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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-2)

25 सितम्बर 2021

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सोमवार को आफिस में  मेरा मन नहीं लगा। सारे दिन पेट में खलबली सी मची रही। वो कहते है ना! "बटरफ्लाईज इन स्टमक" टाइप की फीलिंग आ रही थी। फिर भी कर्म ही पूजा को ध्येय मानने वाली इस लड़की को अपने काम के साथ कोई नाइंसाफी मंजूर नहीं है। इसलिए मन को काबू में रखकर और ध्यान को भटकन से भटका कर मैंने अपना कार्यालयीन कार्य समय से निपटा ही लिया। 

शाम 6 बजे कार्य से निवृत होने के बाद संतुष्टि की एक गहरी सांस ली, अपने मन को समेट कर बैग में डाला और अपनी ख्वाइशों को कंधे पर लटकाकर, यथार्थ के धरातल की बस पकड़ने बस स्टॉप पर चल दी।  

बस में आंखे मूंदकर बैठी तो बचपन के दिन चलचित्र की भांति मानस-पटल पर भागने लगे। छोटी थी तो कितने मजे थे। न कोई आज की चिंता, न कोई कल की फिकर।  सारा साल पढ़ाई करके मम्मी-पापा पर एहसान जताओ, गर्मियों की छुट्टियों में गांव में जाने पर गन्ने का ताजा गुड़ खाओ, कच्चे पक्के आम तोड़ो और सहेलियों के साथ सुबह शाम खेत में जाओ। अब तो.....

यही सोचते-सोचते निया के घर का स्टॉप आ गया। स्टॉप के आस-पास बनी झोपड़ियों के पास भीड़ लगी थी। 

"अरे चट्टान का हाथ टूट गया। सामने वाली छत पर पतंग लूटने गया था और देखो इसकी मां को!  डॉक्टर के पास भी नहीं ले जा रही।" वहां खड़ी एक औरत हाथ नचा कर बोली।

"चट्टान को ले जाइए ना प्लीज़ नहीं तो हाथ खराब हो जाएगा इसका। पैसे नहीं है तो मैं दे देती हूँ।" मैने स्थिति को परखते हुए उस लड़के की मां से कहा।

लड़के की माँ ने खा जाने वाली नजरों से मुझे देखा और फिर पलटकर दो थप्पड़ उस चट्टान नाम के लड़के को मार दिए। वह बिचारा लड़का गला फाड़कर रोने लगा। उसकी मम्मी ने दूसरे हाथ मे ली हुई मुठ्ठी भर चीनी चट्टान के मुँह में ठूंस दी, भीड़ को हिकारत भरी नजर से देखा और उसका दूसरा हाथ पकड़कर बोली "चल ! पल्लू पहलवान के पास। नासपीटे दोपहर को भी आराम न करने दे है।"

मेरा मूड ऑफ हो गया। कितना विरोधाभास है अमीर और गरीब लोगों में। अमीर अपने बच्चों को कितनी नफासत से पालते है और बच्चों के लिए तरसते रहते हैं वही बच्चे बड़े होकर विदेश में बस जाते हैं और उनके मां-बाप अनाथाश्रम में रहते है। जबकि  गरीब ........ आह! उनके घर बच्चों की लाइन लगी होती है। बड़ा बच्चा पांच साल में इतना बड़ा हो जाता है कि दूसरे बच्चो की जिम्मदारियां उठाता है और बुढ़ापे में अपने मां-बाप को  भी संभालता है।  

घर पहुंच कर मैंने फ्रेश होकर चाय पी ट्यूशन के बच्चों को भी जल्दी ही पढ़ाकर छुट्टी दे दी और एक मैगज़ीन ले कर बैठ गई।

"फिर घुस गई किताब में! अरे! तैयार हो जा बेटा, वे लोग आते ही होंगे।"

