राजस्थान सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों से बचने के लिए मशीन से राशन के वितरण का फैसला लिया था. अब इसमें भी खामियां सामने आ रही हैं. राशन कार्ड पर बुजुर्गों और मजदूरों के उंगलियों के निशान मिट जाने से उन्हें राशन नहीं मिल पा रहा है.
राजस्थान में हर महीने 10 से 24 के बीच राशन की दुकानों पर गेहूं, चावल और कैरोसिन बांटा जाता है, यह मशीन तय करती है कि किसको राशन मिले और किसको नहीं. लेकिन, राशन कार्ड में अंगूठे का निशान नहीं मिलने पर ये मशीन राशन नहीं देती.
कैसे काम करती है e-PoS मशीन
राजस्थान में करीब करीब सभी 28 हजार राशन की दुकानों पर ऐसी बायोमैट्रिक मशीनें लगाई गयी हैं. इसमें पहले राशन कार्ड का नंबर और फिर आधार नंबर फीड करना पड़ता है. पहले चरण में मशीन इस का मिलान करती है और फिर राशन कार्ड धारक को अंगुली की छाप का मिलान मशीन करती है. राशन कार्ड पर जितने भी लोगों के नाम दर्ज हैं और अगर उनके पास आधार कार्ड है तो वो अंगूठे की पहचान करवा राशन ले सकता है.
क्या कहते हैं लोग
ठेला चलाने वाले 70 साल के नोशे खान ने बताया कि ठेला चलाते-चलाते उनके हाथ की लकीरें काफी मिट गई हैं. ऐसे में मशीन उनके उंगलियों के निशान नहीं पहचान पा रही. ऐसे में राशन नहीं मिल पा रहा. यही हाल 85 साल का है मनभरी विधवा है और घर में दूसरा कोई नहीं है. मनभरी की अंगुलियों को मशीन पहचान नहीं पाती है.
मोदी सरकार का दावा है कि नई तकनीक के बाद 1 करोड़ 62 लाख के नाम पर 10 हजार करोड़ का फायदा हुआ है.
सरकार को भले ही करोड़ों की बचत हो रही हो लेकिन सैंकड़ों वो जरुरतमंद लोग परेशान हैं जो सस्ते राशन के असली हकदार हैं. एक सर्वे के अनुसार 25 फीसदी जरुरतमंद यानि हर चौथे को ऐसी ही किसी तकनीकी खामी को झेलना पड़ रहा है.