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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-1)

25 सितम्बर 2021

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"तूने राज सर को कोट (quote) दिया? मैंने तो बड़ी प्यारी सी लाइंस लिखी थी उनके लिए आर्चीज के कार्ड पर।" दिशा ने चहकते हुए सहेलियों के बीच आकर एनाउसमेंट की।  

"वाउ! उन्होंने एक्सेप्ट कर लिया? 

बट हाउ? लकी गर्ल।"

बारहवीं की फेयरवेल पार्टी के बाद लड़कियां एक-दूसरे से चुहलबाजी करती हुई स्कूल गेट पर खड़ी है। यही वह द्वार है जिसके बाहर जाते ही उनके विद्यार्थी जीवन का एक अति महत्तवपूर्ण अध्याय समाप्त हो जाएगा और द्वार के बाहर दिखती हुई यह जानी पहचानी सड़क विभिन्न दिशाओं में जाते हुए उन्हें ले जाएगी अनंत संभावनाओं के संभावित लक्ष्यों  की ओर। 

इनमें से कुछ बालाएं ऐसी हैं जो महान वैज्ञानिक बनकर प्रकृति के रहस्यों की परतों को खोलने का प्रयास करेंगी, वहीं कुछ गैलीलियो, न्यूटन और आइंस्टाइन की कोटि में जाने की चेष्टा करेंगी तो कुछ मदर टेरेसा की तरह दूसरों की सेवा करना चाहती हैं।  कुछ ऐसी भी महान हस्ती बलाएँ हैं, जिन्हें न तो इस क्षणभंगुर संसार में वैभव चाहिए ना कोई पद, उनका एकमात्र लक्ष्य है अमीर पति को प्राप्त करना और घर-गृहस्थी की गाड़ी खींचना।

तीन महीने पहले मैथ्स की पीजीटी टीचर के मातृत्व अवकाश पर  जाने के कारण  उनकी जगह मैथ्स के नए टीचर राज सर आए थे, पर वो टीचर लगते ही नहीं हैं। वजह यह है कि वो बहुत ही यंग और हैंडसम हैं और साथ में इंट्रोवर्ट भी। पीली रंगत लिए हुए हिन्दुतानी गोरा रंग, कद लगभग पांच फुट ग्यारह इंच, उठे हुए जेल से सँवारे हुए बाल, डेनिम जीन्स के ऊपर सफेद शर्ट, यह रूप नवपल्लवित हृदयकुसुमों पर बिजली गिराने के लिए काफी है।

लेकिन राज सर ने अपने गुरु होने की छवि को कभी धूमिल नहीं होने दिया  और सदा ही गुरु गंभीर बने रहे। कभी किसी को भी ज्यादा लिफ्ट नही दी, बस अपने काम से काम। 

जब वो ब्लैक बोर्ड पर ट्रिग्नोमेट्री पढ़ाते तो अंतिम पंक्ति की ढीठ और  बहु-प्रतिभावान  छात्राओं का सिरजुड़ाऊ त्रिकोणमितीय सम्मेलन गड़बड़ा जाता और वे एकाग्रचित होकर काले बोर्ड पर सफेद रेखाओं में ही अपना भविष्य तलाशने की असंभव कोशिश करतीं। डिफ्रेंसिएशन पढ़ाते हुए उन्हें किसी भी छात्रा में कभी कोई अंतर प्रतीत होता हो, ऐसा तनिक सा भी आभास कभी किसी को  नहीं हुआ। इंटीग्रेशन का चैप्टर शुरू होने पर भी एकीकरण की कोई भी रणनीति काम नहीं आई और प्रोबेबिलिटी का लास्ट चैप्टर आते-आते तो अति क्षीण संभावना ने भी दम तोड़ ही दिया। इसलिए कुछ दिनों हेल्थी फ्लर्ट की कोशिशों के बाद लड़कियों ने उन्हे 'क्यूट इडियट'  के नाम से नवाज दिया।

खैर,  आज तो  फेयरवेल हो गई, इसलिये कल से  स्कूल आना नही है।  और यह याद आते ही सब छात्राओं के मन में एक टीस सी उठी कि अब हम लोग कभी नहीं मिलेंगे!  सबके साथ मोबाइल नंबर एक्सचेंज करने के बाद कुछ उत्साही लड़कियां राज सर के पास भी गईँ थीं पर उस ' क्यूट इडियट' ने बड़ी ही रुखाई से मना कर दिया।

"मैं तो यहां पर टेंपररी अरेंजमेंट पर हूँ, मोबाइल नंबर किसलिए चाहिए?"

