shabd-logo

"कौन है असली कातिल....??" ( अध्याय–6)

12 सितम्बर 2021

26 बार देखा गया 26
      " कौन हैं असली कातिल..??"








" मैं तूझे मारने आई हूं जान से। तैयार हो जा ऊपर वाले के पास जाने के लिए।" कहते हुए एक कोने में बैठी चंद्रिका कि ओर मालती अपने दाएं हाथ में चाकू पकड़े हुए बढ़ने लगी।

" नहीं,,,।" जोर कि चीख के साथ चंद्रिका उठ कर मालती कि ओर झपटी। अपनी प्राणरक्षा करते हुए चंद्रिका ने मालती के दोनों हाथों को मजबूती से पकड़ लिया। दोनों के बीच हातापाई  मच गई।


" देखो मोहन! शॉर्ट कट रास्ते पर लेफ्ट साइड कार को मोड़ कर ड्राइव करो। जल्दी ही हम मालती के घर कि ओर पहुंच जायेंगे। फिर उसे अपने साथ ले लेंगे।" लोभेश ने एक सांस में कहा। मोहन ने लेफ्ट साइड के सड़क पर कार को मोड़ लिया। भास्कर की जीप काफी दूर पर है जिसके चलते वो कार को लेफ्ट साइड जाते हुए देख ही पाया लेकिन अभी उसकी जीप काफी दूर है उस कार से। अचानक ही जीप रुक गई। कई बार प्रयास करने पर भी जीप स्टार्ट नहीं हुईं। भास्कर के चेहरे पर गुस्से वाला भाव जागा।

" भास्कर! जल्दी।" भास्कर के बगल में केशव ने अपनी जीप रोकी और उससे कहा। भास्कर झट से केशव कि बगलवाली सीट पर जा बैठा।


" तेरी इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि तू मुझसे चाकू छीनने लगी। बेवकूफ तूझे आज कोई नहीं बचा सकता है मुझसे। तूझे मरना ही होगा।" कहते हुए दाएं पैर से मालती ने चंद्रिका कि कमर के पास जोर से वार किया। 
चंद्रिका इस अनजाने वार से थोड़ी दूर जा गिरी। मालती ने अपने दोनों हाथों से चाकू को कसकर पकड़ा और मालती कि ओर झुकी। मालती चाकू से उस पर वार करती इसके पहले ही......।

" नहीं...!!"चंद्रिका चीखी।

" बहुत हुआ ये तुम लोगो का खूनी खेल। अब मेरी बारी है तुम तीनों कातिलों को जहन्नुम का रास्ता दिखाने की। मुझे सीरियल किलर बनाना चाहते थे न तो अब देखो ये सीरियल किलर क्या करता।" सागर ने एक स्वर में गुस्से के साथ कहा। झटके से मालती के हाथों से वो धारदार चाकू छीनकर सागर ने एक ही वार किया मालती के पेट पर। मालती चीखती हुई जमीन पर जा गिरी। चंद्रिका बेहोश हो गई। सागर ने वो चाकू उसके पेट से निकालकर अपने हाथों में ले लिया।


" शिवानी! मैंने रावी को भेजा है एक जीप के साथ मेरे घर। तुम तीनों उसमें बैठ जाना। हम तुम्हारी मां को जल्दी ही तुमसे मिलाने वाले है।" भास्कर ने फोन कॉल पर शिवानी से कहा। कॉल कट करके भास्कर सामने सड़क पर देखने लगा।


" उतरो जल्दी, यहीं पर रहने दो कार को। मालती को जल्दी लाते है चलो बुलाकर।" लोभेश ने तीव्रता से कहा। 
मोहन ठाकुर कार से उतरा। दोनों ही मालती के घर के दरवाजे कि ओर बढ़ गए। 

