई थी। बेहोशी कि हालत में अपने आप को अगर मैं सीरियल किलर कह दूं तो क्या मुझे भी जेल में बंद करवा दोगी आप? उसके राईट हैंड पर चोट लगी हुई हैं जो काफ़ी गहरी है और किसी भी एंगल से वो सीरियल किलर लग ही नहीं रहा था। विनाश अगर सीरियल किलर होता तो मै अभी लाश बन चुकीं होती।" शिवानी सोफे पर से उठकर चहलकदमी करते हुए बोली।

" लेकिन मुझे घबराहट हो रही है। यूं इस तरह से कैसे कोई अनजान....." चंद्रिका उठ खड़ी हुई और आगे के शब्द बोल पाती कि उससे पहले ही डोर बेल बजी।


" मैं डोर ओपन करके आती हूं।" शिवानी ने गहरी सांस लेते हुए कहा। चंद्रिका वापस सोफे पर बैठ गई और डोर कि ओर देखने लगी ये सोचते हुए कि "इस वक्त कौन हो सकता है? ( "who could be this time?" )


" police!...." शिवानी ने जैसे ही दरवाजा खोला उसके मुंह से शब्द निकले। आंखे हैरानी से फैल गई। ये पहली बार था जब पोलिस के दर्शन अपने घर में शिवानी को हो रहे हैं साक्षात।

"what happened?"
( क्या हुआ?")
झटके से चंद्रिका त्रिपाठी उठ खड़ी हुई।


"you are under arrest ! you have killed your own driver."
("आप गिरफ़्तार किए जाते हैं ! आपने अपने ही ड्राइवर को मार डाला है।")

पोलिस इंस्पेक्टर मोहन ठाकुर ने आगे आकर, चंद्रिका त्रिपाठी को देखते हुए सख्ती से कहा। दोनों मां -बेटी स्तंभित रह गई। हथकड़ी चंद्रिका त्रिपाठी को पहनाई गई और शिवानी कि एक न चली।

रातभर शिवानी टेरेस पर चहलकदमी करते हुए विनाश और नकुल के बारे में सोच रही थी कि अचानक से उसे एक परछाई मेन गेट पर खड़ी नजर आई और फिर तुरंत वह परछाई आंखो से ओझल भी हो गई थी। सुबह के तीन से लेकर चार बजे तक ही शिवानी सो पाई।


सुबह के 10 बजे।
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                     crime  area .
पोलिस ऑफिस।



" मिस शिवानी त्रिपाठी जी! ये घर आपके ड्राईवर नकुललाल का ही है ना?" इंस्पेक्टर मोहन ठाकुर ने कुछ तस्वीरें शिवानी को दिखाते हुए  कहा।

" जी हां बेशक।" शिवानी ने उत्तर दिया।

" कल रात करीबन 07:58 में नकुललाल कि लाश हमें पास के रेस्तरां के पास वाली सड़क किनारे अंधेरे में  पड़ी मिली।  कुछ पड़ोसियों ने पहचाना कि ये लाश आपके ड्राईवर नकुललाल का ही है। फिर लाश को गौर से देखने पर नकुललाल के दाएं हाथ कि बंद मुट्ठी में हमें किसी महिला के सिर के बाल मिले। उसके बाद हमारे हाथ चढ़ा " एक सुराग। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसकी मौत 06:58  बजे ही हो गई थी। यानि कि नकुल कि लाश  सड़क किनारे अंधेरे में एक घंटे तक पड़ीं रही। 7 बजने में सिर्फ दो मिनट ही बाकी थे। "  हल्की मुस्कुराहट के साथ मोहन ठाकुर ने शिवानी को नासमझ कि स्थिति में डालते हुए कहा।

" कौनसा एक सुराग?" शिवानी ने उत्तर जानना चाहा।

" एक धमकी भरा खत। नकुल के पैंट कि जेब से मिली थी।" कहते हुए एक कागज इंस्पेक्टर मोहन ने शिवानी के हाथों में थमा दिया।