कुछ दिनों बाद बारहवीं का रिजल्ट आने पर सब अपने-अपने कॉलेज एडमिशन में व्यस्त हो गए और अंततः धीरे धीरे आपस में बातचीत भी बहुत कम हो गई। 

इन्ही लड़कियों में से एक लड़की 'अनुभा चौहान' का कॉमर्स में स्नातकोत्तर करने के बाद इनकम टैक्स विभाग में  इंस्पेक्टर के पद पर चयन  हो गया।

ट्रांसफरेबल जॉब में अकेले रहते हुए लेखिनी को ही उसने अपना साथी बना लिया। कोरे कागज पर कभी वह कवितायें लिखती और कभी कोई कहानी। जैसे कोई नौनिहाल दीवार पर अपना प्रथम सांसारिक चित्र बना रही हो। एक अच्छा नहीं बना, तो दूसरी दीवार पर पिकासो बनने की कोशिश करती हुई यह नौनिहाल लेखक बच्ची एक दिन अपनी आत्मकथा लिखने बैठी तो नायिका का नाम रखा, 'समिता' जिसमें उसके पापा प्यार से उसे कभी-कभी 'मीता' कहते। 

.......

"राम वही जो सिया मन भाये"

मैं समिता, यानी घर की लाडली बेटी, पापा की परी नहीं, पापा का अभिमान और उनकी दोस्त भी। 

मेरे  घर में एक छोटी बहन, एक भाई और मम्मी हैं बस!  छोटा सा सुखी परिवार। मम्मी कभी-कभी झुंझलाकर समिता से कहती है "तुझमे लड़कियों से ज्यादा लड़कों के गुण हैं।"

वो इठला कर कहती "पर हूँ तो इंसान ना! थोड़ी जिम्मेदार, थोड़ी नासमझ, थोड़ी नकचढ़ी और थोड़ी जिद्दी भी" और मम्मी के गले में बाहें डालकर ठठाकर हँस पड़ती। 

सुबह-सुबह आफिस जाने की जल्दबाजी में कुर्ते के गले में से अपना सिर बाहर निकालती हुई ही बाथरूम से बाहर आते हुए चिल्लाती, "मम्मी मेरी चुन्नी नहीं मिल रही...... यार!...मम्मी!.. मेरा बैग कहाँ है?"

"ये लड़की भी ना! अभी तक बड़ी नही हुई। पता नहीं आफिस कैसे संभालेगी?" मम्मी लंच बॉक्स को बंद करती हुई किचेन से निकलती और उसके हाथों में थमाती हुई गुस्से से बड़बड़ाती।

"मुझे पूरा आफिस नहीं संभालना है, केवल अपनी सीट देखनी है।" मैं लंच बॉक्स बैग में डालते हुए जवाब देती, मम्मी के हाथ से चुन्नी झपटती और चप्पलों में पैर फंसाती हुई, आफिस के लिए भागती।  धीरे-धीरे ये भाग दौड़ मेरे जीवन का स्थायी हिस्सा बनने लगी।

तीन-चार साल बीतते बीतते, मेरे माता-पिता को मेरी शादी की चिंता सताने लगी।  कभी लड़के वालों को मैं पसंद नही आती, कभी मुझे उनका दहेज लेना और लड़के का स्वभाव।  लेकिन ऐसा कब तक चलता? एक दिन पापा ने एक लड़के के साथ मेरी बात पक्की कर दी। 

पर पता नही क्यों, मैं उससे अपने आप को जोड़ नही पा रही थी। यह बात शायद पापा को समझ आ रही थी इसलिए लड़के वालों के बार-बार कहने पर भी उन्होंने अभी तक किसी फॉर्मल सेरेमनी के लिए हां नही की थी। 

लेकिन जल्दी ही लड़के वालों ने जल्दी शादी के लिए दवाब बढ़ाना शुरू कर दिया। और कहीं बात जम नही रही थी, तो मन मारकर पापाजी और हमारे दूर के रिश्ते के एक मामाजी सगाई की तारीख पक्की करने लडके वालों के यहां चले गए।  लेकिन जो एक खुशी वाली बात होती है वो किसी के भी चेहरे पर नही थी। अलबत्ता, मम्मी के चेहरे पर जरूर एक राहत का भाव आ गया था कि चलो फाइनली कहीं तो फाइनल होने जा रहा है, बाद में सब ठीक हो जायेगा ।   

