चंडीगढ़ : पंजाब की राजनीति में आम आदमी पार्टी की दावेदारी से राजनीतिक मुक़ाबला त्रिकोणीय हो गया है, जिसमें एक ओर कांग्रेस पार्टी है तो दूसरी भाजपा-अकाली दल का गठबंधन. व तीसरी आम आदमी पार्टी.
इंडिया संवाद की टीम ने पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में जाकर वोटरो से बात की जहां पंजाब की सियासत को लेकर लोगो ने अपनी बात कही. हमने देखा पंजाब के लोग खुलकर मीडिया से बात नहीं करना चाहते, ऑफ कैमरा लोग कहते है अकाली बीजेपी राज में पंजाब के लोगो का दमन हुआ है, इसलिए लोग डरते है, लोगो के अंदर भय है खिलाफ बोले तो फ़र्ज़ी मुकदमें में अंदर जा सकते है. लेकिन इतना कहते है बदलाब होना चाहिए.
लोग कहते है अभी तक की सरकारो ने जो किया वो उन्होंने अपने लिए किया पंजाब के लिए नहीं. जैसे मॉल, ट्रांसपोर्टेशन व कई तरह के टेन्डरो में मौजूदा सरकार के नेताओ की साझेदारी.
ग्रामीण इलाको की बात करे तो ज्यादातर इलाको में आम आदमी पार्टी को लोगो की पसंद है लोगो का मानना है नई पार्टी है ईमानदार लोग है. साथ ही ग्रामीण इलाको में लोगो के अंदर नोटबन्दी को लेकर भी बेहद नाराजगी है.
क्या कहते है पंजाब के युवा
पंजाब के युवा वोटर की बात करे तो चाहे ग्रामीड इलाके में चले जाइये या शहर में या किसी यूनिवर्सिटी कॉलेज में युवा आम आदमी की तरफ अपना भविष्य देख रहे है. 12वीं पास सतपाल सिंह, जो अब 23 साल के हो चुके हैं, उन्होंने बताया कि हमें नौकरी चाहियें. उन्होंने बताया कि मेरे पिता एक श्रमिक हैं, मैं भी एक श्रमिक बनकर ही रह जाऊंग. आखिर कितनी पीढ़ियां श्रमिक बनकर रहेगीं? हमें क्या मिल रहा जो हम उन्हें वोट दें?
बीजेपी की सभाओं में कुर्सिया खाली
पंजाब विधानसभा और अमृतसर लोकसभा उप-चुनाव के चलते भाजपा उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करने के लिए केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शनिवार शाम को सिटी सेंटर में पहली रैली को संबोधित किया. भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार राजिंदर मोहन छीना और हलका पूर्वी के उम्मीदवार राजेश हनी के लिए प्रचार करने पहुंचे जेटली ने जैसे ही अपना भाषण शुरू किया तो कुर्सियां पर बैठे लोग उठकर वापस जाने लगें. पंडाल में लोगों के बैठने के लिए 300 कुर्सियां लगाई गई थीं जिसमें से अधिकांश खाली ही रहीं. लगभग यही हाल कांग्रेस की सभाओ का है, लेकिन लोगो का कहना है इस बदलाब की लहर में कांग्रेस को फायदा होना तय है.
विवादित रही मडीठिया विधानसभा
अमृतसर से 14 किलो मीटर दूर मजीठा विधान सभा है. जो की सुखबीर बादल की पत्नी के भाई विक्रम सिंह मजीठिया की विधान सभा सीट है, मजीठिया वो शख्स है जिन पर ड्रग्स की तस्करी के गंभीर आरोप है और इस आरोपो पर पंजाब की पूरी राजनीति केंद्रित है, मजीठिया के गढ़ का आलम ये है की वहा नारेबाजी करना तो दूर पोस्टर लगाने की भी हिम्मत नहीं है. आप के मुताबिक़ आचार संहिता लगने के बाद ही आम आदमी पार्टी अपना ऑफिस खोल पाई.
पंजाब दोहरा सकता है दिल्ली का इतिहास
कुल मिलकर अकाली दल में परिवार की सीटो को निकाल दिया जाए तो आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर है. इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता 2014 के दिल्ली चुनाव में किसी भी पार्टी को पूण बहुमत नहीं मिला, वो स्थिति भी यहाँ बन सकती है, साथ ही जिस जनसमर्थन के साथ 2015 के दिल्ली चुनाव में 70 में से 67 सीट जीती यह इतिहास भी पंजाब दोहरा सकता है.
खास बात
पंजाब की 117 सीटों के लिए इस बार युवा वोटरों की हिस्सेदारी भी रिकॉर्ड पर है. 1.9 करोड़ वोटर वाले पंजाब में एक करोड़ से ज्यादा 40 साल से कम उम्र के हैं. इनमें 3.67 लाख तो ऐसे युवा हैं, जिनका नाम पहली बार वोटर लिस्ट में आये है.