राज करे चाहे कोई राजा,
उसकी मर्यादा रखें नियम-निबेद,
रावण जैसा न हो वह,
राम जैसा हो अद्भुत विशेष।
प्रभु श्री राम जिनकी है महिमा,
वे सबके हृदय में विराजमान,
मानवता के सच्चे प्राण,
रामचरित से सीखा हमने ,
त्याग तपस्या और बलिदान ,
न तो कोई उनसे निरंकुश जोर चलान।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम प्रभु को बारंबार प्रणाम है।
पवन कुमार शर्मा
कवि कौटिल्य