"अरे! समिता...... समिता की मम्मी ......  कहां हो भई!  चाय- वाय पिलाओ!"  पापाजी ने वापिस घर में घुसते हुए आवाज लगाई।  

उनकी आवाज में खनकती खुशी देखकर सब खुश हो गए।  छोटी अपनी किताबें टेबल पर ही फेंक कर, चाय बनाने किचेन में चली गई और मम्मी पापा के पास जाकर सिर पर पल्ला रख कर बैठ गईं। किसी बड़े के सामने तो वो सर पर पल्ला रखतीं ही है, पर किसी महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर बातचीत करने से पहले सर पर पल्ला खींचकर बैठना कभी भी मेरे पल्ले नहीं पड़ा। 

एक इकलौती मैं ही, बुझी सी, झुकी गर्दन लिए परदे के पीछे से उन लोगों की बातें सुनने लगी।

"क्या फाइनल हुआ? कब की कह रहे है? "  मम्मी अपनी उत्सुकता दबा नही पाई। 

पापाजी ने मुस्कराते हुए छोटी-छोटी  चमकती आंखों  से मामाजी की तरफ देखा और कहा, "भई! तुम ही बताओ"।  

मामाजी ने कुर्ते का कॉलर ऊपर खींचा, गला खंखारा और बड़ी गंभीर मुद्रा में सबको ताका। जब उन्हें विश्वास हो गया कि पब्लिक की पूरी अटेंशन उनकी तरफ है तो संजीदगी से कहा "देखो जिज्जि! हमें वो लड़का तो पसंद आया नही।"

मम्मी ने परेशानी और बौखलाहट से पापाजी की तरफ गर्दन घुमाइ पर  मैंने राहत की लंबी सांस ली। लेकिन टेबल पर चाय की ट्रे रखती छोटी की ट्रे से थोड़ी सी चाय छलक कर उसके हाथ पर गिर ही गई। 

"इसलिए हम जीजाजी को अपनी एक दूर की बहन का लड़का दिखाने ले गए। घर-वर ठीक है।  उन्हे लड़की की नौकरी से कोई परेशानी नहीं है।  जो दहेज दोगे वही ले लेंगे।  जिज्जि! हम तो 1100 रुपए लड़के के हाथ पर रख कर रिश्ता पक्का कर आए हैं।  सगाई की तारीख पंडित जी से निकलवा लो, तो उन्हे भी बता दें।"  बम फोड़ कर मामाजी चले गए। 

मुझे काटो तो खून नहीं।  उस लड़के और उसकी फैमिली को कम से कम देखा तो था और बातचीत भी की थी। इसको तो .....ऐसे कैसे किसी को बिना देखे ही?...... अब तो वो जमाना भी नही है।  और क्या......नौकरी से दिक्कत नही है,  दहेज  भी?  माय फुट!  इसीलिए बिना लड़की देखे मान गए!

"मुझे लड़का देखना है" मैने भी एक बम गिरा ही दिया।

"पागल हो गई हो क्या? जब वो मान गए तो तुम्हे क्या दिक्कत है? और अगर तुम्हें देखकर लड़के ने मना कर दिया तो....?"

पर मैं ठहरी जिद्दी, नहीं मानना था तो नहीं मानी और मामाजी को भेजना पड़ा उनसे यह बात किसी और तरीके से कहने के लिए ताकि उनको बुरा ना लगे।  

अगले सोमवार को रात दस बजे का दिन ....नहीं....नहीं... रात पक्की हुई।  

"वर्किंग डे ?  वो भी रात दस बजे। ?" मैं फिर भुनभुनायी।

"क्योंकि लड़का दिन में जॉब करता है और इवनिंग कॉलेज BE (इलेक्ट्रिकल) कर रहा है।" छोटी ने अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर बोलते हुए ज्ञान बघारा।

"ठीक है !" मैने भी सहमति दे दी।  

क्रमश:



Shraddha 'meera'

Shraddha 'meera'

Behad khoobsurat kahani

9 जनवरी 2022

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

9 जनवरी 2022

धन्यवाद श्रद्धाजी

Anita Singh

Anita Singh

उपन्यास की रोचक शुरुआत

27 दिसम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

27 दिसम्बर 2021

आभार अनिता जी

Laxman Singh

Laxman Singh

गीता जी, समय के अभाव के कारण हम आपका एक ही भाग पढ़ पाए. बहुत अच्छा लगा. आपकी लेखन शैली काफी अच्छी है!