रात साढ़े दस बजे लड़के और उसकी बहन का आगमन हुआ। समझ नही आ रहा था चाय दी जाए या फिर डिनर।  पर फिर रिवाज के मुताबिक चाय ही दी गई।  

कुछ औपचारिक और कुछ राजनीतिक बातों के बाद मुझे बुलाया गया।  वैसे मैं बहुत शेर हूँ पर पता नही क्यों उस वक्त गर्दन झुकाकर बैठ गई और लड़के की बहन के दागे गए सभी सवालों के जवाब बड़े नाप-तौल कर दिए। जब उनके सवालों का पिटारा खाली हो गया तो मैं उनकी करीने से बांधी गई साड़ी और उसका बॉर्डर देखने में व्यस्त होने का नाटक करने लगी, जबकि मैं लड़के को देखना चाहती थी जो मेरे बराबर में बैठा था। वहीं उसकी दीदी की निगाहें  मेरे लंबे और तराशे हुए पेंटिड नेल्स पर अटक कर रह गईं। जब हम ननद-भाभी की एक दूसरे को ताड़ने की रस्म से भी दिल भर गया तो मेरे दिमाग की खुराफात चालू हो गई। 

मुझे लगा लड़का गूंगा है क्या!  या फिर शायद उसे शादी में इंटरेस्ट ही नही है। या फिर शायद मैं पसंद नही आई या घर पसंद नही आया।  नही.... इस टाइम तक थकान हो गई होगी। शायद.........…

और तभी मेरी सोच पर ब्रेक लगाते हुऐ लड़के की बहन बोली, 

"तुम दोनो आपस में बात कर लो भई! मेरे सामने शरमा रहे होगे।" और फिर सभी हम दोनों पर नजर डालते हुए उठकर दूसरे कमरे में चले गए।  

"क्या जानना है आपको? मेरी फोटो पसंद नही आई थी? समय निकालना कितना मुश्किल है पता भी है आपको?  उसने कहा।

"इतनी धौंस और बेरुखी! बच्चू! मैं मना ही कर देती हूं। तब पता चलेगा!" मैंने मन ही मन उसको जवाब दिया। 

पर प्रत्यक्षत: बोला, "आप तो मुझे अब भी पसंद नही है!" 

लेकिन यह कहकर जैसे ही मैंने उसकी और देखा, मेरे तो होश उड़ गए। राज सर.....

"सॉरी सर! मैं तो.... उसे.... आप...? वो लड़का कहां है?"

मुझे उस बदतमीज लड़के पर इतना गुस्सा आ रहा था कि पूछो मत। तो क्या  राज सर उसके रिश्तेदार है?  वाउ! मैं कल फ्रेंड्स को बताऊंगी। 

"रिलेक्स ! शायद मैं थकान में कुछ ज्यादा ही बोल गया। मैं ही आपको देखने आया हूं।  पूछिए! क्या जानना है मेरे बारे में? और हां, सर मत बोलिए, मेरा नाम राजेंद्र प्रताप सिंह है।" राज सर ने कहा।

मैं तो सातवें आसमान पर थी।  जिस हैंडसम सर के लिए आधा स्कूल दीवाना था, वो मेरे सामने है। मेरी उनके साथ शादी होगी। सो कूल यार!

"मुझे आप पसंद है।  आप को  कुछ जानना था मेरे बारे में, पूछिए।" राज सर ने अबतक मेरा कोई जवाब ना पाकर बोला।

"BE में क्या-क्या सब्जेक्ट्स हैं आपके पास?"

"बस ये जानना था?"

"नहीं! ...आपको किस लेखक की बुक्स पढ़ना पसंद है?" 

