ज़िंदगी से ज्यादा वो मौत का सच जानना चाहता था. मौत के बाद की सच्चाई पता लगाना चाहता था. मुर्दों को ढूंढना उसका शौक़ था. मुर्दों से बात करना उसका शग़ल. अनजान और अदृश्य लोगों की पहेली बुझाना उसका पेशा. लेकिन अब खुद उसी की मौत एक पहेली बन गई थी.ये कहानी है गौरव तिवारी की। अपनी महारत, खास मशीन और कैमरे