नई दिल्लीः पीएम मोदी के करीबियों में शुमार अंबानी बंधु और अडानी भले नोटबंदी पर चुप्पी साधे हुए हैं, मगर रतन टाटा ने इसे साहसिक कदम मानते हुए खुलकर समर्थन किया है। ट्वीट कर कहा है कि इससे भ्रष्टाचार और कालाधन दोनों पर करारा प्रहार होगा। सवाल उठत है कि देश के बड़े कारपोरेट घरानों में रतन टाटा ही सबसे ज्यादा इस मुद्दे पर मुखर क्यों हुए हैं। कहा जा रहा है कि इसका कारण है टाटा की नीतिगत नैतिकता। टाटा ग्रुप में नौकरी करने से पहले हर स्टाफ को जिस कोड ऑफ कंडक्ट की शपथ दिलाई जाती है, उसमें ब्लैकमनी से दूरी बनाने की बात भी शामिल है। रतन टाटा नोटबंदी से पहले भी विमुद्रीकरण की कई मौकों पर बात कर चुके हैं।
नंबर दो का पैसे पर बिजनेस नहीं करता टाटा ग्रुप
वैसे तो कंपनियों का सारा कारोबार स्टॉक एक्सचेंज के नियम-कायदों के तहत ही होता है। मगर तमाम तरह के सरकारी फायदे हासिल करने के लिए कंपनियों की ओर से सरकारी अफसरों, नेताओं से सौदेबाजी भी करनी पड़ती है। ऐसे में तमाम कंपनियां नंबर दो का पैसा भी कैश में रखती हैं। टाटा ग्रुप के सूत्र बताते हैं कि इस संस्थान में इस पर सख्त मनाही है। देश का सबसे बड़ा ग्रुप टाटा एंड संस में नौकरी ज्वाइन करने से पहले ही कोड ऑफ कंडक्ट की शपथ लेनी पड़ती है। इसमें शपथ लेनी पड़ती है कि हम किसी अधिकारी, नेता को न कोई गिफ्ट देंगे न लेंगे। किसी भी ठेके के लिए किसी को रिश्वत नहीं देंगे न लेंगे।
नोटबंदी का टाटा एंड संस को हो रहा फायदा
देश में टाटा एंड संस सबसे बड़े बिजनेस घराने में शुमार हैं। इस व्यापार िक समूह के तहत दर्जनों कंपनियां चल रहीं हैं। पॉलिसी मैटर और उपभोक्ताओं के हितों को ध्यान में रखकर बिजनेस करने की टाटा ग्रुप की साख रही है। कहा जाता है कि टाटा ग्रुप नंबर दो के पैसे पर ही बिजनेस करता है। यहां तक कि ग्रुप से जो चंदे जारी होते हैं, वे भी चेक के जरिए ही होते हैं। इसका पूरा हिसाब-किताब पारदर्शी रखा जाता है यही वजह है कि नोटबंदी के चलते इस ग्रुप को अब ज्यादा लाभ होने की उम्मीद है। क्योंकि आमतौर पर प्रतिद्वंदी कारपोरेट घराने ब्लैकमनी के जरिए टाटा ग्रुप के कारोबार को चुनौती देते थे। आमतौर पर ज्यादातर कंपनियां अगर विदेश में नंबर दो का भुगतान करती हैं तो हवाला का सहारा लेती हैं और अगर देश में नंबर दो का भुगतान होता है तो कैश में। मगर टाटा ग्रुप में इसको लेकर सख्त मनाही है। यही वजह है कि टाटा ग्रुप की साख देश में आज भी बरकरार है।