आज एक कहानी लेकर आया हूं , वो यथार्थ के चित्रण का कराती है ।
हम और आप के आस पास ऐसे कई उदाहरण मिल जायेंगे जो आने वाली पीढ़ी के लिए एक आदर्श बन जाते है । ओर लोगो की सोच बदलने पर मजबूर कर देते है । अपनी और समाज की उन्नति का का मार्ग प्रशस्त करते है शिक्षा का प्रकाश घर घर फैलाते है। वो ही असली गुदड़ी के लाल कहलाते है ।
एक समय की बात है । एक गांव में लल्लू राम का परिवार रहता था । लल्लूराम कुछ खास पढ़ा लिखा नही था । बस छोटे मोटे हिसाब और पैसे की गिनती कर लेता था। उसे हमेशा कम पढ़ा लिखा होने का दुख था । और वो भी चाहता था उसका पुत्र अच्छा पढ़े आगे जाकर बहुत बड़ा अधिकारी बने । पर नियति को जो मंजूर हो वही होगा। लल्लुराम का पुत्र विनोद बहुत ही बुद्धिमान और प्रतिभाशाली था । पास ही के गांव में मिडिल स्कूल में पढ़ने जाता था । लल्लूराम भी विनोद की पढ़ाई से बहुत खुश था । परंतु पुत्र की जरूरत पूरी करने का उसे बहुत ही मलाल था । क्योंकि जितनी वो कमाई करता वो सब घर खर्च में चली जाती थी । विनोद की मां भी दैनिक मजदूरी करके थोड़े पैसे बचा लेती जिससे विनोद की कापी किताब का खर्च निकल जाता । वही कभी चौराहे पर लगी लाइट से विनोद पढ़ाई करता तो कभी घर में केरोसिन से जले लैंप से पढ़ाई करता । सभी अध्यापकों का प्रिय था विनोद , स्कूल में हमेशा अव्वल आता था । जैसे तैसे करके विनोद ने अच्छे अंकों से हाई स्कूल की परीक्षा पास कर ली । उसका सपना था की उसका चयन भारतीय प्रशानिक सेवा में हो जिसके लिए उसके दोस्त और अध्यापकों ने बहुत मदद की और आखिरकार वो समय आया जब विनोद ने प्रशानिक से बहुत अच्छे अंकों से पास की , उसका चयन प्रशाशानिक सेवा में हो गया ।
आज विनोद बहुत बड़ा अधिकारी है । जब वह अपने माता पिता को उसके बंगले में ले गया तो उसके पिता माता की आंखों में आसूं थे । उनके खुशी का ठिकाना न था । ऐसे होते है असली असली गुदड़ी के लाल जो हर मुसीबत में भी अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ते जाते है। अपने जीवन में सफलता प्राप्त करते है।
शिक्षा का प्रसार हो जहा , स्वर्ग है वहा
पवन कुमार शर्मा
कवि कौटिल्य