मेरे दिमाग से उनकी सर वाली इमेज निकल ही नही रही थी। और एक मिनिट, राज सर ने मुझे पहचाना ही नहीं? मैं! फ्रंट मिडिल रो (row) की पढ़ाकू लड़की ...को। 

"आप भी मुझे पसंद है।" मैने धीरे से कहा। 

बस हमारी इतनी ही बातचीत हुई प्रथम औपचारिक मीटिंग में और फिर डिनर के बाद सभी चले गए। लेकिन उस रात इतनी सुकून की नींद आई, जैसी पहले  कभी नही आई थी । घर में सभी बहुत ही खुश थे। 

एक हफ्ते बाद सगाई हो गई.....मेरी,  राज सर मतलब राज की नहीं।  क्योंकि वह सगाई में आया ही नहीं क्योंकि  उनके यहां सगाई में लड़के नही जाते।  लड़के की बहन होने वाली भाभी को अंगूठी पहना देती है और हो गई सगाई। हा! हा! क्या वाहियात रिवाज है।

अगले दिन मैंने ढूंढ ढूंढकर अपनी सारी फ्रेंड्स को इस बारे में बताया।  मेरी खुशी संभाले नहीं संभल रही थी।  कुछ सहेलियां तो मरी जलभुन कर राख हो गईं।

पर कहते है ना ज्यादा खुशी को नजर लग जाती है। तो एक दुर्घटना मेरा इंतजार कर रही थी।

क्रमश...


Anita Singh

Anita Singh

सुंदर भाग

27 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

Bahut achi kahani

5 दिसम्बर 2021

Nusarat J

Nusarat J

👍👍👍👌

3 दिसम्बर 2021

दीक्षा सचदेव

दीक्षा सचदेव

बहुत ही रोचक कहानी है।

25 नवम्बर 2021

शिवम श्रीवास्तव " शिवा "

शिवम श्रीवास्तव " शिवा "

रोचक होती जा रही कहानी

25 नवम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

स्वयं की तरफ से कही गई कथानक अच्छी है।

23 नवम्बर 2021

Uday Raj Singh

Uday Raj Singh

बेहतरीन कहानी

6 नवम्बर 2021

रमा

रमा

उत्तम

14 अक्टूबर 2021

Rajlakshmi Singh

Rajlakshmi Singh

Kya rachna h....

10 अक्टूबर 2021

26 सितम्बर 2021

गीता भदौरिया

गीता भदौरिया

26 सितम्बर 2021

आभार वणिका जी

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रचनाएँ
राम वही जो सिया मन भाये
5.0
समिता - एक मिडिल क्लास पढ़ाकू और स्वाभिमानी लड़की, जिसके सपने बहुत बड़े तो है , लेकिन उसूलों के साथ। वह अपने उसूलों से कोई समझौता नही करती। और राज - एक अपर मिडिल क्लास का पढ़ाकू लड़का है, अमीर बनना चाहता है, इसलिये दायरे में रहकर जमीर से समझौता कर ही लेता है। तो क्या जमेगी राम और सिया की जोड़ी, मतलब समिता और राज की? आगे कहानी में एक ट्वीस्ट भी है। जानने के लिए पढ़े -"राम वही जो सिया मन भाये"।
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प्रथम

26 जनवरी 2022
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श्री उदयराज सिंह भदौरिया जी को सप्रेम मेरा प्रथम उपन्यास 'राम वही जो सिया मन भाये'

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डिस्क्लेमर

23 जनवरी 2022
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इस पुस्तक में संकलित कहानियां, स्थान, पात्र, व्यंग, संवाद आदि काल्पनिक हैं. किसी भी संभावित साम्यता का कारण एक संयोग मात्र हो सकता है, जिसके लिए लेखक जिम्मेदार नहीं है.  