13 दिसम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

13 दिसम्बर 2021

बहुत बहुत आभार सर। मैं समझ सकती हूँ क्योंकि मैं खुद समय नही निकाल पा रही हूँ।

Jyoti

Jyoti

👍

5 दिसम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

11 दिसम्बर 2021

धन्यवाद जी

Nusarat J

Nusarat J

👍👍👍👍👍👍

3 दिसम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

11 दिसम्बर 2021

धन्यवाद नुसरत जी

Ajay awasthi sarvesh

Ajay awasthi sarvesh

बहोत अच्छा लिखा है अपने इसको हम तक पहुँचाने के लिये धन्यवाद 🙏🙏

27 नवम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

11 दिसम्बर 2021

धन्यवाद अजय जी

दीक्षा सचदेव

दीक्षा सचदेव

कहानी की शुरुआत बहुत ही बढिया ढंग से की है। ,👍👍

25 नवम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

11 दिसम्बर 2021

धन्यवाद दीक्षा जी

25 नवम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

11 दिसम्बर 2021

धन्यवाद शिवम जी

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

अच्छी रचना है

23 नवम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

11 दिसम्बर 2021

धन्यवाद रेखाजी

Uday Raj Singh

Uday Raj Singh

बहुत अच्छी शुरुआत

6 नवम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

16 नवम्बर 2021

धन्यवाद

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रचनाएँ
राम वही जो सिया मन भाये
5.0
समिता - एक मिडिल क्लास पढ़ाकू और स्वाभिमानी लड़की, जिसके सपने बहुत बड़े तो है , लेकिन उसूलों के साथ। वह अपने उसूलों से कोई समझौता नही करती। और राज - एक अपर मिडिल क्लास का पढ़ाकू लड़का है, अमीर बनना चाहता है, इसलिये दायरे में रहकर जमीर से समझौता कर ही लेता है। तो क्या जमेगी राम और सिया की जोड़ी, मतलब समिता और राज की? आगे कहानी में एक ट्वीस्ट भी है। जानने के लिए पढ़े -"राम वही जो सिया मन भाये"।
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प्रथम

26 जनवरी 2022
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श्री उदयराज सिंह भदौरिया जी को सप्रेम मेरा प्रथम उपन्यास 'राम वही जो सिया मन भाये'

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डिस्क्लेमर

23 जनवरी 2022
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इस पुस्तक में संकलित कहानियां, स्थान, पात्र, व्यंग, संवाद आदि काल्पनिक हैं. किसी भी संभावित साम्यता का कारण एक संयोग मात्र हो सकता है, जिसके लिए लेखक जिम्मेदार नहीं है.  

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लेखिका की बात

23 जनवरी 2022
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 लेखिका की बात  विभिन्न सामाजिक परिवेशों में पलने-बढ़ने के परिणाम स्वरुप, मेरे अनुभवों ने मेरी शख्शियत को सजाया-संवारा और मेरी प्रतिभा को अनेक आयाम प्रदान किये। हालाँकि मेरे जन्म से लेकर मेरी पढाई

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भूमिका

23 जनवरी 2022
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राम वही जो सिया मन भाये 'राम वही जो सिया मन भाये' को आपके हाथों में देखकर मुझे अपार हर्ष हो रहा है। आप इस उपन्यास को जैसे-जैसे पढते जाएंगे, आप अपने आपको इससे जुड़ा हुआ अनुभव करेंगे और आपकी रुचि इसमें

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-1)

25 सितम्बर 2021
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"तूने राज सर को कोट (quote) दिया? मैंने तो बड़ी प्यारी सी लाइंस लिखी थी उनके लिए आर्चीज के कार्ड पर।" दिशा ने चहकते हुए सहेलियों के बीच आकर एनाउसमेंट की। "वाउ! उन्होंने एक्सेप्ट कर लिया?&nb

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-2)

25 सितम्बर 2021
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सोमवार को आफिस में मेरा मन नहीं लगा। सारे दिन पेट में खलबली सी मची रही। वो कहते है ना! "बटरफ्लाईज इन स्टमक" टाइप की फीलिंग आ रही थी। फिर भी कर्म ही पूजा को ध्येय मानने वाली इस लड़की को अपने काम क

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-3)

27 सितम्बर 2021
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जब इस दुनिया में हमारा पदार्पण होता है तो कुछ रिश्ते हम अपनी मुट्ठी में बंद करके लाते हैं और वह मुट्ठी मरने तक खुलने नहीं देते। कुछ रिश्ते हम अपने पड़ोस और समाज में बनाते हैं, कुछ को ताउम्र निभाते भी ह

