देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने IFS संजीव चतुर्वेदी की दिल्ली में NGT विशेष कार्याधिकारी के पद पर की गई नियुक्ति का आदेश वापस ले लिया है. CM हरीश रावत ने कहा कि उन्होंने मुख्य सचिव एस. रामास्वामी को निर्देश दिया है कि चतुर्वेदी के संबंध में दिए गए पूर्व के आदेशों को वापस लिया जाए. उत्तराखंड में ज्वॉइनिंग देने के ढाई महीने बाद गत शुक्रवार को ही सरकार ने उन्हें मुख्य स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली में विशेष कार्याधिकारी एनजीटी के पद पर नियुक्त किया था.
दरअसल चतुर्वेदी अपनी सेवा उत्तराखंड में ही देना चाहते हैं जिसरे चलते वह मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अपनी इच्छा भी जता चुके थे. उनकी नियुक्ति के बाद से ही सरकार के इस कदम पर सवाल उठने लगे और आदेश वापसी को भी इस से जोड़कर देखा जा रहा है। संजीव चतुर्वेदी अपनी ईमानदारी के चलते काफी बार चर्चा में आ चुके हैं।
अफ़सर से घबराते क्यों हैं मंत्री
दरअसल संजीव चतुर्वेदी एम्स के चीफ विजिलेंस ऑफिसर के पद पर तैनात रहे हैं उनको पद से हटाए जाने और उनसे काम वापस लिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया था. संजीव 2012 में केंद्र सरकार में डेप्युटेशन पर आए और एम्स में सीवीओ के पद पर उनकी तैनाती हुई. एम्स में भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर करने के लिए चतुर्वेदी तुरंत चर्चा में आ गए, लेकिन अगस्त 2014 में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने उन्हें सीवीओ के पद से हटा दिया जिसे लेकर काफी विवाद हुआ. उसके बाद नवंबर 2014 में जब बीजेपी नेता जेपी नड्डा स्वास्थ्य मंत्री बने को चतुर्वेदी से सभी काम वापस ले लिया गया. जिसको लेकर चतुर्वेदी ने केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में गुहार भी लगाई थी कि उन्हें काम नहीं दिया जा रहा. ट्रिब्यूनल ने बहुमत से उनके केस को यह कहकर खारिज कर दिया था कि काम देना या न देना सरकार का विशेषाधिकार है. उसके बाद हाइकोर्ट ने भी चतुर्वेदी की याचिका खारिज कर दी थी. चतुर्वेदी इस बीच अपने मूल काडर उत्तराखंड वापस चले गए थे।