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लेखिका की बात

23 जनवरी 2022
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 लेखिका की बात  विभिन्न सामाजिक परिवेशों में पलने-बढ़ने के परिणाम स्वरुप, मेरे अनुभवों ने मेरी शख्शियत को सजाया-संवारा और मेरी प्रतिभा को अनेक आयाम प्रदान किये। हालाँकि मेरे जन्म से लेकर मेरी पढाई

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भूमिका

23 जनवरी 2022
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राम वही जो सिया मन भाये 'राम वही जो सिया मन भाये' को आपके हाथों में देखकर मुझे अपार हर्ष हो रहा है। आप इस उपन्यास को जैसे-जैसे पढते जाएंगे, आप अपने आपको इससे जुड़ा हुआ अनुभव करेंगे और आपकी रुचि इसमें

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-1)

25 सितम्बर 2021
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"तूने राज सर को कोट (quote) दिया? मैंने तो बड़ी प्यारी सी लाइंस लिखी थी उनके लिए आर्चीज के कार्ड पर।" दिशा ने चहकते हुए सहेलियों के बीच आकर एनाउसमेंट की। "वाउ! उन्होंने एक्सेप्ट कर लिया?&nb

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-2)

25 सितम्बर 2021
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सोमवार को आफिस में मेरा मन नहीं लगा। सारे दिन पेट में खलबली सी मची रही। वो कहते है ना! "बटरफ्लाईज इन स्टमक" टाइप की फीलिंग आ रही थी। फिर भी कर्म ही पूजा को ध्येय मानने वाली इस लड़की को अपने काम क

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-3)

27 सितम्बर 2021
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जब इस दुनिया में हमारा पदार्पण होता है तो कुछ रिश्ते हम अपनी मुट्ठी में बंद करके लाते हैं और वह मुट्ठी मरने तक खुलने नहीं देते। कुछ रिश्ते हम अपने पड़ोस और समाज में बनाते हैं, कुछ को ताउम्र निभाते भी ह

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-4)

30 सितम्बर 2021
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अपने -अपने क्षेत्र और जाति के रीति-रिवाज और पंचांग के अनुसार विवाह में वर और वधू, दोनों की कुंडलियों को मिलाया जाता है। जिसे कहते हैं, कुंडली मिलान या गुण मिलान। इसमें वर और कन्या की कुंडलियों को देखक

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-5)

2 अक्टूबर 2021
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सुबह-सुबह पापा का मोबाइल बजा। पापा के हेलो कहते ही - "भाई साहब अच्छा हमने आपके यहां रिश्ता किया, मनु (राज का छोटा भाई) का एक्सीडेंट हो गया। मेरे तो दोनो लड़के हाथ से गए।" उधर से माताजी की मधुर आ

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-6)

8 अक्टूबर 2021
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जब कुछ न समझ आए तो जो हो रहा है उसे होने दो। नियति के कार्यों में संदेह कर, अपने आप को साबित करने के चक्कर में कभी कभी हम नियति से उलझ पड़ते है। मैने भी डिसाइड कर लिया है कि जो हो रहा है ठ

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-7)

10 अक्टूबर 2021
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किसी की भी जिंदगी का सबसे हसीन इवैंट ‘विवाह‘ एक संस्कार है जो दो दिलों के साथ ही दो परिवारों और कितने ही अन्य लोगों को रिश्तों की कड़ी में पिरोता है। प्यार, उल्लास और मौज-मस्ती के इस माहौल क

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-8)

11 अक्टूबर 2021
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ट्रैन भागती जा रही है, सभी स्टेशनों पर नहीं रुकती। पर जहां रुकती है, वहां से कुछ मुसाफिर चढ़ते हैं और कुछ उतर जातें है। ट्रैन में मेरे साथ मेरे 4 चार कलीग भी हैं जो एग्जाम देने

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-9)

14 अक्टूबर 2021
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अभी कोई बलहरशाह स्टेशन निकला है कुछ यात्री चढ़े और उतरे।। जब सभी सेटल हो गए तो मम्मी ने चाय वाले को रोका और दो कप चाय ली। अपने पिटारे से बिस्किट निकाल ही रहीं थी कि दीपचंद जी और अभय जी धमक गए। "आ

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-10)