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-4)

30 सितम्बर 2021
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अपने -अपने क्षेत्र और जाति के रीति-रिवाज और पंचांग के अनुसार विवाह में वर और वधू, दोनों की कुंडलियों को मिलाया जाता है। जिसे कहते हैं, कुंडली मिलान या गुण मिलान। इसमें वर और कन्या की कुंडलियों को देखक

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-5)

2 अक्टूबर 2021
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सुबह-सुबह पापा का मोबाइल बजा। पापा के हेलो कहते ही - "भाई साहब अच्छा हमने आपके यहां रिश्ता किया, मनु (राज का छोटा भाई) का एक्सीडेंट हो गया। मेरे तो दोनो लड़के हाथ से गए।" उधर से माताजी की मधुर आ

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-6)

8 अक्टूबर 2021
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जब कुछ न समझ आए तो जो हो रहा है उसे होने दो। नियति के कार्यों में संदेह कर, अपने आप को साबित करने के चक्कर में कभी कभी हम नियति से उलझ पड़ते है। मैने भी डिसाइड कर लिया है कि जो हो रहा है ठ

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-7)

10 अक्टूबर 2021
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किसी की भी जिंदगी का सबसे हसीन इवैंट ‘विवाह‘ एक संस्कार है जो दो दिलों के साथ ही दो परिवारों और कितने ही अन्य लोगों को रिश्तों की कड़ी में पिरोता है। प्यार, उल्लास और मौज-मस्ती के इस माहौल क

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-8)

11 अक्टूबर 2021
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ट्रैन भागती जा रही है, सभी स्टेशनों पर नहीं रुकती। पर जहां रुकती है, वहां से कुछ मुसाफिर चढ़ते हैं और कुछ उतर जातें है। ट्रैन में मेरे साथ मेरे 4 चार कलीग भी हैं जो एग्जाम देने

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-9)

14 अक्टूबर 2021
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अभी कोई बलहरशाह स्टेशन निकला है कुछ यात्री चढ़े और उतरे।। जब सभी सेटल हो गए तो मम्मी ने चाय वाले को रोका और दो कप चाय ली। अपने पिटारे से बिस्किट निकाल ही रहीं थी कि दीपचंद जी और अभय जी धमक गए। "आ

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-10)

15 अक्टूबर 2021
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आज मेरा पेपर था। एग्जाम हॉल से बाहर आने पर मुझे ऐसा लगा जैसे कितने महीनों का बोझ उतर गया हो। आफिस में ग्राउंड फ्लोर पर डोरमिटरी है जिसमे कोलकता से आईं मेरी चार कॉलीग्स ठहरी हुई हैं। उनमें से सवि

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-11)

17 अक्टूबर 2021
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सुबह रूम एक्सटेंसन पर कॉल से मेरी आँख खुली। देखा तो सुबह के 7 बजे थे। मम्मी शायद बाथरूम में थीं। रिसेप्शन से कॉल था "मैडम कोई आपसे मिलने आया है।" जरूर कुरियर वाला होगा, इतनी सुबह -सुबह, मैं भुन

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-12)

20 अक्टूबर 2021
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आप महाबलीपुरम गए और भारत का पहला लाइटहाउस नहीं देखा तो क्या देखा? ममल्लापुरम या महाबलीपुरम में बंगाल की खाड़ी के साथ कोरोमंडल तट पर स्थित, पहले ये एक मंदिर था, लेकिन बाद में इसकी छत पर आग जलाकर नाविक

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-13)

21 अक्टूबर 2021
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ड्राइवर ने गाड़ी स्टेशन पर रोकी। जैसे ही में उतरी, पीछे से आवाज आई-" गुड मॉर्निंग समिता""गुड मॉर्निंग सर आप यहां कैसे?""आप कल के प्रोग्राम में तो आई नहीं! आपका मोमेन्टो देना था, मैंने सोचा

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग -14)

22 अक्टूबर 2021
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15 दिनों बाद शादी है। कार्ड छप चुके है। मैंने आफिस से एक महीने की छुट्टी ले ली है। मेरा और राज का मिलना अब बहुत कम हो गया है। क्योंकि बहुत से काम करने हैं और समय बहुत कम है। राज से और उसके

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-15)

25 अक्टूबर 2021
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तीसरे दिन राज के पिताजी राज के साथ हमारे घर आए। ड्राइंग रूम में केवल मम्मी पापाजी थे। हम सब के कान उधर ही लगे थे। "एक्चुअली में आप लोगों ने शादी क्यों तोड़ी? कुछ कहना भी था तो सीधे हमसे बात

