सशक्त नारी समाज का सम्मान है ।
दृढ़ता और शक्ति पहचान है ।
पुरुष के कंधे से कंधा मिलाती है ।
नारी शक्ति को कवि का प्रणाम है ।
हो चाहे आसमान , चाहे जमी , फिर सागर
सभी जगह मेहनत के दम पर आगे आती
राजनीति के क्षेत्र में अपना स्थान बनाती
सुयोग्य प्रशासन में अपनी भागीदारी बनाती
मां , बहन , और पत्नी का फर्ज निभाती
अबला नहीं है नारी ,शक्ति का बोध कराती
शिक्षा और ज्ञान से आगे बढ़ती जाती
आज के समाज में उचित स्थान बनाती
तोड़ दीवार पर्दे की,दहलीज से बाहर आती
आने वाली पीढ़ी को राह दिखाती
उन्नति के पथ पर अग्रसर होती जाती
सशक्त नारी समाज का सम्मान है ।
दृढ़ता और शक्ति पहचान है ।
पुरुष के कंधे से कंधा मिलाती है ।
नारी शक्ति को कवि का प्रणाम है ।
पवन कुमार शर्मा
कवि कौटिल्य