15 अक्टूबर 2021
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आज मेरा पेपर था। एग्जाम हॉल से बाहर आने पर मुझे ऐसा लगा जैसे कितने महीनों का बोझ उतर गया हो। आफिस में ग्राउंड फ्लोर पर डोरमिटरी है जिसमे कोलकता से आईं मेरी चार कॉलीग्स ठहरी हुई हैं। उनमें से सवि

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-11)

17 अक्टूबर 2021
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सुबह रूम एक्सटेंसन पर कॉल से मेरी आँख खुली। देखा तो सुबह के 7 बजे थे। मम्मी शायद बाथरूम में थीं। रिसेप्शन से कॉल था "मैडम कोई आपसे मिलने आया है।" जरूर कुरियर वाला होगा, इतनी सुबह -सुबह, मैं भुन

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-12)

20 अक्टूबर 2021
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आप महाबलीपुरम गए और भारत का पहला लाइटहाउस नहीं देखा तो क्या देखा? ममल्लापुरम या महाबलीपुरम में बंगाल की खाड़ी के साथ कोरोमंडल तट पर स्थित, पहले ये एक मंदिर था, लेकिन बाद में इसकी छत पर आग जलाकर नाविक

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-13)

21 अक्टूबर 2021
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ड्राइवर ने गाड़ी स्टेशन पर रोकी। जैसे ही में उतरी, पीछे से आवाज आई-" गुड मॉर्निंग समिता""गुड मॉर्निंग सर आप यहां कैसे?""आप कल के प्रोग्राम में तो आई नहीं! आपका मोमेन्टो देना था, मैंने सोचा

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग -14)

22 अक्टूबर 2021
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15 दिनों बाद शादी है। कार्ड छप चुके है। मैंने आफिस से एक महीने की छुट्टी ले ली है। मेरा और राज का मिलना अब बहुत कम हो गया है। क्योंकि बहुत से काम करने हैं और समय बहुत कम है। राज से और उसके

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-15)

25 अक्टूबर 2021
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तीसरे दिन राज के पिताजी राज के साथ हमारे घर आए। ड्राइंग रूम में केवल मम्मी पापाजी थे। हम सब के कान उधर ही लगे थे। "एक्चुअली में आप लोगों ने शादी क्यों तोड़ी? कुछ कहना भी था तो सीधे हमसे बात

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-16)

26 अक्टूबर 2021
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थोड़ी देर हम दोनों के बीच मौन पसरा रहा। मुझे समझ आ रहा था कि एक हिंदुस्तानी सास एक पढ़ी-लिखी बहु, वो भी इंस्पेक्टर माने करेला और नीम चढ़ा, पर शुरू से ही अपना रौब गाँठना चाहती है ताकि बहु काबू में रहे। प

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-17)

28 अक्टूबर 2021
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"भाभी ! दो हल्दी आज चढ़ा दो, दो कल और एक परसों सुबह-सुबह, पांच हो जाएंगी। तेल कल ही पांच बार चढ़ा देंगे, मंदिर भी तो जाना होगा ना और परसों उतार देंगे। और सुनो वो थाली कहाँ रखी है? घर में हल

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-18)

30 अक्टूबर 2021
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स्टेज पर उद्घोषिका माइक पर अनुभा चौहान के नॉवल "राम वही जो सिया मन भाये' की कुछ पंक्तियां पढ़ रही है। "छूट तो बहुत कुछ जाएगा मां, दुपहर को लंच जरूर खाने की वो हिदायत, शाम को आफिस का हाल तफसील से

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-19)

2 नवम्बर 2021
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"मम्मी आप!" "क्या करूँ! फोन पर तू ढंग से बात करती नहीं। तेरे पास टाइम ही नही होता मेरे लिए, ना अपने लिए। अगर मैं कहती कि मैं आ रही हूँ तो तू कुछ बहाना बनाकर मुझे मना कर देती। इसलिए मैंने तेरे प

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-20)

