नई दिल्ली : 28 साल बाद इस मकर संक्रांति का सबसे ज्यादा महत्व हैं. संक्रांति में सूर्य देव 14 जनवरी शनिवार को सुबह 7:38 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे. पुण्यकाल सूर्योदय से दोपहर 2 बजकर 2 मिनट तक रहेगा.
जाने किस राशि में क्या प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में शनि महाराज को मकर और कुंभ राशि का स्वामी बताया गया है. ऐसे में शनिवार के दिन शनि की राशि में सूर्य का आगमन शनि महाराज को अनुकूल और शुभ बनाने के लिए बहुत ही अच्छा रहेगा. इस साल 26 जनवरी से मकर राशि वालों की साढ़ेसाती भी शुरु होने वाली है ऐसे में इनके लिए शनि को खुश करने का यह बहुत ही अच्छा मौका है। मकर राशि के अलावा इस साल तुला, वृश्चिक, धनु राशि वालों की भी साढ़ेसाती रहेगी और मेष, वृष, सिंह एवं कन्या राशि वालों को ढैय्या लगेगी. ऐसे में इन आठों राशि वालों को इस मकर संक्रांति के मौके पर शनि महाराज को खुश करने के लिए कुछ आसान से उपाय जरूर करने चाहिए. जिनकी शनि की दशा चल रही है उन्हें भी यह उपाय करना चाहिए. मकर संक्रांति के दिन उड़द दाल में खिचड़ी बनाकर दान करें और स्वयं भी भोजन करें.
मकर संक्रांति में स्नान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन पुण्यकाल में किसी तीर्थ स्थान या नदी में स्नान करना चाहिए. यदि तीर्थ स्थान पर ना जा सकें तो घर में तिल का उबटन लगाकर या जल में तिल मिला कर स्नान करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से रोग दूर होते हैं और स्वास्थ्य अच्छा रहता है.
सूर्य की पूजा
सूर्य देव के उत्तरायण होने पर पूरे देश में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सूर्य भगवान की विशेष पूजा की जाती है. तमिलनाडु में इसे पोंगल के नाम से मनाया जाता है.
सूर्य का स्थान परिवर्तन
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं उस समय मंकर संक्रांति मनाई जाती है.
दान का महत्व
मकर संक्रांति से शुभ दिन शुरू होते हैं. इस दिन दान, जप, तर्पण, श्राद्ध का बहुत महत्व है. ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन किया गया दान हजार गुना पुण्य प्रदान करता है