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" तू मेरे ही टुकड़ों पर पल रहा है और मैं जो चाहूं तुझसे करवा सकती हूं। ध्यान रहे कि तुझपर मेरी हर वक्त नजर रहती है। मौका मिलते ही मैं तेरा कत्ल खुद अपने हाथों से करूंगी। मेरे और "उनके" बारे में तूझे जिसने भी बताया है उसे भी जहन्नुम का रास्ता दिखाऊंगी। फिल्मी करियर शुरू से ही मैं "उसके" साथ हैंडल करती आई हूं। किसी को भी पता नहीं है कि चंद्रिका त्रिपाठी का वो खास पार्टनर कौन है? दुनिया वाले उससे अनजान हैं और यहीं उसकी पहचान है....। मै आ रही हूं नकुल तूझे मौत कि गोद में सुलाने।"
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" अपनी आंखो से देखिए अपनी मां के कारनामें। अब ये मत कहियेगा शिवानी जी कि यह हैंड राइटिंग ( लिखावट) आपकी मां मिसेज चंद्रिका त्रिपाठी जी......." मोहन ठाकुर ने कुटिलता से कहा और बीच में ही शिवानी रोती हुई बोल उठी।

" ये हैंड राइटिंग मेरी मां कि ही है लेकिन मुझे नहीं लगता है कि वो ऐसा कर सकती है। दर्जनों फिल्मों में लीड एक्ट्रेस रहकर भी मेरी मां चरित्रवान थी और है। डैड के साथ शादी करने के बाद उन्होंने फिल्मी दुनिया को अलविदा कह दिया था ताकि वो एक अच्छी गृहिणी बन सके। त्याग कि मूर्ति है मेरी मां। ये सब उन्हें फंसाने के लिए ही किया जा रहा है।" 

" कौन फंसाना चाहते हैं आपकी मां को?" शिवानी के हाथों से वो कागज का पन्ना लेते हुए मोहन ठाकुर ने मुंह टेढ़ा करते हुए कहा।

" कोई है ? " शिवानी के शब्द हलक में अटक से रहे है।

" कोई है मतलब? कोई भूत या प्रेत? कौन ऐसी ओझीं हरकत करेगा। मुझे तो लगता है कि आप मां -बेटी कि ही मिलीभगत है ये सब ड्रामा। फिल्मों में एक्ट्रेस बनना, एक्टिंग्स करना भले ही आपकी मां ने छोड़ दिया है लेकिन आज भी मिसेज चंद्रिका त्रिपाठी फिल्मों के लिए पटकथा लेखन करती है। आज भी बतौर स्क्रिप्ट राईटर है। और तो और बेहिसाब दौलत, शोहरत  हासिल करने के लिए दूसरे फिल्मी पटकथा लेखकों कि कहानियां भी चुराने से आपकी मां बाज नहीं आती है। साफ तौर पर आपकी मां ने धमकी भरा खत लिखकर न ही सिर्फ नकुल को भेजा है बल्कि खून भी कर चुकीं हैं अपने कहें मुताबिक। नकुल कि मुट्ठी से बरामद बालों को और लॉकअप में बंद आपकी मां के सिर के थोड़े से बालो का सैंपल फॉरेंसिक लैब कल रात ही हमने भिजवा दिया था फिर रिपोर्ट ने भी हमारी शक कि नीव को गहराई तक पहुंचा ही दिया।" इंस्पेक्टर मोहन ने पास के ड्रॉर्वर से फॉरेंसिक रिपोर्ट फाइल निकाली और शिवानी के हाथों में पकड़ाई। शिवानी का सिर चकराने लगा रिपोर्ट देखकर। वो बाल भी चंद्रिका त्रिपाठी के ही है। सारे सबूत चंद्रिका त्रिपाठी कि ओर ही इशारा कर रहे हैं।

" कितने बजे तुम घर पहुंची कल रात?" इंस्पेक्टर मोहन ने पूछा।

" 07:05 में  मैं घर पहुंची। हॉल में सोफे पर मां बैठी हुई मेरी राह देख रही थी।" शिवानी ने जवाब दिया।