4 नवम्बर 2021
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अनुभा ऑफिस पहुंच कर कुछ फाइल्स देखने लगी तो कोलकता ऑफिस बिल्डिंग की फ़ाइल उसके हाथ मे आ गई। यहां पर उनका आफिस CPWD की रेंटेड बिल्डिंग में चल रहा है। डिपार्टमेंट ने बिल्डिंग के लिए एक लैंड फाइनल किया ह

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-21)

6 नवम्बर 2021
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अनुभा ने डोर नॉक करने के बाद, हैंडल घुमाकर दरवाजा खोला तो देखा जॉइंट सेक्रेटरी फाइलों में सर घुसाए कुछ लिखने में व्यस्त हैं, शायद उन्होंने डोर की आवाज नहीं सुनी या व्यस्तता दिखाना चाहते हैं या सचमुच

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-22)

9 नवम्बर 2021
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आफिस से घर आकर अनुभा ने पापा और मम्मी से बात की। अब पापा की तबियत ठीक थी। मम्मी बार-बार अनुज से मिलकर सब कुछ फाइनल करने के लिए जोर डाल रहीं थीं क्योंकि अनुज केवल दो दिनों के लिए ही कोलकता में है।&nbs

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-23)

10 नवम्बर 2021
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अनुभा सुबह उठी तो एक अनजानी खुशी उसके चेहरे पर झलक रही थी। अनुज से मिलने से पहले उसे लगता था कि वह अपनी किंग साइज जिंदगी अपने तरीके से जी रही है, और क्या चाहिए? पर इंसान की फितरत ऐसी है कि उसे आसान जि

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-24)

11 नवम्बर 2021
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दिल दियां गल्लां....... करांगे नाल नाल बह के आँख नाले आँख नू मिला के दिल दियां गल्लां हाय करांगे रोज़ रोज़ बह के सच्चियाँ मोहब्बतां निभा के..….. अनुज भी गाने के बोल धीमे-धीमे गुनगुना रहा है।

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-25)

12 नवम्बर 2021
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काफी देर तक सन्नाटा छाया रहा। फिर मिस्टर सिंह ने चुप्पी तोड़ी- "कल आपके डिपार्टमेंट हैड के यहां पार्टी है, आपको भी इनविटेशन आया होगा, मुझे आया है। जाएंगी क्या? जाना ही पड़ेगा, क्योंकि यह डिपार्टम

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-26)

13 नवम्बर 2021
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अनुज ने बुके अनुभा को दिया और कल के लिए दिल से सॉरी बोला। फिर दूसरा हाथ, जो अभी तक पीछे किया हुआ था, आगे किया। एक रेड कलर के गिफ्ट रैपिंग पेपर में लिपटा हुआ गिफ्ट बड़ी अदा से उसने अनु

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-27)

13 नवम्बर 2021
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इनकम टैक्स कमिश्नर साहब की पार्टी का मतलब है निहायत ही आफिस का माहौल। फर्क सिर्फ इतना है कि आफिस की बातों के अलावा वहाँ खाना होता है, और पीना भी। लेकिन जूनियर ऑफीसर्स को खाने-पीने के बजाय इस बात

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-28)

13 नवम्बर 2021
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अनुभा ने बेल बजाई तो हाथों और बालों में बेसन लगाए छोटी ने दरवाजा खोला। अनुभा को देखते ही वो अनुभा से लिपट कर रोने लगी। अनुभा ने उसको शांत किया और दोनों बहनें अंदर आईं। छोटी अनुभा के लिए पानी और कुछ

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-29)

13 नवम्बर 2021
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अनुभा को जब होश आया तो उसने देखा कि वह एक बेड पर लेटी है। उसके बेड के साइड में लगे स्टैन्ड पर Glucose Intravenous Infusion की बोतल से ग्लूकोस की एक-एक बूंद धीरे-धीरे केनुला से होती हुई उसके हाथ की नस

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-30)