" लो.भे...श।" कहते हुए दरवाजे कि ओट में छिपा हुआ सागर मित्तल बाहर निकला और सीधे उस चाकू का वार लोभेश के सीने में उसने जोर से किया। खून कि पिचकारी छूट गई। उसके सीने पर वार करके वापस चाकू अपने हाथों में कसकर पकड़े हुए सागर मुस्कुरा उठा।

मोहन ठाकुर सन्न रह गया। लोभेश सीने पर हाथ रखे धड़ाम से नीचे गिर गया और तड़पते हुए मौत के मुंह में चला गया। 


" सागर मित्तल! ओह। तुमने ये अच्छा नहीं किया बेवकूफ।" मोहन ने अपने कमर में खोंसी हुई रिवॉल्वर निकाली और सागर कि ओर उसकी नोक करते हुए वो गुस्से से तमतमाता हुआ बोला।


" केशव! ये क्या चल रहा है यहां पर??" केशव ने जीप मालती के घर के सामने रोकी। सामने का दृश्य देखकर भास्कर ने उससे कहा।


" तेरे पापों का घड़ा अब भर चुका है मोहन ठाकुर। मुझे अपनी मौत से कोई गिला नहीं है। एक सुकून के साथ जाऊंगा मैं अपने मां -बाप के पास कि तुम जैसे दरिंदो को मैंने तुम्हारे किए कि सजा ठीक वैसी ही दी जैसी तुम लोगो को मिलनी चाहिए।" कहते हुए सागर ने चाकू को फिर मजबूती से पकड़ा और मोहन ठाकुर कि ओर बढ़ ही पाया था कि मोहन ठाकुर ने अपनी रिवॉल्वर से  लगातार तीन फायरिंग्स सागर के सीने पर कर दिए। सागर पसीने से भीग गया। हवा में लहराते हुए वो मोहन ठाकुर के ऊपर जा गिरा और उसने चाकू सीधे मोहन ठाकुर के गले में भोंप दिया। केशव और भास्कर दौड़कर इन दोनों के पास पहुंचे। चंद्रिका त्रिपाठी भी होश आने पर घर से बाहर निकल कर यहां आ खड़ी हुई।

सागर और मोहन ठाकुर दोनों ने ही प्राण त्याग दिए है ये देखकर भास्कर और केशव को अपने आप पर गुस्सा आया कि अगर वे दोनों पहले पहुंच गए होते यहां तो शायद सागर जिंदा होता।



थोड़ी ही देर बाद।

" मां! आप ठीक है।" शिवानी चहकते हुए जीप से उतरकर अपनी मां के पास जाते हुए बोली। उसकी मां ने उसे अपने बांहों में भर लिया। दोनों के नेत्र सजल है। निशा, ईश्वरी, भास्कर और केशव इन मां -बेटी को देखकर मुस्कुरा रहे हैं।


मालती, लोभेश, मोहन ठाकुर और सागर कि डेथ बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

" चंद्रिका त्रिपाठी सदन।"


" मुझे जब गिरफ्तार करके जेल लेगा जा रहा था तभी बीच रस्ते पर एक कॉन्स्टेबल लेडी ने मेरे मुंह पर रूमाल रख दिया था जिससे मैं बेहोश हो गई थी। नकुललाल को उन लोगों ने मारा था लेकिन मुझे फंसाने के लिए उन्होने एक साजिश रची थी। झूठी रिपोर्ट मोहन ठाकुर ने बनवाई कि नकुल के हाथों से जो बाल मिले थे वो मेरे है।वो धमकी भरा खत भी उस नकली चंद्रिका ने लिखा था जिसे मोहन ठाकुर ने नकुल कि जेब में डाली थी चोरी -छिपे। वो नकली चंद्रिका मेरी तरह ही एक्ट्रेस है। माया सिन्हा जो मुझसे नफरत करती है क्योंकि मेरी शादी के पहले मैं दर्जनों फिल्मों में लीड एक्ट्रेस का काम किया करती थी। मुझे स्क्रिप्ट राइटर बनने का भी शौक था। मुझे ही नए फिल्मों में लीड एक्ट्रेस बनने का कॉन्ट्रैक्ट मिलता था ज्यादातर जिससे माया सिन्हा मेरी कट्टर विरोधी बनती गई फिर बन चुकी थी। मोहन ठाकुर ने उसे पैसों का हवाला देकर अपने षड्यंत्र में  मिला लिया था। मै मालती के घर में कैद थी। मुझे भूखी रखा गया था। दिनभर बेहोश रहने लगीं थीं। एक टाईम खाना देकर वो मालती फिर कहीं चली जाती थी। मुझे लग रहा था कि मैं अब उन लोगों कि कैद से आजाद कभी भी हो ही नहीं पाऊंगी शायद। लेकिन आज सागर ने वहां ऐन वक्त पर पहुंचकर मुझे बचा लिया वरना मैं...।" कहते हुए चंद्रिका त्रिपाठी का गला रूंध गया। शिवानी ने उन्हें अपने गले से लगा लिया।


