राष्ट्रध्वजा
नगाधिराज श्रृंग पर खड़ी हुई,समुद्र की तरंग पर अड़ी हुई ,स्वदेश में जगह-जगह गड़ी हुई, अटल ध्वजा हरी, सफ़ेद केशरी !न साम, दाम, के समक्ष यह रुकी,न दंड-भेद के समक्ष यह झुकी,सगर्व आज शत्रु-शीश पर ठुकी ,निडर ध्वजाहरी, सफ़ेद केशरी !चलो उसे सलाम आज सब करें,चलो उसे प्रणाम आज सब करें,अजर सदा इसे लिये हुए जियें,अमर