यह पुस्तक मेरे पढ़ाई के दौरान लिखी गई कुछ कविताओं का संकलन है
🍀🍀दिल से निकली, खुले विचारों से लिखी। ज़िंदगी की हकीकत से रूबरू कराती है। संक्षेप में बहुत कुछ कह जाती है। अनजाने में ही सही अपने अस्तित्व का अहसास कराती।🌻🌻
यह किताब नंदिता माजी शर्मा द्वारा विभिन्न विधाओं में लिखी गई स्वरचित रचनाओं का काव्य संग्रह है जिसमें विविध विषयों पर केंद्रित उत्कृष्ट रचनाएं संकलित है
हमारे आस पास बहुत सी ऐसी घटनाए होती है जिसके बारे में हमे पता नही चलता है ऐसी ये हमारा शरण है जो सामने से कुछ और लगता है, और असलियत कुछ और है,
ये हमारी कविताओं का संकलन है जिसमें मैंने जीवन के विभिन्न रूपों को इसको अपनी कलम से सजाया है।
शब्दों के खेल से बनती है एक कविता, कवि के अंतर्मन से निकल कर शब्दों के मोती को माला में पिरोती है एक कविता, ज़ेहन से कागज़ के पन्नों पर उभरती है एक कविता, कवि के ख्यालों की अधबुनी कहानी है एक कविता। ' काव्यधारा ' मेरी स्वरचित एवं मौलिक कविताओं का संग्
'नैहर का बरम' उपन्यास कुछ अलग होने वाला है। हिन्दी में ऐसा उपन्यास अबतक किसी ने नहीं लिखा है। इसमें एक सच्चाई है जिसे कह पाना हर लेखक के जिगरे में नहीं है। इस उपन्यास में लड़कियों के त्रिया चरित्र को उजागर किया गया है। इसे पढ़कर आपके मन में विचार आये
जीवन के सफर की एक नई शुरुआत होती है फेरो से। विश्वास कायम किया जाता है,कसमो,वादों के घेरे से। जिम्मेदारी डाल दी जाती है,एक दूजे पे साथ फेरो से। नए रिश्ते, नया घर, नई परम्परा, बसना है नए शहरों में। उन अनजान गलियों में रहना है उसे अब पहरों में। अपना रि
ये कहानी है एक बहु की नजर से उसकी सास "अम्मा" की ...या कह सकते है मेरी दादी की.. मेरी माँ की नजर से.. मैंने कहने की कोशिश की है जो मैने देखा, सुना, समझा... ये मेरी ओर से मेरी दादी के लिए एक श्रद्धांजलि हैं l 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 सुबह के छह बज रहे थे..
बोलली नाही तू, कि मी एकटा पडतो......... वरून खुश दिसतो, पण मनातून रडतो.....
कोरोना की वैक्सीन बन गयी है, किन्तु हर रोज की तरह आज भी मार्किट में भारी भीड़ लगी हुई थी। उसी भीड़-भाड़ वाले मार्किट में मैं भी था; जहाँ कोई मास्क लगाए नहीं था, वहाँ मैंने मास्क लगा रखा था ! लोग अजीब नजरों से मुझे देख रहे थे, क्योंकि मैं उन्हें 'मास्क'
उम्मीद एक ऐसी कहानी है जिससेे आप खुद को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे |