लखनऊ। आज सुबह ही इंडिया संवाद‘ में योगी सरकार के उप मुख्य मंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बारे में एक बडी दिलचस्प खबर पढने को मिली। लगा कि योगी सरकार के उपमुख् मंत्री केशव प्रसाद मौर्य की मुख्य मंत्री बनने की अति तीव्र लालसा अभी बनी हुई ही है। राख में अंगारे की तरह दबी है। ऐसा ही रहा, तो मोका मिलते ही वह कभी भी शोले बन सकती है। तलाश सि
अद्भुत सिद्धि का दिन था शनिवार
तांत्रिक सिद्धि की दृष्टि से इसी 24 जून को बीते शनिवार का बडा महत्व रहा है। शनिवार का दिन हनुमानजी, मां दुर्गा के अलावा शनिउपासना का भी होता है। इस बार इस दिन एक नक्षत्र विशेष के होने के अलावा गुप्त नवरात्रि भी शुरू हुई है। यह आगामी दो जुलाई को समाप्त होगी। ऐसे तमाम अद्भुत संयोगों में पूरी रात किये गये इस तांत्रिक अनुष्ठान का अपना विशेष महत्व रहा है। लेकिन, इसका उद्देश्य किसी भी स्थिति में नकारात्मक नहीं होना चाहिये। यदि, ऐसा रहा भी होगा, तो भी योगीराज का कुछ भी बिगडने वाला नहीं हैं। वह स्वयं ही बडे उच्चकोटि के साधक और आराधक हैैं। उन पर औघडनाक शिव, जगदंबा के अलावा उनके गुरू महंत आदित्य नाथ का भी सीधा वरदहस्त है। इसलिये कोई लाख जतन करे, इस योगी का बालबांका नहीं होने वाला है।
2014 में भी कामाख्यापीठ में किया गया था तांत्रिक अनुष्टान
याद दिला दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान ऐसा ही एक जबरदस्त तांत्रिक अनुष्ठान विश्व में तंत्र की सबसे बडी और जागृतपीठ कामाख्या देवी में भी कराया गया था। वह भी लगभग दो महीने तक। इसके लिये वाराणसी और विन्ध्याचल के तांत्रिकों की एक टोली को भेजा गया था। लेकिन, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को ऐतिहासिक सफलता मिली। वह प्रधान मंत्री बने और कामाख्यापीठ मेें कराया गया इतना सशक्त तांत्रिक अनुष्ठान असफल साबित हुआ। इसलिये कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं धचलवस्त्रधारी प्रचंड योगी हैं। इस कथित तांत्रिक अनुष्ठान को कराने वाली सियासी शख्सियत आज मोदी सरकार में है। लेकिन, प्रधान मंत्री मोदी अपने इस आस्तीन के नाग को पूरी तरह अपनी निगरानी में रखे हुए हैं। ठीक यही स्थिति प्रदेश में मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ की भी है। वैसे, राजनीति में उच्च महत्वाकांक्षी होना बुरा नहीं है। केशव प्रसाद मौर्य जैसे लोग राजनीति में रहकर छलांग दर छलांग लगाना चाहते हैं। यह नितांत स्वाभाविक है। संयोग से यह संवाददाता और केशव प्रसाद मौर्य एक ही जिला और तहसील के ही हैं। शुरू से ही इनकी बडी चर्चित शख्सियत रही है। आज भी है। अभी तक इनसे सिर्फ एक ही बार मिल सका हॅू। वह भी पहली बार इनके अपने सिराथू विधान सभा क्षेत्र से विधायक बनने के बाद।
मोदी और केशव की आर्थिक संपदा में अंतर
इलाकाई होने के कारण जानता हूं कि इनका भी बचपन प्रधान मंत्री मोदी की ही तरह कुल्हड में चाय बेचते ही बीता है। इनमें और प्रधान मंत्री मोदी में यही जगजाहिर साम्यता कही जा सकती है। लेकिन, इन दोनों में सबसे बडा अंतर यह है कि इनका गंभीर आपराधिक रिकार्ड है और मोदी इससे एकदम अछूते हैं। लगातार कई बार गुजरात का मुख्य मंत्री और पिछले तीन सालों से देश का प्रधान मंत्री होने के बावजूद आर्थिक संपदा के लिहाज से मोदी इनके आगे बहुत बौने हैं। केशव प्रसाद मौर्य बहुत ही कम समस में देखते ही देखते करोडां ओर अरबों की संपदा के मालिक हो गये है। कैसे? यह बडा रहस्यमयय है। इसलिये यदि मुख्य मंत्री योगी की नाम में असल दम है, तो उन्हें सूंघकर इसका भी पता लगाना चाहिये। आगे की राम जाने । योगी की नाम का दम
यह प्रसंग इसलिये उठा रहा हूॅ कि कल रात एक प्रमुख न्यूज चैनल ने यह बताने की कोशिश की थी कि मुख्य मंत्री योगी आदित्य नाथ की नाक में बडा दम है। सिर्फ सूंघकर उन्हें एक से एक बडे घपले और घोटालों की जानकारी मिल जाती है। इसीलिये गोमती रिवर फंट घोटाले का सारा कच्चा चिट्ठा उन्हें पता चल गया। ऐसे ही मायावती और अखिलेश यादव की सरकारों में हुए एक से एक बडे घोटालों के बारे में भी उनकी नाक का यही दम उन्हें बता देगा। इसके बाद योगीराज सियासी लिहाज से उन पर अपनी चाबुक चलायेगें।
नाक के दम की अग्निपरीक्षा
बुरा नहीं है यह अच्छा है। भ्रष्ट और भ्रष्टाचार के ख्लिाफ बहुत सख्ती से मुहिम चलाई ही जानी चाहिये। लेकिन, मुख्य मंत्री अपनी नाक के इस दम का इस्तेमाल केवल विपक्षी नेताओं के ही खिलाफ न करें। वह तो योगी-सन्यासी है। प्रखर राष्ट्रभक्त भी हैं। इस नाते अपनी नाक के दम उन्हें यह भी पता लगाना चाहिये कि खुद उनकी सरकार और पार्टी में कैसे कैसे रहस्यमय लोग भरे हुए हैं। यदि उनकी भी करतूतों को सामने लाने का यह साहस कर सकते हों तो अवश्य करें। यही उनके योगीत्व की बडी कठिन अग्निपरीक्षा होगी।
योगी सरकार के खिलाफ अफवाह
खैर, यह तो बाद की बात है। फिलहाल, उन्हें अपनी आस्तीन में पल रहे नागों से हर हाल में बच कर रहना ही होगा। अपने लिये नहीं, प्रदेश और देश के लिये भी। उनको शायद पता नहीं कि उनकी ही आस्तीन के इस नाग से जुडे गुर्गे किस तरह बडी चतुराई से जगह जगह यह अफवाह फैला रहे हैं कि योगी सरकार में भी लेनदेन का धंधा शुरू हो गया है। अभी तो अंदर ही अंदर। बाद में खूुलकर धडल्ले से होगा। हाल ही में शिक्षाविभाग में किये गये तबादलों से इन अफवाहों को बल मिल रहा है।
प्रदेश को है योगी की जरूरत
बेशक, इससे मुख्य मंत्री योगी की निर्मल छवि पर बडा प्रतिकूल असर पड रहा है। सरकार बनने के बाद उनकी कई महत्वपूर्ण घोषणाओं के फुस्स हो जाने की असल वजह अंदर ही अंदर चल रहा यही कुचक्र कहा जा सकता है। यह ठीक है कि सब कुछ जानते हुए भी अपनी सियासी मजबूरी के कारण योगी को ऐसे नागों को पालना पड रहा है। लेकिन, हर क्षण और हर पल आस्तीन के ऐसे नागों से उन्हें पूरी तरह सजग और सतर्क तो रहना ही होगा। सूबे का अधिकांश आम आचाम भी यही चाहता है। इसलिये कि प्रदेश और देश को मुख्य मंत्री योगी की बहुत जरूरत है।