" मोहन ठाकुर, मालती और लोभेश कि उस प्रगाढ़ लालच कि वजह से पांच लोगों कि जान चली गई है और न जाने कितने ही गरीबों के शरीर से उनके आंतरिक अंग निकाले गए होंगे। ये तीनों फांसी के लायक ही थे। सागर ने कानून को अपने हाथों में लेकर अच्छा नहीं किया दुनियां कि नजर में लेकिन उसने उन तीनों को मारकर अच्छा ही किया। बेचारे ने अपना परिवार खोया फिर छिपते हुए भटकाता रहा। संघर्ष से भरा था उसका ये जीवन।दामिनी उन तीनों से ज्यादा पैसों का डिमांड कर रही थी जिसकी वजह से उसकी जान उन दोनों ने ले ली। नकुल भी उन्हें धमकी देने लगा था कि वह उनका फर्दाफाश कर देगा अगर उसे अपनी मुंह मांगी कीमत नहीं मिली तो। फिर क्या था उसका कत्ल कर सारा इल्जाम मोहन ठाकुर ने उन दोनों के साथ मिलकर मिसेज चंद्रिका त्रिपाठी जी पर लगा दिया।" केशव ने स्पष्ट रूप से  कहा।


" सच में उसने जो जीवन जिया है काबिले तारीफ़ है। आंटी को बचाकर उसने हम पर बड़ा अहसान किया है। वो अगर सही वक्त पर वहां नहीं पहुंचता तो आंटी आज हमारे सामने न होती।" निशा ने कहा।

" उसके अहसान का बदला चुकाया नही जा सकता है लेकिन फिर भी हम एक ऐसे हॉस्पिटल का निर्माण कर सकते है जहां पर गरीबों का निः शुल्क ईलाज किया जाए।" शिवानी ने अपनी मन कि बात कही।


" उस माया सिन्हा को जेल कि सलाखों के पीछे हमने पहुंचा दिया है। कल अदालत में पूरी दुनियां को उन तीनों और माया सिन्हा कि सारी सच्चाई पता चल ही जायेगी। आप सब अब सुरक्षित हैं।" भास्कर ने कहा।


" असली कातिल के बारे में आखिरकार पता चल ही गया।" कोरस आवाज में ईश्वरी ने कहा।

अगले दिन अदालत में चंद्रिका त्रिपाठी जी के ऊपर मोहन ठाकुर द्वारा लगाए गए आरोप बेबुनियाद साबित हुए।
केशव और भास्कर ने उन तीनों और माया सिन्हा के बारे में सविस्तर सब कुछ बता दिया। साथ ही वो वीडियो क्लिप भी मजिस्ट्रेट साहब को दिखाए गए। अच्छाई कि जीत हुईं और बुराई का समूल नाश।
" कौन हैं असली कातिल....??" इसकी कहानी अब जगजाहिर हो चुकी है केशव, भास्कर और सागर मित्तल के जरिए।

" समाप्त।"


किताब पढ़िए

लेख पढ़िए