रहस्यमई द्वीप भाग 1
मैं इस सुन्दर प्रकृति को बहुत प्यार करता हूं। इसलिए मेरे दोस्त मेरी बहुत इज्जत करते हैं और मेरा कहा मानते हैं। एक बार मैंने एक सुंदर सा द्वीप खरीदा। वह द्वीप बहुत सुंदर था। उस द्वीप में फलों के और अन्य किस्मों के पेड़ - पौधे लगे हुए थे। कुछ गाये भी घास चर रही थी। एक सुंदर सी झोपड़ी थी। बस इतना ही था। मुझे द्वीप काफी सस्ते में मिला था। मेरे दोस्तों के कहने पर हमने वहां पिकनिक करने का प्रोग्राम बनाया।
हमने एक पानी का जहाज किराए पर लिया और हम 20 दोस्त जहाज में बैठकर उस द्वीप की ओर चल पड़े। कुछ दिनों के बाद हम उस द्वीप में पहुंचे। इसके बाद हमने वह पानी का जहाज वापस कर दिया। हम थोड़ा सा सामान लाए थे। वह सामान भी हमने समुद्र में बीच रास्ते में फेंक दिया था। अब हमारे पास कोई सामान नहीं था। क्योंकि गर्मियो का मौसम था इसलिए शरीर पर थोड़े से कपड़े थे। द्वीप पर पहुंचने के बाद मैंने सबको अपने कपड़े उतारने को कहा। यहां तक कि अंडरवियर तक नहीं छोड़ा। सब ने अपने कपड़े उतार लिए। अब मैंने भी अपने वस्त्र उतार लिए। अब हम नेचुरल स्थिति थे। इसके बाद मैंने सभी कपड़े इकट्ठे करवाए और एक बड़े पत्थर मे बाँध कर समुद्र में फिंकवा दिए।
इसके बाद हम द्वीप के अंदर चले गए। द्वीप में एक सुंदर सा तालाब था। हमने तालाब में जाकर स्नान किया। मेरे कुछ दोस्त तो बड़े सुडौल दिख रहे थे, लेकिन कुछ बड़े बेडौल भी दिख रहे थे। हमने कुछ दिन वहां गुजारने का फैसला लिया था। इन सब का ग्रुप लीडर भी मैं ही था। हमें स्नान करके थोड़ा भूख लग गई थी, इसलिए हमने आसपास के पेड़ों से कुछ स्वदिष्ट फल तोड़े और उन्हें खाने लगे। हमारा पेट भर गया था। अब हम आराम से सो गए।
काफी समय बाद जब हमारी नींद खुली तो बिल्कुल शाम होने को आई थी। अब हमें फिर भूख लगनी शुरू हो गई। हमने फिर फल खाए और इस तरह अपनी भूख मिटाई। इसके बाद हम एक पेड़ के पास गये। यह केले से मिलता - जुलता पेड़ था। हमने उसकी पत्तियां निकाली और वस्त्र की तरह अपने बदन पर लपेट ली।
हमें इस दीप पर बहुत आनंद आ रहा था। हम 15 पुरुष और 5 स्त्रियां थी। हम कुल मिलकर 20 लोग थे। द्वीप पर हालांकि मछलियां वगैरह भी थी और कुछ छोटे जानवर भी थे। लेकिन हम पूरी तरह शाकाहार पर ही निर्भर थे। हम दिन भर धूप में घूमते रहते थे ओर प्रकृति की सुषमा का आनंद लेते थे। धीरे-धीरे हमारे शरीर बहुत ही स्वस्थ हो गये। मेरे कुछ दोस्तों को कुछ छोटी - बड़ी बीमारियां हो गई थी, वह भी ठीक हो गई। सबके शरीर वी शेप में आ गये। हमें यहां आकर ऐसे लगा कि जैसे हम स्वर्ग में आ गए हो।
हम सुबह - शाम भगवान का भजन करते थे और दिन में 1 - 2 टाइम शुद्ध शाकाहार - फलाहार आदि करते थे। हमारा शरीर बहुत स्वस्थ हो गया था। हम आज की आधुनिक दुनिया की चीख - पुकार से बहुत दूर थे। हमारी शारीरिक और मानसिक शक्तियां बहुत विकसित हो रही थी। हमारे शरीर में कोई भी बीमारी न थी और हम में से प्रत्येक व्यक्ति साधारण मनुष्य से 10 गुना ज्यादा शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हो चुका था।