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-16)

26 अक्टूबर 2021
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थोड़ी देर हम दोनों के बीच मौन पसरा रहा। मुझे समझ आ रहा था कि एक हिंदुस्तानी सास एक पढ़ी-लिखी बहु, वो भी इंस्पेक्टर माने करेला और नीम चढ़ा, पर शुरू से ही अपना रौब गाँठना चाहती है ताकि बहु काबू में रहे। प

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-17)

28 अक्टूबर 2021
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"भाभी ! दो हल्दी आज चढ़ा दो, दो कल और एक परसों सुबह-सुबह, पांच हो जाएंगी। तेल कल ही पांच बार चढ़ा देंगे, मंदिर भी तो जाना होगा ना और परसों उतार देंगे। और सुनो वो थाली कहाँ रखी है? घर में हल

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-18)

30 अक्टूबर 2021
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स्टेज पर उद्घोषिका माइक पर अनुभा चौहान के नॉवल "राम वही जो सिया मन भाये' की कुछ पंक्तियां पढ़ रही है। "छूट तो बहुत कुछ जाएगा मां, दुपहर को लंच जरूर खाने की वो हिदायत, शाम को आफिस का हाल तफसील से

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-19)

2 नवम्बर 2021
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"मम्मी आप!" "क्या करूँ! फोन पर तू ढंग से बात करती नहीं। तेरे पास टाइम ही नही होता मेरे लिए, ना अपने लिए। अगर मैं कहती कि मैं आ रही हूँ तो तू कुछ बहाना बनाकर मुझे मना कर देती। इसलिए मैंने तेरे प

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-20)

4 नवम्बर 2021
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अनुभा ऑफिस पहुंच कर कुछ फाइल्स देखने लगी तो कोलकता ऑफिस बिल्डिंग की फ़ाइल उसके हाथ मे आ गई। यहां पर उनका आफिस CPWD की रेंटेड बिल्डिंग में चल रहा है। डिपार्टमेंट ने बिल्डिंग के लिए एक लैंड फाइनल किया ह

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-21)

6 नवम्बर 2021
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अनुभा ने डोर नॉक करने के बाद, हैंडल घुमाकर दरवाजा खोला तो देखा जॉइंट सेक्रेटरी फाइलों में सर घुसाए कुछ लिखने में व्यस्त हैं, शायद उन्होंने डोर की आवाज नहीं सुनी या व्यस्तता दिखाना चाहते हैं या सचमुच

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-22)

9 नवम्बर 2021
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आफिस से घर आकर अनुभा ने पापा और मम्मी से बात की। अब पापा की तबियत ठीक थी। मम्मी बार-बार अनुज से मिलकर सब कुछ फाइनल करने के लिए जोर डाल रहीं थीं क्योंकि अनुज केवल दो दिनों के लिए ही कोलकता में है।&nbs

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-23)

10 नवम्बर 2021
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9

अनुभा सुबह उठी तो एक अनजानी खुशी उसके चेहरे पर झलक रही थी। अनुज से मिलने से पहले उसे लगता था कि वह अपनी किंग साइज जिंदगी अपने तरीके से जी रही है, और क्या चाहिए? पर इंसान की फितरत ऐसी है कि उसे आसान जि

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-24)

11 नवम्बर 2021
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दिल दियां गल्लां....... करांगे नाल नाल बह के आँख नाले आँख नू मिला के दिल दियां गल्लां हाय करांगे रोज़ रोज़ बह के सच्चियाँ मोहब्बतां निभा के..….. अनुज भी गाने के बोल धीमे-धीमे गुनगुना रहा है।

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-25)

12 नवम्बर 2021
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काफी देर तक सन्नाटा छाया रहा। फिर मिस्टर सिंह ने चुप्पी तोड़ी- "कल आपके डिपार्टमेंट हैड के यहां पार्टी है, आपको भी इनविटेशन आया होगा, मुझे आया है। जाएंगी क्या? जाना ही पड़ेगा, क्योंकि यह डिपार्टम

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-26)

13 नवम्बर 2021
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अनुज ने बुके अनुभा को दिया और कल के लिए दिल से सॉरी बोला। फिर दूसरा हाथ, जो अभी तक पीछे किया हुआ था, आगे किया। एक रेड कलर के गिफ्ट रैपिंग पेपर में लिपटा हुआ गिफ्ट बड़ी अदा से उसने अनु

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-27)

