भागलपुर : पीरपैंती के अम्बापाली के कीर्तनियां गांव के जमुना प्रसाद गुप्ता को 31 साल पहले आजीवन कारावास की सजा मिली. 16 साल जेल में बिताने के बाद तबीयत बिगड़ गयी. पता चला, किडनी खराब है। डायलिसिस शुरू हुई तो सजा में रियायत की अपील की. जेल प्रशासन ने अपील परिहार बोर्ड से की. समय बीता. रियायत मिली और ही बेहतर इलाज के लिए शहर से बाहर ले जाने की अनुमति। लिहाजा, 70 वर्षीय बंदी ने 19 साल जेल में बिता दिए। अब मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कैदी वार्ड में ही डायलिसिस हो रही है। परिजन इलाज से संतुष्ट नहीं हैं। वे बेहतर इलाज के साथ वृद्ध की सजा में छूट और रिहाई की गुहार लगा रहे हैं। लेकिन वृद्ध की किडनी की तरह पूरा सिस्टम ही डायलिसिस पर है।
जिस परिहार बोर्ड से रिहाई का आदेश होना है, उसकी बैठक भी चार माह से नहीं हुई। शहीद जुब्बा साहनी जेल (सेंट्रल जेल) में बुजुर्ग कैदी जमुना की तरह ही 15 बंदी हैं
फरवरी में 70 हुए रिहा अब सिर्फ आश्वासन
जमुना प्रसाद गुप्ता का मामला मेरे सं ज्ञान में है। उनकी उम्र, बीमारी आचरण को देखते हुए परिहार बोर्ड के पास मामला भेजा है। बोर्ड बैठक लम्बे समय से नहीं हुई। नवंबर में एक बैठक हुई थी, इसमें राज्य के 70 बंदियों को रिहा करने का आदेश दिया गया। फरवरी में 70 कैदी रिहा हुए। संभवत: इसी माह बोर्ड बैठक होगी। इसके बाद ही रियायत या रिहाई पर फैसला होगा।
रिहाई के लिए 1 साल से गुहार लगा रही पत्नी
जमुनाप्रसाद गुप्ता की डायलिसिस तो हो रही है। लेकिन 70 साल की उम्र में उन्हें रिहाई मिलेगी या नहीं? इस सोच में ही वे और बीमार हो रहे हैं। उनकी पत्नी ज्ञानी देवी ने पति की रिहाई के लिए राष्ट्रपति, मुख्यमंत्री, मानवाधिकार आयोग समेत तमाम महकमे में गुहार लगाई है। लेकिन नतीजा शून्य ही रहा।