अब हम शुद्ध सात्विक मनुष्य बन चुके थे। अचानक आकाश में युद्धक विमानो का तेज शोर सुनाई देने लगा। मेरे साथी तो अनजान से उनको देखते रहे। लेकिन मुझे समझ में आ गया कि अब दुनिया का अंत आ चुका है। दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की ओर बढ़ रही है। कई महीनों तक युद्धक विमानों का शोर सुनाई दिया। अचानक बहुत दूर एक बहुत बड़ी मशरूम की आकृति बनतीं हुई दिखाई दी। यह मशरूम की आकृतियां धीरे-धीरे बढ़ने लगी। मैं समझ गया कि परमाणु युद्ध शुरू हो गया है। कुछ समय बाद सन्नाटा छा गया। मैं समझ गया कि अब परमाणु युद्ध खत्म हो गया है और पृथ्वी में कोई भी मानव नहीं बचा है। सिर्फ हमारा द्वीप जो आधुनिक दुनिया से बहुत दूर था, वह इस युद्ध की चपेट से बच गया है। मैंने अपनी मानसिक शक्तियों से पता लगा लिया था कि दुनिया में हमारे अलावा अब एक चूहे का बच्चा भी जिंदा नहीं है।
अचानक मेरे दिमाग में एक गंभीर और मीठी आवाज सुनाई देने लगी ...... पुत्र मैं एक ऋषि हूं। मैं सप्त ऋषियों में से आता हूँ। मेरा नाम कश्यप ऋषि है। देव, दनुज और मानव मेरी ही संतान है। पृथ्वी में पाप भार बहुत बढ गया था, इसलिए पूरी पृथ्वी नष्ट हो गई है। कई वर्षों के बाद यह पृथ्वी फिर पल्लवित होगी। इसमें घास उगेगी, पेड़ -पौधे उगेंगे और फिर जीवन शुरू होगा। तुम इसे सतयुग का प्रारंभ मान सकते हो।
मैं समझ गया यह सप्त ऋषियो में से एक महान ऋषि कश्यप ऋषि हैं। जिन्होंने मुझ से मानसिक संपर्क साधा है। ऋषि ने प्यार से कहा पुत्र तुम 20 लोग लगभग अजर - अमर ही है, जब तक कि तुम कोई बुरा कार्य न करो। परंतु फिर भी इस पृथ्वी में मनुष्यों की वृद्धि होनी ही चाहिए। इसलिए मैं अपना समस्त ज्ञान जो प्राचीन भी है और आधुनिक विज्ञान भी है तुम्हें देता हूं। तुम इसे ग्रहण करो। मैंने मन ही मन कश्यप ऋषि को प्रणाम किया। अचानक मन की आंखों से मैंने देखा सुनहरे प्रकाश की एक किरण कश्यप ऋषि के हाथों से निकल कर मेरे शरीर में प्रवेश कर रही है। मेरा शरीर थरथर कांप गया और कुछ ही देर बाद मैं बेहोश हो गया। जब मैं होश में आया तो मेरे साथियों ने कहा अरे भाई हम तो परेशान हो गए थे। आज पूरे 1 हफ्ते के बाद होश में आए हो।
मैंने तुरंत स्नान किया और कुछ फलाहार लिया। थोड़ा स्वस्थ होकर मैंने देखा कि मेरा शरीर अद्भुत कांति से दमदमा रहा है। मेरे सभी साथी मुझे आश्चर्य से देख रहे हैं। कश्यप ऋषि की पूरी शक्ति मेरे शरीर में समा गई थी। मेरा शरीर और ज्यादा स्वस्थ और ज्यादा मजबूत दिखाई दे रहा था। मेरा आत्मविश्वास भी बहुत बढ़ गया था। अब मैं जिस भी वस्तु को देखता उस वस्तु के बारे में मुझे सब कुछ ज्ञान हो जाता। क्योंकि मैं एक रोबोटिक्स का इंजीनियर भी हूँ इसलिए सबसे पहले मैंने द्वीप में उपलब्ध खनिजो की सहायता से 2 रोबोट बनाये। अब यह दोनों रोबोट मेरे हर कार्य मेरी मदद करने लगे। इन दोनों रोबोटों की मदद से मैंने मनचाही इच्छा में हजारों लाखों रोबोट बनाए, जो अलग-अलग कार्यों के लिए थे। उसके बाद मैंने टेस्ट ट्यूब बेबी का निर्माण किया। यह सब कार्य मैंने अपने द्वीप से कुछ दूर पर स्थित द्वीप में शुरू किया। वहां एक किस्म की मेरी प्रयोगशाला ही थी। धीरे-धीरे उचित मात्रा में मेरे पास रोबोट और मनुष्य हो गए। पूरी आधुनिक सुविधाएं उस द्वीप पर मैंने स्थापित कर दी।
उस द्वीप पर एक बहुत बड़ा विकसित नगर भी मैंने बसा लिया। जिसमें रोबोट और मनुष्य मिलजुल कर रहते थे। यह एक अत्यंत आधुनिक महानगर था।