13 नवम्बर 2021
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सुबह 9 बजे से ही एम्स के वेटिंग एरिया मे इतनी भीड़ हो गई कि गार्ड को आकर पूछना पड़ा कि उन सब के मरीज़ किस-किस डिपार्ट्मन्ट में हैं। गार्ड को समझा दिया गया कि वे सब ब्लड डोनेट करने आये हैं। "तो ब्लड

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-31)

14 नवम्बर 2021
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राज अगले दिन सुबह 7 बजे ही हॉस्पिटल पहुंच गये। अच्छी खबर थी कि प्लेटलेट्स 2,50,000 पार कर गए थे। एचबी 11 था । डॉक्टर ने कहा कि "अब खतरे की कोई बात नहीं है। पेशेंट्स बहुत ज्यादा आ रहें हैं इसलिये आज

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-32)

14 नवम्बर 2021
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अनुभा और राज साउथ दिल्ली एसडीएम कार्यालय पहुचें। काउंटर पर पता चला कि आज तो फॉर्म जमा करने का समय समाप्त हो गया है। ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं, पर एड्रेस प्रूफ और बर्थ सर्टिफिकेट वगैरह डाक्यूमेंट

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-33)

14 नवम्बर 2021
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"नहीं कुछ नहीं! ..... बेटा! इस बार तो तुम बहुत बिजी रहीं, नाम के लिए घर आई हो। सारी जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर पड़ गई, चैन से दो घड़ी बात भी नहीं कर पाई तुमसे। " अनुभा की मम्मी ने चाय पकड़ाते हुए कहा।"मम्मी

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-34)

14 नवम्बर 2021
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रात को काफी देर तक उसे नींद नहीं आई। सोचता रहा क्या करे! अगर वह और अनुभा चाहें तो कल ही शादी कर ले, इतने गणमान्य लोग और जानने वाले आएंगे कि रिश्तेददार और घरवाले आये या नहीं, कोई नहीं पूछेगा।&nb

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-35)

14 नवम्बर 2021
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राज ने दुबारा से अनुभा को फ़ोन लगाया। इस बार एक ही बेल में उसने उठा लिया और बोली, "यार बिजी हूँ, कहा ना! फुरसत मिलने पर कॉल करूँगी।" "ये लड़कियों का भी ना, कुछ समझ नहीं आता। ये हरकत मैंने की होती तो म

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-36)

15 नवम्बर 2021
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एंकर ने अपने दोनों हाथ फैलाये और जमीन पर घुटनो के बल बैठ गया। राज ने अनुभा की ओर देखा तो वो मुस्करा दी। फिर राज ने मम्मी और पापा की ओर देखा तो वो दोनो भी मुस्करा दिए। अब राज को सब समझ आ गया। वह आफिस क

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-37)

15 नवम्बर 2021
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अगले दिन सुबह राज अपनी मीटिंग के लिए MEA निकल गया। वहां जाकर उसने गेस्ट लिस्ट को डिस्कस किया, सारी फॉर्मेलिटीज पूरी की, पेपर्स जमा करा दिए और उनसे वादा किया कि प्रपोजल फाइनल होते ही वह उनको ईमेल

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-38)

15 नवम्बर 2021
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"मतलब! किसकी शादी हो रही है?" मम्मी और पापाजी ने एक साथ पूछा। "ऐसे ही......जानना चाहता था। .......कल मेरी फ्लाइट है, ..........हो सकता है अगले 6 महीने छुटी न मिले।" "तो? कितनी बार बताएगा कि छुट्टी न

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-39)

15 नवम्बर 2021
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"साब ! T3 जाना है कि T2 पर? .... अगर गलत टर्मिनल पर पहुंच गए तो तो पूरा आधा घंटा लेट हो जाओगे। कल एक पैसेंजर को T3 पर उतारा था। नीचे उतरते ही पता चला कि उनकी फ्लाइट तो T2 पर है, कितनी मुश्किल हुई।" "स

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-40)

