दिल्ली : कहने को जयापुर प्रधानमंत्री का आदर्श गांव है लेकिन सड़क और बिजली दोनो यहां दलगत राजनीति की भेंट चढ़ गये हैं. सांसद आदर्श ग्राम योजना का मक़सद भारत के गांवों का विकास करना है. इस योजना के तहत हर एक सांसद को लक्ष्य दिया गया था कि वो अपने निर्वाचन क्षेत्र से एक गांव को चुनकर उसका विकास करें और उस गांव को साल 2016 तक आदर्श गांव के रूप में विकसित करे.
जयापुर गांव मोदी के गोद लेते ही रातों-रात आम से खास तो बना लेकिन गांव में परिवर्तन की जो बयार दिखी है वो बेहद दर्दनाक नाक है. वाराणसी से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव को मोदी के गोद लेने के 2 साल के भीतर ही गांव को मॉडल विलेज बनाने का सपना दिखाया था. लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और आम जनमानस की वजह से गांव में किया गया विकास और धूल फांकता दिखाई दे रहा है.
कहने को इस गांव में शानदार एयरकंडिशंड बैंक है पर जयापुर में बिजली कम आती है. बैंक को अब कामकाज चलाने के लिये अपने जनर्रेटर सेट पर निर्भर रहना पड़ता है. सड़क का हाल ये कि 24.45 लाख रूपये आवंटित कर दिये गये हैं लेकिन काफी समय से कच्ची रोज पर केवल खड़ंजा ही बिछा है.
स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव में बायो टॉयलेट बनाए गए थे वो बेहद खराब स्थिती में पहुच गये है. जिसमें अब उपले और आग जलाने की लकड़ियां रखी जाने लगी हैं. गांव में जगह-जगह जलभराव की समस्या आम है, जिसके चलते गांव में बुरा हाल है.