" तुम्हारे घर पहुंचने से पहले ही तुम्हारी मां ने मर्डर को अंजाम दे दिया था फिर घर जाकर ऐसा ड्रामा किया कि मानों उसने कुछ किया ही न हो। बड़ी शातिर निकली एक्ट्रेस महोदया।" हीनता का भाव चेहरे पर लाते हुए वो इंस्पेक्टर बोला।

" लेकिन नकुल को मैंने ही तो ड्रॉप किया था उसके घर और विनाश... " शिवानी को अचानक से वो घटनाक्रम याद हो आया। साथ ही एक उम्मीद कि किरण नजर आई।

" शुरू से बताओ? कौन विनाश?" इंस्पेक्टर मोहन ने पूछा।
शिवानी ने आपबीती सुनाई।

" हमें तो कोई विनाश नजर ही नहीं आया। लोगों से पूछने पर उन्होंने साफ कह दिया था कि नकुल कि पत्नी मायके बैठी हुई है और नकुल अकेला था घर में। रेस्तरां जाते हुए भी उसे अकेला ही देखा गया था। कोई विनाश कैसे अचानक से गायब हो सकता है भला? ये बताओ कि कितने बजे तुमने नकुल को उसके घर छोड़ा था?" एक और सवाल दागते हुए इंस्पेक्टर कुर्सी पर बैठ गया।

" उस वक्त मेरी मां का मैसेज भी आ रहा था कि घर आ जाओ। शाम के चार बज चुके थे। नकुल को उसके घर 04:06 में मैंने छोड़ा था। फिर काफी दूर पर मेरा घर है "चंद्रिका त्रिपाठी सदन" तो घर पहुंचने में मुझे काफी देर लग गई।" सामने खड़ी शिवानी बोली।
" तो यकीनन मिसेज चंद्रिका त्रिपाठी ने 04:06 से 07:00
के बीच में नकुल का खून करके उसे सड़क किनारे अंधेरे में छोड़ दिया था ताकि किसी भी कि नजर देर से उस पर जाए। खून करके अपने घर आकर बैठ गई तुम्हारे घर पहुंचने से पहले। चंद्रिका त्रिपाठी जी ने तुम्हे मेसेज किए थे तब हो सकता है कि वह तुम्हारा पीछा कर रही होंगी। नकुल को जैसे ही तुमने घर छोड़ा मिसेज चंद्रिका जी वहां पहुंच गई और नकुल का गला रेत डाला चूंकि घर कस्बे से बाहर सड़क किनारे रेस्तरां से कुछ ही दूर पर है तो घसीटते हुए लाश को सड़क किनारे अंधेरे में फेंक कर भाग गई। फिर शॉर्ट कट सड़क से घर पहुंच गई थी और क्या। आओ देखो जरा चलकर नकुल कि लाश को। कितने स्टाइलिश तरीके से आपकी मां "द फेमस एक्ट्रेस चंद्रिका त्रिपाठी" ने इस खून को अंजाम दिया है।" कहते हुए रिपोर्ट फाइल झटके से लेकर इंस्पेक्टर ने ड्रार्वर में रख दी। फिर शिवानी को लेकर वो एक कोने में बेड के सिरहाने जाकर खड़ा हो गया। धीरे से इंस्पेक्टर ने लाश पर से सफेद कपड़ा हटाया। शिवानी का मन हुआ कि इंस्पेक्टर का मर्डर कर दे। कोई भी अपनी मां के खिलाफ़ ऐसी बातें सुन ले तो वो मारे गुस्से के लाल ही हो जाए। जो भी हो गुस्से को काबू में करते हुए फिर शिवानी ने हिम्मत करके नकुल कि लाश को देखा। उसकी निगाहें लाश को देखकर फटी कि फटी रह गई। शिवानी को समझ ही नहीं आ रहा है कि "कौन है असली कातिल....??"


आगे कि कहानी अगले भाग में।



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