16 नवम्बर 2021
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अनुभा की व्यस्तता अब थोड़ी कम हो चली थी पर इंटरनेशनल सेमिनार की वजह से  राज बहुत ही व्यस्त था। कई बार अनुभा चाहती कि शाम को दोनों मिलें, बातें करें पर ऐसा बहुत कम हो पाता। राज आ भी जाता तो अधिकतर फोन

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-41)

16 नवम्बर 2021
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राज उठकर अनुभा के साथ आकर सोफे पर बैठ गया और अपनी पॉकेट से एक चेन निकाल कर अनुभा को पहनाने लगा। चूंकि चेन का साइज छोटा था तो राज को उसका हुक बंद करने उठना पड़ा। लेकिन इस क्रम में चेन राज की शर्ट की बटन

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-42)

16 नवम्बर 2021
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अनुभा के चेहरे की खुशी देखते ही बनती है। कोई तुम्हारे लिए कुछ स्पेशल करता है तो उससे आने वाली फीलिंग चेहरे पर एक अलग ही चमक ला देती है। अनुभा ने नेम प्लेट को बैकग्राउंड में रखकर अपनी और राज की एक सेल्

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-43)

16 नवम्बर 2021
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अनुभा और राज, एयर इंडिया की फ्लाइट से उतरकर जब इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के T3 टर्मिनल से बाहर आये तो उन्होंने देखा कि उन दोनों की पूरी0 फैमिली चेहरे पर मुस्कान लिए सम्मिलित रूप से बाहर खड़

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राम वही जो सिया मन भाये ( भाग-44)

17 नवम्बर 2021
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'वेडमेड प्लानर्स' के आफिस के सामने राज और अनुभा की गाड़ी आकर आगे-पीछे रुकी। उनके सीनियर एग्जिक्यूटिव मिस्टर गौरव भाटिया ने आकर राज और अनुभा को वेलकम किया और अपने आफिस में ले गया। केबिन क्या था ऐस

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-45)

17 नवम्बर 2021
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उद्यान के बीचोबीच पीले-सफेद परदों से एक मण्डप बनाया गया है। मंडप में प्रवेश करते ही दाहिने ओर गणेश भगवान की प्रतिमा आशीर्वाद की मुद्रा में एक टेबल पर रखी हैं। टेबल पर एक पूजा की थाली भी है जिसमे डूब घ

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-46)

17 नवम्बर 2021
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समय की कमी की वजह से शादी में चुनिंदा मेहमानों को ही आमंत्रित किया गया है। कुछ राज और अनुभा के आफिस के कॉलीग और सीनियर हैं, परिवार के लोग हैं और बस कुछ नजदीकी रिश्तेदार। लेकसिटी के होटल आनंद पैलेस में

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राम वही जो सिया मन भाये (भाग-47)

17 नवम्बर 2021
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अनुभा के आंसू दुबारा बहने लगे। राज ने उसके कंधे पर हाथ रख कर उसे सांत्वना दी और हाथ के अंगूठे और इंडेक्स फिंगर से स्माइल करने का साइन बनाकर अनुभा को हंसाने की कोशिश करने लगा। पर विदाई की इन मिश्रित भा

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राम वही जो सिया मन भाये (अंतिम भाग-48)

18 नवम्बर 2021
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"चलो रूम में चलकर बात करते हैं।" राज ने उसके हाथ से फोन ले लिया।जब अनुभा नहीं उठी, तो उसने जबरदस्ती उसके दोनों हाथ पकड़कर उठाना चाहा। पर अनुभा उसकी इस बचकानी हरकत में शामिल नहीं हुई और खुद उठकर रूम में

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लेखक की ओर से आभार

20 नवम्बर 2021
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लेखक की ओर से आभार-आप सभी पाठकों का साथ बहुत ही मजेदार और प्रेरणादायक रहा जिससे मुझे इतने व्यस्त जीवन में भी इस कहानी को पूरा करने की प्रेरणा मिलती रही। मैं रात को फ्री होकर लिखती थी और मेरे की

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