13 नवम्बर 2021
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इनकम टैक्स कमिश्नर साहब की पार्टी का मतलब है निहायत ही आफिस का माहौल। फर्क सिर्फ इतना है कि आफिस की बातों के अलावा वहाँ खाना होता है, और पीना भी। लेकिन जूनियर ऑफीसर्स को खाने-पीने के बजाय इस बात

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-28)

13 नवम्बर 2021
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अनुभा ने बेल बजाई तो हाथों और बालों में बेसन लगाए छोटी ने दरवाजा खोला। अनुभा को देखते ही वो अनुभा से लिपट कर रोने लगी। अनुभा ने उसको शांत किया और दोनों बहनें अंदर आईं। छोटी अनुभा के लिए पानी और कुछ

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-29)

13 नवम्बर 2021
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अनुभा को जब होश आया तो उसने देखा कि वह एक बेड पर लेटी है। उसके बेड के साइड में लगे स्टैन्ड पर Glucose Intravenous Infusion की बोतल से ग्लूकोस की एक-एक बूंद धीरे-धीरे केनुला से होती हुई उसके हाथ की नस

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-30)

13 नवम्बर 2021
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सुबह 9 बजे से ही एम्स के वेटिंग एरिया मे इतनी भीड़ हो गई कि गार्ड को आकर पूछना पड़ा कि उन सब के मरीज़ किस-किस डिपार्ट्मन्ट में हैं। गार्ड को समझा दिया गया कि वे सब ब्लड डोनेट करने आये हैं। "तो ब्लड

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-31)

14 नवम्बर 2021
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राज अगले दिन सुबह 7 बजे ही हॉस्पिटल पहुंच गये। अच्छी खबर थी कि प्लेटलेट्स 2,50,000 पार कर गए थे। एचबी 11 था । डॉक्टर ने कहा कि "अब खतरे की कोई बात नहीं है। पेशेंट्स बहुत ज्यादा आ रहें हैं इसलिये आज

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-32)

14 नवम्बर 2021
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अनुभा और राज साउथ दिल्ली एसडीएम कार्यालय पहुचें। काउंटर पर पता चला कि आज तो फॉर्म जमा करने का समय समाप्त हो गया है। ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं, पर एड्रेस प्रूफ और बर्थ सर्टिफिकेट वगैरह डाक्यूमेंट

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-33)

14 नवम्बर 2021
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"नहीं कुछ नहीं! ..... बेटा! इस बार तो तुम बहुत बिजी रहीं, नाम के लिए घर आई हो। सारी जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर पड़ गई, चैन से दो घड़ी बात भी नहीं कर पाई तुमसे। " अनुभा की मम्मी ने चाय पकड़ाते हुए कहा।"मम्मी

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-34)

14 नवम्बर 2021
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रात को काफी देर तक उसे नींद नहीं आई। सोचता रहा क्या करे! अगर वह और अनुभा चाहें तो कल ही शादी कर ले, इतने गणमान्य लोग और जानने वाले आएंगे कि रिश्तेददार और घरवाले आये या नहीं, कोई नहीं पूछेगा।&nb

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-35)

14 नवम्बर 2021
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राज ने दुबारा से अनुभा को फ़ोन लगाया। इस बार एक ही बेल में उसने उठा लिया और बोली, "यार बिजी हूँ, कहा ना! फुरसत मिलने पर कॉल करूँगी।" "ये लड़कियों का भी ना, कुछ समझ नहीं आता। ये हरकत मैंने की होती तो म

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-36)

15 नवम्बर 2021
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एंकर ने अपने दोनों हाथ फैलाये और जमीन पर घुटनो के बल बैठ गया। राज ने अनुभा की ओर देखा तो वो मुस्करा दी। फिर राज ने मम्मी और पापा की ओर देखा तो वो दोनो भी मुस्करा दिए। अब राज को सब समझ आ गया। वह आफिस क

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-37)

15 नवम्बर 2021
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अगले दिन सुबह राज अपनी मीटिंग के लिए MEA निकल गया। वहां जाकर उसने गेस्ट लिस्ट को डिस्कस किया, सारी फॉर्मेलिटीज पूरी की, पेपर्स जमा करा दिए और उनसे वादा किया कि प्रपोजल फाइनल होते ही वह उनको ईमेल

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-38)

15 नवम्बर 2021
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"मतलब! किसकी शादी हो रही है?" मम्मी और पापाजी ने एक साथ पूछा। "ऐसे ही......जानना चाहता था। .......कल मेरी फ्लाइट है, ..........हो सकता है अगले 6 महीने छुटी न मिले।" "तो? कितनी बार बताएगा कि छुट्टी न

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-39)

15 नवम्बर 2021
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"साब ! T3 जाना है कि T2 पर? .... अगर गलत टर्मिनल पर पहुंच गए तो तो पूरा आधा घंटा लेट हो जाओगे। कल एक पैसेंजर को T3 पर उतारा था। नीचे उतरते ही पता चला कि उनकी फ्लाइट तो T2 पर है, कितनी मुश्किल हुई।" "स

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-40)

16 नवम्बर 2021
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अनुभा की व्यस्तता अब थोड़ी कम हो चली थी पर इंटरनेशनल सेमिनार की वजह से  राज बहुत ही व्यस्त था। कई बार अनुभा चाहती कि शाम को दोनों मिलें, बातें करें पर ऐसा बहुत कम हो पाता। राज आ भी जाता तो अधिकतर फोन

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-41)

16 नवम्बर 2021
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राज उठकर अनुभा के साथ आकर सोफे पर बैठ गया और अपनी पॉकेट से एक चेन निकाल कर अनुभा को पहनाने लगा। चूंकि चेन का साइज छोटा था तो राज को उसका हुक बंद करने उठना पड़ा। लेकिन इस क्रम में चेन राज की शर्ट की बटन

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-42)

16 नवम्बर 2021
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अनुभा के चेहरे की खुशी देखते ही बनती है। कोई तुम्हारे लिए कुछ स्पेशल करता है तो उससे आने वाली फीलिंग चेहरे पर एक अलग ही चमक ला देती है। अनुभा ने नेम प्लेट को बैकग्राउंड में रखकर अपनी और राज की एक सेल्

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-43)

16 नवम्बर 2021
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अनुभा और राज, एयर इंडिया की फ्लाइट से उतरकर जब इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के T3 टर्मिनल से बाहर आये तो उन्होंने देखा कि उन दोनों की पूरी0 फैमिली चेहरे पर मुस्कान लिए सम्मिलित रूप से बाहर खड़

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राम वही जो सिया मन भाये ( भाग-44)

17 नवम्बर 2021
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'वेडमेड प्लानर्स' के आफिस के सामने राज और अनुभा की गाड़ी आकर आगे-पीछे रुकी। उनके सीनियर एग्जिक्यूटिव मिस्टर गौरव भाटिया ने आकर राज और अनुभा को वेलकम किया और अपने आफिस में ले गया। केबिन क्या था ऐस

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-45)

17 नवम्बर 2021
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उद्यान के बीचोबीच पीले-सफेद परदों से एक मण्डप बनाया गया है। मंडप में प्रवेश करते ही दाहिने ओर गणेश भगवान की प्रतिमा आशीर्वाद की मुद्रा में एक टेबल पर रखी हैं। टेबल पर एक पूजा की थाली भी है जिसमे डूब घ

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-46)

17 नवम्बर 2021
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समय की कमी की वजह से शादी में चुनिंदा मेहमानों को ही आमंत्रित किया गया है। कुछ राज और अनुभा के आफिस के कॉलीग और सीनियर हैं, परिवार के लोग हैं और बस कुछ नजदीकी रिश्तेदार। लेकसिटी के होटल आनंद पैलेस में

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-47)

17 नवम्बर 2021
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अनुभा के आंसू दुबारा बहने लगे। राज ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे सांत्वना दी और हाथ के अंगूठे और इंडेक्स फिंगर से स्माइल करने का साइन बनाकर अनुभा को हंसाने की कोशिश करने लगा। पर विदाई की इन मिश्रित भा

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राम वही जो सिया मन भाये (अंतिम भाग-48)

18 नवम्बर 2021
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"चलो रूम में चलकर बात करते हैं।" राज ने उसके हाथ से फोन ले लिया।जब अनुभा नहीं उठी, तो उसने जबरदस्ती उसके दोनों हाथ पकड़कर उठाना चाहा। पर अनुभा उसकी इस बचकानी हरकत में शामिल नहीं हुई और खुद उठकर रूम में

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लेखक की ओर से आभार

20 नवम्बर 2021
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लेखक की ओर से आभार-आप सभी पाठकों का साथ बहुत ही मजेदार और प्रेरणादायक रहा जिससे मुझे इतने व्यस्त जीवन में भी इस कहानी को पूरा करने की प्रेरणा मिलती रही। मैं रात को फ्री होकर लिखती थी और मेरे की

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